ग्वालियर, न.सं.। जयारोग्य चिकित्सालय से कोरोना संक्रमण के दौरान गायब हुए ऑक्सीजन सिलेंडरों को भले ही अस्पताल प्रबंधन मिलने की बात कर रहा है। लेकिन सिलेंडर कैसे और कहां मिले, इसका जबाव खुद जांच कमेटी देने से बच रहा है। जिसको लेकर अब जांच कमेटी के सदस्यों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
दरअसल कोरोना संक्रमण की पहली व दूसरी लहर के दौरान अस्पताल से 341 सिलेंडर गायब हो गए थे। जिसकी खुलासा होने के बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर से 10 दिसंबर 2021 में कम्पू थाने में सिलेंडर गायब होने की शिकायत दर्ज कराई गई थी। लेकिन सिलेंडर कहां और कैसे गायब हो गए, इसका पता पुलिस नहीं लगा पाई। इसी बीच अस्पताल प्रबंधन द्वारा गायब हुए सिलेंडरों की जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई और कमेटी ने पिछले दिनों सिलेंडर मिलने की बात कही। लेकिन हकीकत तो यह है कि जिन सिलेंडरों के मिलने की बात अस्पताल प्रबंधन कह रहा है, वह हकीकत में है ही नहीं और सिर्फ कागजो में भी सिलेंडर दर्शए जा रहे हैं। क्योंकि गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. के.पी. रंजन का कहना है कि गायब 341 सिलिंडर में से 169 सिलेंडर ऑक्सीजन सिलेंडर सप्लाई करने वाली एजेंसियों से मिले है और कुल 172 सिलेंडर जयारोग्य के विभिन्न विभागों से मिले हैं। जबकि शिवा इंटरप्राइजेज के संजय जादौन का कहना है कि उनके पास कही से जयारोगय के सिलेंडर आए थे, इसलिए उन्होंने अभी तक सिर्फ चार सिलेंडर ही वापस किए हैं। संजय ने यह भी कहा है कि उन्होंने सम्भावना जताई है कि जयारोग्य के सिलेंडर किसी के पास होंगे। इसलिए अगर उनके पास आते हैं तो सिलेंडर लौटा दिए जाएंगे। लेकिन अभी स्पष्ट नहीं है कि कितने सिलेंडर उनके पास हैं। इसी तरह अन्य एजेंसियों ने भी कुछ ही सिलेंडर देने की बात कही है। जिसको लेकर अब जांच करने वाली कमेटी ही कटखरे में नजर आ रही है। कमेटी पर सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब एजेंसियों द्वारा सिलेंडर होने की सम्भावना जताई है तो फिर सिलेंडर मिलने की रिपोर्ट कैसे तैयार कर दी गई। नाम न छापने की शर्त पर एक चिकित्सक ने बताया कि कोरोना के दौरान जब ऑक्सीजन की किल्लत हुई थी तो एक अधिकारी के इशारे पर भी सिलेंडरों को हजारों रुपए में बाहर भेजा गया था और अब जब मामला विधानसभा तक पहुंचा तो बड़ी ही चतुराई से एजेंसी के माध्यमों से सिलेंडरों को अस्पताल में रखने की तैयारी की जा रही है।
जांच भी गोपनीय रखने के दिए थे निर्देश
जांच कमेटी में शामिल एक चिकित्सक ने यह भी बताया कि कमेटी को पूरी जांच गोपनीय रखने के निर्देश दिए थे। इसलिए पूरी जांच गोपनीय रूप से की गई है। ऐसे में यह भी सवाल खड़े हो रहे हैं कि जब चोरी की शिकायत थाने में की गई तो सिलेंडरों की जांच गोपनीय किसे गुमराह करने के लिए किया गया।
इन एजेंसियों से इतने सिलेंडर मिलने की कही जा रही बात
अस्पताल प्रबंधन द्वारा शिवा इंटरप्राइजेज से 124, विशाल से 32 और सुभम से 13 ऑक्सीजन सिलेंडर मिलने की बात कही जा रही है। जिनका कुल योग 169 है जबकि पुलिस में शिकायत 341 की है। इसके अलावा जयारोग्य के विभिन्न विभागों में जांच कमेटी को 514 सिलेंडर मिलने की बात कही गई है। ऐसे में अब जयारोग्य में कुल सिलेंडरों की संख्या 683 हो रही है। जबकि दो दिन पहले गायब हुए सिलेंडरों के मिलने के बाद अस्पताल प्रबंधन ने जयारोग्य में कुल 651 सिलेंडर मिलने का दाबा किया गया था। ऐसे में स्पष्ट है कि जांच कमेटी को खुद ही नहीं पता कि सिलेंडर कितने हैं।
मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है, जयारोग्य अधीक्षक ने की जांच कराई है।
डॉ. अक्षय निगम
अधिष्ठाता, गजराराजा चिकित्सा महाविद्यालय
वर्जन
गायब हुए सिलेंडर कहां और किसके पास से मिले हैं, इसकी पूरी जानकारी ली जाएगी और सिलेंडरों का फिजिकल सत्यापन भी कराया जाएगा।
दीपक सिंह
सम्भागायुक्त