डॉ. अहिरवार की याचिका खारिज, डॉ. जादौन को प्रभार
स्थानांतरण के खिलाफ उच्च न्यायालय चले गए थे विज्ञान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अहिरवार
ग्वालियर, न.सं.। मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ ने शासकीय आदर्श विज्ञान महाविद्यालय के तत्कालीन प्राचार्य डॉ. बी.एल. अहिरवार की वह याचिका खारिज कर दी है जिसमें उन्होंने शासन पर प्राचार्य पद से नियम विरुद्ध तरीके से हटाने का आरोप लगाया था। न्यायालय ने अपने आदेश में यह भी तर्क दिया कि स्थानांतरण प्रशासनिक व्यवस्था का हिस्सा है और शासन अपने हिसाब से किसी भी प्राध्यापक व प्राचार्य का स्थानांतरण कर सकता है। वहीं प्राचार्य का प्रभार महाविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. बी.पी.एस. जादौन को दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि उच्च शिक्षा विभाग ने पिछले दिनों शासकीय आदर्श विज्ञान महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बी.एल. अहिरवार का स्थानांतरण झलकारी बाई महाविद्यालय किया था। उनकी जगह पर प्राचार्य का प्रभार डॉ. बी.पी.एस. जादौन को सौंप दिया गया। स्थानांतरण को लेकर डॉ. अहिरवार ने पहले तो शासन स्तर पर आपत्तियां दर्ज कराई लेकिन जब कोई समाधान नहीं निकला तो वह उच्च न्यायालय की शरण में चले गए। जिसमें तर्क दिया कि मैं अभी तक अग्रणी महाविद्यालय का प्राचार्य था और अब मुझे ऐसे महाविद्यालय का प्राचार्य बनाया गया है जो अग्रणी महाविद्यालय अधीन है। साथ ही मुझे स्नात्कोत्तर से स्नातक महाविद्यालय के प्राचार्य पद की जिम्मेदारी दी गई। शासन ने नियम विरुद्ध तरीके से मेरा स्थानांतरण किया है। मामले की सुनवाई करते हुए न्यायालय ने कहा कि सभी महाविद्यालय शासन के अधीन हैं और शासन को यह अधिकार है कि वह किसी भी शिक्षक का स्थानांतरण कहीं पर सकता है। यह अधिकार स्नात्कोत्तर व स्नातक के प्राचार्य की जिम्मेदारी देने में भी शासन के पास है। यह तर्क देते हुए न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी है। साथ ही आदेश में यह भी कहा कि विज्ञान महाविद्यालय के प्राचार्य का प्रभार डॉ. जादौन को ही दिया जाए। हालांकि डॉ. जादौन ने पहले ही पदभार संभाल लिया है। वहीं बताया जा रहा है कि डॉ. अहिरवार ने अभी तक झलकारी बाई महाविद्यालय में पदभार नहीं संभाला है।
स्थानांतरण रुकवाने में जुटे डॉ. अहिरवार
सूत्रों की मानें तो डॉ. अहिरवार ने पहले स्थानांतरण रुकवाने के प्रयास किए लेकिन जब बात नहीं बनी तो वह न्यायालय चले गए। अब न्यायालय से भी जब कुछ हाथ नहीं लगा तो एक बार फिर से वह शासन स्तर पर जुगाड़ लगाने में जुट गए हैं। यही वजह है कि उन्होंने अभी तक पदभार ग्रहण नहीं किया है।