जनसुनवाई में पहली बार मेटल डिटेक्टर से गुजरे लोग, पुलिस ने तलाशी के बाद दिया प्रवेश
पिछले दो बार जनसुनवाई में आत्मदाह करने जैसे घटनाएं हो चुकी हैं। इसी के चलते पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच जनसुनवाई हुई
ग्वालियर, न.सं.। कलेक्ट्रेट में प्रत्येक मंगलवार को आयोजित होने वाली जनसुनवाई में इस बार अलग महौल दिखाई दिया। कलेक्ट्रेट पहाड़ी के नीचे से लेकर ऊपर तक और जनसुनवाई कक्ष के बाहर एक दर्जन से अधिक महिला व पुरूष पुलिस जबान का ऐसा पहरा था कि कोई परिंदा भी पर नहीं मार सके। इतनी तगड़ी सुरक्षा को देख जनसुनवाई में लोग भी दंग रह गए कि आखिर इतनी सुरक्षा क्यों।
दरअसल पिछले दो बार जनसुनवाई में आत्मदाह करने जैसे घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इसी के चलते मंगलवार को हुई जनसुनवाई पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच हुई। जनसुनवाई में पहुंचने वाले लोगों की पहले तो मेटल डिटेक्टर से जांच की गई और फिर तलाशी लेकर यह देखा गया कि कोई अपने साथ ज्वलनशील पदार्थ तो लेकर नहीं आया। इतना ही नहीं ऐसे लोग जो बैग टंग कर जनसुनवाई में पहुंचे थे, उनके बैग भी जनसुनवाई कक्ष के बाहर रखवा दिए गए। इसके अलावा जनसुनवाई कक्ष में सिर्फ उन्हें भी प्रवेश दिया गया, जो अपना शिकायती आवेदन कक्ष के बाहर दिखा रहे थे। जबकि ऐसे लोगों को बाहर ही रोक दिया गया जो शिकायतकर्ता के साथ पहुंचे थे। उधर पुलिस की कड़ी सुरक्षा व जांच से परेशान कुछ लोगों का पुलिसकर्मियों से विवाद भी हो गया। एक युवक का कहना था कि वह कोई आतंकवादी थोड़ी न हो, जो इस तरह से उसकी तलाशी ली जा रही है। यह व्यवस्था लोगों की सुरक्षा के लिए नहीं अधिकारियों ने अपनी सुरक्षा के लिए लागू की है।
आदेश ने बढ़ाई परेशानी, 40 मिनट तक फंसे रहे लोग
आमजन की सुविधा को देखते हुए जिलाधीश श्री सिंह ने पिछले दिनों धारा 144 के तहत एक आदेश जारी किया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि राजनैतिक, गैर राजनैतिक, सामाजिक एवं अन्य घटनाओं आदि के विरोध में आयोजनकर्ता व आदोलनकारियों को कलेक्ट्रेट पहाड़ी पर प्रवेश नहीं दिया जाएगा और उनका ज्ञापन कलेक्ट्रेट गेट पर प्रशासनिक अधिकारी लेने पहुंचेंगे। इसी के चलते मंगलवार को एससी, एसटी ओबीसी महासभा के लोग जब ज्ञापन देने पहुंचे तो उन्हें कलेक्ट्रेट के मुख्य द्वार पर ही रोक दिया। इस दौरान दोपहर 1.20 से लेकर 2 बजे तक कलेट्रेट के मुख्य द्वारा पर वेरीगेट लग रहे। उधर कलेक्ट्रेट कार्यालय से लौटने वाले लोग 40 मिनट तक फंसे रहे। इतना ही नहीं कलेक्ट्रेट की पहाड़ी पर ऊपर तक दो पहिया व चार पहिया बाहन खड़े रहे। जबकि एसडीएम व अपर कलेक्टर के बाहर कलेक्ट्रेट के गेट के सामने बने पेट्रेल पम्प पर खड़े रहे। इसके बाद एसडीएम प्रदीप तोमर ज्ञापन लेने पहुंचे और फिर वेरीगेट खोल दिए गए। इस दौरान लोगों ने पुलिस को जमकर कोसा और कहा कि अगर वेरीगेटिंग करनी ही थी तो पहाड़ी के पीछे के रास्ते को वैकल्पिक रूप से खोला जाना चाहिए था।
साहब मेरी पुस्तेनी जमीन पर एसडीएम से दिला दो
जनसुनवाई में मुरार निवासी वीरेन्द्र बाबा चौधरी अपनी शिकायत लेकर पहुंचे और कहा कि मेले के समीन उनकी 100 बीघा पुस्तेनी जमीन है, जो उसके बाबा किशन लाल के नाम पर है। लेकिन एसडीएम अनिल बनवारिया सहित अन्य अधिकारियों ने उसकी जमीन पर कब्जा कर लिया, जिसे वापस लेने के लिए पिछले सात साल के चक्कर काट रहे हैं। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही। इसी तरह एक चन्द्रनगर निवासी मदन शाक्य ने शिकायत करते हुए कहा कि भूपेन्द्र धाकड़, शिवेन्द्र सिंह भदौरिया एवं कोक सिंह द्वारा प्लाट की रजिस्ट्री करने के बाद भी आज दिन तक कब्जा नहीं दिलाया गया। इसी तरह ममता चौरसिया ने भी भूपेन्द्र धाकड़, शिवेन्द्र सिंह भदौरिया एवं कोक सिंह पर धोखाधडी करने और रजिस्ट्री करने के बाद भी प्लाट पर कब्जा न दिलाए जाने की शिकायत की।