बोले अभिभावक जबरन सांता बनाना ठीक नहीं
जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी इस आदेश को अभिभावकों और शिक्षकों द्वारा भी सराहा जा रहा है।
ग्वालियर, न.सं.। क्रिसमस के कार्यक्रमों में स्कूल में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में सांता क्लॉज सहित अन्य वेशभूषा पहनाने से पहले अभिभावकों को लिखित सहमति आवश्यक होगी आदेश को अभिभावकों द्वारा खूब सराहा जा रहा है। अभिभावकों का कहना है कि बच्चों को जबरन सांता बनाना ठीक नहीं है।
उल्लेखनीय है कि जिला शिक्षा अधिकारी अजय कटियार ने गुरुवार को एक आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि क्रिसमस के अवसर पर विद्यालयों में आयोजित होने वाले कार्यकम में सहभागिता करना एवं क्रिसमस ट्री, सांता क्लॉज, विविध भेष भूषा एवं अन्य कोई पात्र बनाए बनाए जाने के लिए चयनित छात्र-छात्राओं के अभिभावकों से लिखित में सहमति प्राप्त कर उन्हें सहभागी बनाया जाए। किसी भी स्थिति में अभिभावकों की सहमति के बिना उक्त आयोजन में बच्चों की सहभागिता नहीं कराई जाए। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा जारी इस आदेश को अभिभावकों और शिक्षकों द्वारा भी सराहा जा रहा है। अभिभावकों का कहना है कि इस प्रकार की सहभागिता पर उन पर खर्चे का बोझ पड़ता है। वहीं नाम नहीं छापने की शर्त पर क्रिश्चियन स्कूल और चर्च से जुड़े लोगों ने कहा कि शासन-प्रशासन की तरफ से जो आदेश जारी होगा उसका पालन किया जाएगा।
पड़ता है अतिरिक्त खर्चा:-
बच्चों को सांता बनाने के लिए शहर में जगह-जगह सांता की पोशाक बेचने के स्टॉल लगे हुए हैं और यहां यह कपड़े बेचे जा रहे हैं। वहीं शहर की दुकानों पर भी यह कपड़े खूब मिल रहे हैं। अभिभावकों पर भी इनका अतिरिक्त खर्चा आता है।
इनका कहना है:-
‘अभिभावकों की सहमति के संबंध में जो आदेश जारी किया गया है हम उसका स्वागत करते हैं। हम अभिभावकों की बिना मर्जी के किसी भी धर्म की वेशभूषा बच्चों को धारण करवाना उचित नहीं है। हमारे हिसाब से सांता बनना बिलकुल ठीक नहीं है।’
रामवरन राठौर
अभिभावक
‘यह आदेश क्रिसमस के समय आना उचित है। हमें अपनी संस्कृति को अपनाना है। जब तक मैं अनुमति नहीं दूं तब तक मेरे बच्चे को सांता नहीं बनाना चाहिए। स्कूल के दवाब में मजबूरन अभिभावकों को अपने बच्चों को सांता बनाना पड़ रहा है। साथ ही अतिरिक्त खर्चे का भी बोझ पड़ता है।’
राजू गोस्वामी
अभिभावक
‘जब हम अपने यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं और बच्चों को राम, कृष्ण या हनुमान बनाते हैं तो हम अभिभावकों की लिखित में अनुमति लेते हैं उसके बाद ही ऐसा कुछ करते हैं। बच्चों को किसी भी रूप के कपड़े पहनाने पर वह उसी की संस्कृति में ढलने लगता है।’
मनोज तिवारी
प्राचार्य, सरस्वती शिशु मंदिर सरस्वती नगर
‘हम अभिभावकों की बिना अनुमति के बच्चों को किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं करते हैं। उनकी अनुमति आने पर ही बच्चों को शामिल किया जाता है। रही बात क्रिसमस पर सांता बनाने की तो हम अभिभावकों से अनुमति ले रहे हैं।’
परमानंद त्यागी
संचालक
मॉर्निंग स्टार स्कूल मुरार
‘अभिभावकों की बिना मर्जी के बच्चों को किसी भी विधा जोडऩा उचित नहीं है। कई अभिभावक ऐसे भी होते हैं जो बच्चों के अतिरिक्त खर्चे नहीं उठा पाते हैं।’
शालिनी हाड़ा
शिक्षक
‘जिला शिक्षा अधिकारी ने जो आदेश जारी किया है वह बिलकुल सही है हम उसका स्वागत करते हैं। जबरिया किसी भी बच्चे को किसी भी धर्म के कपड़े पहनाना उचित नहीं है।’
डॉ. जयवीर भारद्वाज
समाजसेवी