ग्वालियर। ग्वालियर विकास प्राधिकरण जीडीए का कार्य शहर में विकास योजनाएं बनाना और आमजन को सस्ते भूखंड,भवन उपलब्ध कराने का है लेकिन यह विभाग इतना बदनाम हो चुका है जिस वजह से यहां बनने वाली योजनाएं अमली जामा पहनने से पहले ही धराशाई हो जाती हैं। इसके पीछे अधिकारियों और भूमाफिया की मिली भगत मुख्य वजह है। और तो और यहां सीईओ की तैनाती भी यही माफिया कराकर लाते हैं ताकि उनके दो नंबर के काम आसानी से हो सकें। फिलहाल विधानसभा चुनाव के पहले से यह पद रिक्त पड़ा हुआ है। निगमायुक्त हर्ष सिंह को इसका अतिरिक्त प्रभार दे रखा है जो कभी वहां जाते ही नहीं है।
अब बात करते हैं सोमवार को हुई जीडीए की बोर्ड बैठक की जिसमें संभागीय आयुक्त दीपक सिंह ने लापरवाही के आरोप में संपदा अधिकारी डॉ दिनेश दीक्षित एवं कार्यपालन यंत्री डीडी मिश्रा को निलंबित कर दिया। लेकिन अंदर से निकली जानकारी में जो तथ्य आएं हैं वह एकदम हटकर हैं।
दरअसल जीडीए में पिछले कुछ महीनों से सारा कार्य सीईओ के न होने से ठप हैं। हर्ष सिंह आईएएस होने के कारण किसी भी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे क्योंकि उन्हें पता है कि यहां सबकुछ काला पीला होता है। इसलिए वह अपनी कलम फंसाना नहीं चाहते। जिससे नामांकन, आवंटन सहित तमाम विभागों की फाइलों का ढेर लग रहा है। अधिकारी कर्मचारी भी दिन भर हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं। डॉ दीक्षित के निलंबन आदेश में स्पष्ट लिखा है कि नामांकन की 324 फाईलों में से 122 फाइल पूर्ण होने के बाद भी नामांकन क्यों नहीं किए। जबकि फाइलें क्यों और कहां अटकी इसके लिए प्रभारी सीईओ से कुछ नहीं पूछा गया। जिससे दीक्षित की वाट लग गई।
योजना को पलीता लगाने वाले को बख्शा
दूसरा मामला और भी रोचक है जिसमें कार्यपालन यंत्री डीडी मिश्रा को योजनाओं को समय सीमा में पूरा नहीं करना कारण माना गया। जबकि शताब्दीपुरम योजना में पलीता लगाने की सही जानकारी और शिकायत को नजरंदाज कर ऐसा किया गया। शताब्दीपुरम योजना में विक्रमपुर के सर्वे क्रमांक 217 में किसान रसाल सिंह एवं अन्य की पांच बीघा निजी जमीन पर 40 मीटर सडक़ बनाने का खाका उपयंत्री सत्येंद्र तोमर और रवि गुप्ता द्वारा खींचा गया था लेकिन किसान की जमीन को न तो सरेंडर कराया गया और नहीं उसे मुआवजा दिया गया। उसने अपनी जमीन के चारों ओर दीवार उठवा रखी है जिससे 40 मीटर सडक़ दो ओर से अधूरी पड़ी है।इस पूरे मामले की शिकायत मंत्री से लेकर संभागीय आयुक्त से की जा चुकी है लेकिन इसपर कोई कार्यवाही नहीं हुई। और तो और जीडीए ने 66 भूखंड ग्वालियर ग्रह निर्माण व गांधी ग्रह निर्माण संस्था को इसी खसरे के आवंटित कर डाले जिन्हें निरस्त करने का प्रस्ताव भू माफिया के दवाब में नहीं हो पा रहा। सूत्रों का कहना है कि बोर्ड बैठक के ऐन पहले एक चर्चित सोसायटी की फाइल को पास कराने के लिए डीडी मिश्रा पर दबाव बनाया गया लेकिन मिश्रा ने आधी अधूरी फाइल को बैठक में नहीं रखा जिसका खामियाजा उन्हें निलंबन के रूप में मिला। इससे स्पष्ट है कि निलंबन जिसका होना चाहिए उन्हें संरक्षण मिला और बलि का बकरा कोई और बना।