चिकित्सकों की उपलब्धता के बाद भी मरीज परेशान

मामला सिविल अस्पताल का, नहीं थम रही मनमानी

Update: 2023-12-19 00:30 GMT

फाइल फोटो 

ग्वालियर, न.सं.। हजीरा क्षेत्र के लोगों के बेहतर उपचार मिल सके। इसके लिए हजीरा सिविल अस्पताल को 100 बिस्तर का बनाया गया है। इसके अलावा अस्पताल में तमाम संस्थाधनों से लेकर पर्याप्त चिकित्सक भी उपलब्ध हैं। लेकिन चिकित्सकों की मनमानी व प्रबंधन की अंदेखी के कारण अस्पताल में मरीजों को परेशान होना पड़ता है।

दरअसल सिविल अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन एक हजार मरीज तक उपचार के लिए पहुंचते हैं। इसी के चलते अस्पताल में महिला रोग विशेषज्ञ की भी पदस्थापना की गई है। लेकिन महिला रोग विशेषज्ञ की ओपीडी आए दिन खाली ही पड़ी रहती है। इतना ही नहीं सोमवार को भी महिला रोग विशेषज्ञ की ओपीडी के गेट लगे रहे। जिस कारण महिलाओं को मजबूरन बिरला नगर प्रसूति गृह में उपचार के लिए जाना पड़ा। इतना ही नहीं अस्पताल में सर्वसुविधा युक्त आपरेशन थिएटर भी तैयार किए जा चुके हैं। लेकिन हड्डी रोग विभाग में पहुंचने वाले मरीजों को आपरेशन की सुविधा नहीं मिल पा रही है। जबकि यहां चार हड्डी रोग विशेषज्ञ पदस्थ हैं। साथ ही अस्पताल में पर्याप्त निश्चेतना के चिकित्सक भी पदस्थ हैं। उसके बाद भी यहां सिर्फ छोटे-मोटे ऑपरेशन ही किए जाते हैं और बड़े ऑपरेशन के लिए मरीजों को जयारोग्य या जिला अस्पताल रैफर कर दिया जाता है। यह स्थिति तब है जब क्षेत्रीय प्रद्युम्न सिंह तोमर द्वारा कई बार अस्पताल की बेहतर व्यवस्थाएं रखने के निर्देश दिए जा चुके हैं। उसके बाद भी अधिकारियों को विधायक के निर्देशों का भी कोई असर नहीं पड़ता।

दिखावे का सहायता केन्द्र

अस्पताल में पहुुचने वाले मरीजों को परेशानी न हो। इसके लिए एक सहायता केन्द्र स्थापित किया गया है। लेकिन सहायता केन्द्र सिर्फ दिखावा बन कर रह गया है। क्योंकि सहायता केन्द्र पर कोई भी कर्मचारी मौजूद ही नहीं रहता। जबकि व्हीआईपी या फिर कोई अधिकारी निरीक्षण के लिए पहुंचते हैं तो सहायता केन्द्र पर दिखाने के लिए कर्मचारियों को खड़ा कर दिया जाता है।

अल्ट्रासाउण्ड के लिए भी चार दिन का इंतजार

सिविल अस्पताल में अल्ट्रासाउण्ड की जांच के लिए भी मरीज परेशान हो रहे हैं। क्योंकि यहां पदस्थ रेडियोलॉजिस्ट चिकित्सक भी समय पर नहीं आते। इतना ही नहीं अल्ट्रासाउण्ड की जांच के लिए भी मरीजों को चार दिन बाद की तारीख दी जा रही है। इसके अलावा इमरजेंसी में अल्ट्रासाउण्ड की सुविधा पूरी तरह बंद रहती है। जिस कारण कई मरीजों को मजबूरन निजी सेन्टर पर जांच करानी पड़ रही है।

सीएमएचओ का जाएगा

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