जयारोग्य में आंदोलन के पीछे चिकित्सकों की चाल

Update: 2021-07-18 00:45 GMT

वेब डेस्क/ सुजान सिंह। अंचल के सबसे बड़े अस्पताल इन दिनों लोगों के स्वास्थ्य की चिंता करने वाले नर्सों के दो गुटों को लेकर खूब चर्चाएं बटोर रहा है। नर्सों का एक गुट ने अस्पताल प्रबंधन के घपले घोटालों व जिम्मेदार अधिकारियों पर तमाम आरोप लगाते हुए उन्हें हटाने के लिए मुहिम चला दी है। वहीं दूसरा गुट जिम्मेदार अधिकारियों के पक्ष में खड़ा हुआ है, जो आरोप लगाने वाले गुट के पदाधिकारियों को ही हटाने के लिए तमाम शिकायतें कर रहा है। दोनों गुटों के पीछे कुछ चिकित्सकों का भी हाथ है, जो उनके इशारों पर चल रहे हैं। इतना ही नहीं एक गुट ने तो अस्पताल प्रबंधन के अधिकारियों पर आंखे सेंकने तक के आरोप लगा दिए हैं। जिसको लेकर कुछ चिकित्सकों का कहना है कि अस्पताल की जो स्थिति अब हो गई है वो पहले कभी नहीं थी। इसलिए कई चिकित्सकों ने तो खुद को ऐसे चिकित्सकों से दूर कर लिया है जो इन दिनों अपनी राजनीति चमकाने के लिए अब कर्मचारियों का ही सहारा ले रहे हैं। खैर जो भी कोविड की शांति के बाद यह आंदोलन जरूर चर्चाओं में है। कहीं न कहीं आंदोलन एवं शिकवे-शिकायतों ने उन लोगों की चिंता बढ़ा दी है, जो मुंगेरी लाल की तरह बड़े सपने देख रहे हैं और बड़ी कुर्सी पर आंखें जमाए बैठे हैं। अब देखना है कि शिकवे-शिकायतों में किसकी बलि चढ़ती है और किसकी सिर पर ताज बंधता है।

दुश्मनों की गोदी आ रही पसंद

बहुत पुरानी कहावत है कि बिना पेंदी का लोटा। ये उन लोगों के लिए कही जाती है, जो किसी के सगे नहीं होते और अपना फायदा देखकर कही भी लुढ़क जाते हैं। लेकिन इन दिनों ये कहावत अंचल के बड़े अस्पताल के कुछ चिकित्सकों के लिए कही जा रही है। कुछ चिकित्सक ऐसे हैं, जो अपने फायदे के चक्कर में अपनों को ही भूल गए और विरोधियों के साथ जाकर मिल गए। जिसको लेकर अब उन्हें बिना पेंदी का लोटा कहा जा रहा है। हालांकि यह कोई नई बात नहीं, यहां पर ऐसे पाया बदलने वाले बहुत से लोग हैं, जो समय-समय पर विरोधियों से बदला लेने के लिए दूसरों की गोद में बैठ जाते थे।


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