ड्यूटी से बचने बीमारी का बहाना बना लम्बी छुट्टी पर गए चिकित्सक
प्रशासन के निर्देश पर हुआ मेडिकल, डॉ. वी.के. गुप्ता फिर अनफिट
ग्वालियर, न.सं.। जिले में जहां चिकित्सकों की कमी बनी हुई है। वहीं कुछ चिकित्सक बीमारी का बहाना बना कर लम्बी छुट्टी पर चल रहे हैं। जिसको लेकर जिलाधीश कौशलेन्द्र विक्रम के निर्देश पर ऐसे चिकित्सकों का बुधवार को मेडिकल कराया गया जो लम्बी छुट्टी पर थे। लेकिन बोर्ड ने फिर से पूर्व सीएमएचओ डॉ. वी.के. गुप्ता को अनफिट बता दिया। जिसको लेकर अब डॉ. गुप्ता का संभाग स्तर के मेडिकल बोर्ड में मेडिकल कराया जा सकता है।
उप चुनाव में जिले के अधिकांश चिकित्सकों की ड्यूटी लगाई गई है। इसलिए एक से चार नवम्बर तक शासकीय अस्पतालों में मरीजों को स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए परेशान होना पड़ेगा। ऐसे में अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए प्रशासन के निर्देश पर बीमारी का बहाना बना कर लम्बी छुट्टी पर गए चिकित्सकों को वापस बुलाने के निर्देश दिए गए। इसी के चलते बुधवार को आयोजित हुए मेडिकल बोर्ड में छुट्टी पर चल रहे चिकित्सकों को बुलाया गया। बोर्ड में मेडिसिन रोग विशेषज्ञ डॉ. सीमा जयसवाल, नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. गजराराज सिंह गुर्जर व हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. राजपूत शामिल रहे। बोर्ड ने डॉ. एच.के. गांगिल को फिट बता दिया। जबकि डॉ. सीमा जयवाल ने डॉ. व्ही.के. गुप्ता को दुबारा अनफिट बता दिया। जिसको लेकर बोर्ड के अन्य चिकित्सकों की डॉ. सीमा से कहा सुनी भी हो गई। चिकित्सकों का कहना था कि डॉ. गुप्ता स्वास्थ्य हैं और उन्हें कोई बड़ी बीमारी नहीं है। इसलिए वह ड्यूटी कर सकते हैं। लेकिन डॉ. सीमा जयसवाल के सामने अन्य चिकित्सकों की एक भी नहीं चल सकी।
सीएमएचओ की कुर्सी हटते ही गए छुट्टी पर
सीएमएचओ पद पर रहते हुए डॉ. गुप्ता की तमाम शिकायतें भोपाल तक लगातार पहुंच रहीं थीं। इसी के चलते शासन द्वारा 28 सितम्बर को आदेश जारी करते हुए डॉ. गुप्ता को सीएमएचओ पद से हटाते हुए जिला अस्पताल भेज दिया और डॉ. मशीष शर्मा को सीएमएचओ बनाया। सीएमएचओ की कुर्सी छिनते ही डॉ. गुप्ता अगले दिन जिला अस्पताल पहुंचे और ज्वाइनिंग देने के अगले दिन मौखिक रूप से स्वास्थ्य ठीक न होने की बात कहते हुए दो से तीन दिन की छुट्टी पर चले गए। इसके बाद डॉ. गुप्ता खुद तो अस्पताल नहीं आए और अपना मेडिकल सर्टीफिकेट सिविल सर्जन कार्यालय पहुंचा दिया।
विवादों से पुराना नाता
डॉ. गुप्ता का विवादों से पुराना नाता रहा है। यह सबसे पहले मुरैना में सिविल सर्जन बने। तब वहां पर विवादों के चलते उन्हें कुर्सी से हटाया गया। इसके बाद हजीरा सिविल अस्पताल पर संस्था प्रभारी बनाए गए तो वहां पर खरीद-फरोख्त के चक्कर में उन पर जांच बैठ गई थी। इसके बाद नसबंदी के दौरान दो महिलाओं की मौत में भी उन पर जांच की आंच आई थी। इसके बाद जब मुरार जिला अस्पताल के सिविल सर्जन बने तो वहां पर संस्था न चला पाने को लेकर प्रशासनिक अधिकारी काफी नाराज रहे जिसको लेकर उन्हें फिर से अपनी कुर्सी से हाथ धोना पड़ा था।
इनका कहना है
जो चिकित्सक स्वस्थ हैं और बीमारी की बात कहकर छुट्टी पर चल रहे हैं, उन्हें ड्यूटी पर आना चाहिए। डॉ. व्ही.के. गुप्ता को क्या बीमारी है, इसकी जांच के लिए सीएमएचओ को निर्देश दिए जाएंगे।
-कौशलेन्द्र विक्रम सिंह, जिलाधीश