ग्वालियर के प्रणीत की जर्मनी में मौत, बुजुर्ग मां-बाप ने बेटे का शव भारत लाने के लिए के शिवराज सिंह -ज्योतिरादित्य सिंधिया को लिखा पत्र

सरकार की तरफ से कोई मदद ना मिलती देख एक प्राइवेट एजेंसी को बेटे का शव भारत लाने का काम दिया है। जिसके लिए कंपनी 10 लाख रूपए वसूल रही है।;

Update: 2023-08-17 11:18 GMT

ग्वालियर। ग्वालियर के रहने वाले प्रणीत राठौर की जर्मनी के म्यूनिख में मौत हो गई।  उनके बुजुर्ग माता-पिता अपने बेटे की पार्थिव देह को भारत वापिस लाने के लिए सरकार से गुहार लगा रहे है। ताकि रीती-रिवाज के अनुसार अपने बीटा का अंतिम संस्कार कर सकें।76 साल के पिता बाबू सिंह राठौर और मां प्रभा देवी ने केंदीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, सीएम शिवराज सहित पीएम मोदी से गुहार लगाई है। 14 अगस्त को हुई मौत के बाद से अब तक कोई मदद नहीं मिली है।  


पिता बाबू सिंह का कहना है कि उनका बेटा प्रणीत जर्मनी के म्यूनिख में ESSITI प्रॉडक्शन मैनेजर था। साल 2017 में भारत से क्रोशिया ट्रांसफर हुआ था। इसके बाद साल  2019 में मोशन के साथ जर्मनी ट्रांसफर हुआ था। इसके बाद से वह अपनी पत्नी नीलम और 7 साल की मासूम बेटी तृषा के साथ म्यूनिख में रह रहा था।  14 अगस्त को प्रणीत की हार्ट अटैक से मौत हो गई।  इससे एक दिन पहले उसका अपने बॉस के साथ झगड़ा भी हुआ था।13 अगस्त की  रात में जब वह सोया तो सुबह उठा नहीं, वहां पत्नी अस्पताल ले गई तो मृत घोषित कर दिया।

मकान मालिक ने बहू को घर से निकाला - 


प्रणीत की कंपनी और भारत सरकार  उसके शव को भारत वापिस लाने में कोई मदद नहीं मिल रही है। वहीँ उसके मकान मालिक ने भी बेटे की मौत की खबर सुनते ही कांट्रेक्ट कैंसिल कर दिया।  जिसके कारण उनकी बहू और पोती बेहद परेशान है। उन्होंने सरकार से मदद के लिए प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, विदेश मंत्री एस जयशंकर, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर आदि को पत्र लिखकर मदद की गुहार लगाई है लेकिन अब तक किसी भी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है।  

सरकार से नहीं मिली कोई मदद - 


उन्होंने आगे बताया कि सरकार की तरफ से कोई मदद ना मिलती देख एक प्राइवेट एजेंसी को बेटे का शव भारत लाने का काम दिया है। जिसके लिए कंपनी 10 लाख रूपए वसूल रही है। उन्होंने कहा की बेटे के शव और बहू-पोती को ऐसे तो नहीं छोड़ सकते, भले हमें अपने जेवर आदि बेचना पड़े पर किसी तरह पैसों का इंतजाम कर बेटे और उसके परिवार को भारत लाएंगे ताकि उसका अपने रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार  कर सकें।

बच्चों को विदेश ना भेजे - 

उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि जो लोग अपने बच्चों के विदेश भेजना चाहते है, उनसे मैं यहीं कहना चाहूंगा अपने बच्चे घर पर ही अच्छे है, उन्हें विदेश ना भेजे।  

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