बड़े अरमानों से बनाई थी थीम रोड, आज लावारिस हो गई
लाखों की लागत से बनी सड़क हो गई जर्जर, नहीं हो रहा रख-रखाव
ग्वालियर, न.सं.। देश के अन्य महानगरों की तर्ज नगर निगम द्वारा आठ साल पहले बड़े अरमानों से महल गेट से मांढरे की माता गोलंबर तक बनाई गई थीम रोड आज अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है। करीब दो करोड़ की लागत से बनी यह थीम रोड आज लावारिस नजर आ रही है। लाल पत्थर से बनी यह रिंग रोड जहां जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है, वहीं देखरेख के अभाव में इसकी सुंदरता को भी ग्रहण लग गया है।
पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता के कार्यकाल में शहरवासियों को सुकून के दो पल बिताने के लिए वर्ष 2011 में करीब 12 सौ मीटर लंबी थीम रोड बनाई गई थी। इसके निर्माण में धौलपुर के लाल पत्थर का इस्तेमाल किया गया था। लाल पत्थर से जहां थीम रोड बनाई गई, वहीं पत्थर के नक्काशी कॉल कर लैंपोस्ट डस्टबिन, आकर्षक कुर्सियां भी यहां लगाई गईं थी। जिस स्थान पर थीम रोड बनी है, वहां से जहां महल गेट नजर आता है तो दूसरी ओर कटोरा ताल, जीवाजी क्लब राजवंश की छतरी, मांढरे की माता, जयारोग्य अस्पताल, अचलेश्वर मंदिर और संगीत महाविद्यालय दिखाई देता है। वहीं एमएलबी महाविद्यालय की तरफ एक फ्लैग प्वॉइंट भी बनाया गया है, जहां शान से तिरंगा लहराता रहता है।
नई दुल्हन की तरह स्वागत कर देखरेख की गई
थीम रोड के निर्माण के बाद इस धरोहर का नई दुल्हन की तरह स्वागत कर उसकी देखरेख भी की गई। लेकिन धीरे-धीरे नगर निगम का इस की ओर से मोहभंग हो गया और थीम रोड की देखरेख भगवान भरोसे रह
रात के समय सुराप्रेमी छलकाते हैं जाम
आज थीम रोड के किनारे असामाजिक तत्वों का जमावड़ा होने लगा है। कहीं लोग हार-जीत का दाव लगा रहे होते हैं तो रात के समय सुरा प्रेमी अपने जाम छलकाते दिखाई देते हैं। अब शहर के स्मार्ट सिटी योजना में शामिल होने के बाद टीम रोड की बदहाली को देखते हुए कि स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन ने इस थीम रोड का कायाकल्प करने की योजना बनाई है। यह योजना कितनी सफल होती है यह आने वाला समय ही बताएगा।
पर्यटन के लिए विशेष
थीम रोड के आसपास कई पर्यटन स्थल मौजूद हैं। जो खासतौर से देशी सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं। वहीं शहर के लोगों को यहां सुबह और शाम के समय वॉकिंग का आनंद मिलता है। इस दृष्टि से भी इसको संवारने का काम प्राथमिकता से होना चाहिए लेकिन जिम्मेदारों की अनदेखी से इसकी दुर्दशा हो रही है।
अब बेंच पर नहीं बैठते लोग
अम्मा महाराज की छत्री, सावरकर सरोवर में सुबह दो से ढाई हजार की संख्या में लोग वॉकिंग करने आते हैं। पहले लोग थीम रोड पर बनी बेंच पर बैठकर आराम करते थे। लेकिन बेंच टूटने व आसपास गंदगी होने की वजह से बैठ नहीं पाते।
सीसीटीवी कैमरे से नहीं होती मॉनीटरिंग
शरारती तत्वों पर नजर रखने के लिए थीम रोड पर जगह-जगह नगर निगम ने सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं। इन कैमरों का कंट्रोल रूम निगम मुख्यालय में बनाया गया है। लेकिन इसकी मॉनीटरिंग नहीं होती।
इनका कहना है
सकारात्मक इच्छाशक्ति से थीम रोड का निर्माण कराया गया था। इसी की तर्ज पर शहर के कुछ अन्य मार्गों को थीम रोड में विकसित करना था। लेकिन इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। यदि शहर को नई थीम रोड नहीं दे सके तो कम से कम इसका संधारण व रख-रखाव करना चाहिए था। आज थीम रोड बीरान होती जा रही है। यह सब अधिकारियों की कमजोर इच्छाशक्ति व लापरवाही का नतीजा है।
-समीक्षा गुप्ता, पूर्व महापौर