ग्वालियर : ऑनलाइन कत्थक सेमीनार में चौथे दिन नृत्य की विधाओं की दी गई जानकारी

राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्विद्यालय में चल रहा है ऑनलाइन सेमीनार

Update: 2020-05-13 14:31 GMT

ग्वालियर।  राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के कत्थक नृत्य विभाग द्वारा ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय कत्थक सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है।  यह सेमीनार 'आर.एम.टी' कत्थक डांस डिपार्टमेंट ग्रुप' के फेसबुक पेज पर चल रहा है। चौथे दिन यह सेमीनार दो चरणों में आयोजित हुआ।  जिसके प्रथम चरण में "गुरु शास्वाति सेन( लखनऊ घराना)" एवं दूसरे चरण में "गुरु चरण गिरधर चांद जी ( जयपुर घराना)" ने व्याख्यान दिया। 

प्रथम चरण में मुख्य अतिथि गुरु शास्वाति सेन  लखनऊ घराना ने विषय- कत्थक में नृत्त(लयकारी) एवं नृत्य(भाव-पक्ष) के बीच का सामंजस्य पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने गुरु पंडित बिरजू महाराज द्वारा कत्थक नृत्य में प्राप्त उपलब्धियों की विद्यार्थियों को जानकारी दी। उन्होंने बताया की पहले के जमाने में 'सम' का प्रयोग नीचे की तरफ होता था। बिरजू महाराज ने सम को सुंदर बनाया एवं देश के हर कोने में नृत्य को पहुंचाया। उन्होंने छात्रों को बताया की नृत्य को सजानेके लिए शरीर का बैलेंस बनाना बहुत जरूरी है जिस तरह से पढ़ंत में भी बैलेंस की बहुत आवश्यकता है। उसी प्रकार नृत्य में भी शारीरिक बैलेंस की आवश्यकता होती है। गुरु सेन ने बिरजू महाराज द्वारा तैयार की गई अनेक विधाओं की जानकारी दी। जिसमें गज की चाल, बादल बिजली और पानी आदि के विषय में जानकरी दी।

सेमिनार के दूसरे चरण में मुख्य अतिथि चरण गिरधर चांद जोकि जयपुर घराने से संबद्ध है। उन्होंने क त्क नृत्य के क्षेत्र में नारायण प्रसाद के विशेष योगदान पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया की नारायण प्रसाद की कथक नृत्य शिक्षा बाल्यकाल से ही प्रारंभ हो गई थी। उन्होंने कई ठुमरी और कवित्त की रचना की थी।  गुरु चरण गिरधर ने नारायण प्रसाद द्वारा रचित गोवर्धन लीला - "संग में लिए ग्वाल बाल नट नागर नंदलाल सखियां सब उमक भरी.....", माखन चोरी का जोड़ा -"नटवर राधा नृत्य करत पग घुंघरू बांध झूम छाना नाना नाना.....", 27 चक्कर की उठान, परन- जिसके अंदर यह बताया कि परन की परिभाषा किस तरह होना चाहिए जिसके बोल- "त्रक्धेत धित धित धागेतिट क्र्द्या कित कतत्रिकिट धिकित कत गदिगिन नागेतिट परन भेद नारायण बतावत.. आदि रचनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम के अंत में संयोजिका डॉ अंजना झा ने सभी अतिथियों एवं एवं कुलपति पंकज राग का आभार व्यक्त किया।  


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