ग्वालियर,न.सं.। लॉकडाउन के बाद से नियमित ट्रेनों का संचालन बंद हैं। ऐसे में अब रेलवे वित्तीय संकट से गुजर रहा है। घाटे में चल रही रेलवे ने अपने सभी ज़ोन और मण्डल के प्रभारियों से रेलवे अस्पताल बन्द करने के उपरान्त कर्मियों को मिलने वाली चिकित्सा सुविधा के विकल्प सुझाने के लिए पत्र लिखा है। यदि अधिकाश मण्डल रेलवे अस्पतालों को बन्द करने के पक्ष में हुए तो उन्हें बन्द कर दूसरी वैकल्पिक सुविधा प्रदान की जाएगी। रेलवे बोर्ड ने मंत्रालय को इसके लिए प्रस्ताव भेजा है।
लॉकडाउन के कारण सबसे ज्यादा असर रेलवे पर पड़ा है। जिसके चलते अब रेलवे नए उपाय कर रहा है। रेलवे अब आमदनी कम और खर्च अधिक होने के कारण रेलवे अस्पतालों को बन्द करने वाला है। यहां पर सभी चिकित्सकीय सुविधा नहीं होने और खर्च अधिक होने को लेकर रेलवे बोर्ड इनको बन्द करने के लिए एक योजना तैयार की है। रेल मंत्रालय की मनचाही चिकित्सा सुविधा से वंचित रहने वाले रेलकर्मी और उसके परिवार वालों को अब अपनी पसन्द के अस्पताल में इलाज कराने की छूट देने की योजना है। इसके लिए हेल्थ इंश्योरन्स योजना लागू होगी, जिसमें इलाज कराने की अनलिमिटेड छूट होगी। रेल कर्मचारी देश के किसी भी बड़े अस्पताल में जाकर अपना या परिवार वालों का इलाज करा पाएंगे। बताते चलें कि रेलवे को रेलवे अस्पताल चलाने में करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ते हैं। बावजूद इसके सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने से गम्भीर रोगी को इलाज के लिए निजी अस्पताल भेजना पड़ता है और इसके बदले निजी अस्पताल संचालक को करोड़ों रुपये का भुगतान किया जाता है। रेलवे बोर्ड के डिप्टी डायरेक्टर (वेलफेयर) आशुतोष गर्ग ने 4 अगस्त को देश के सभी रेलवे ज़ोन और रेल मण्डल के अधिकारियों को पत्र भेज दिए हैं। इस पत्र में कहा गया है कि रेलवे अस्पताल को बन्द करने पर विचार किया जा रहा है। इसके स्थान पर रेल कर्मचारी व उसके आश्रित को निजी अस्पताल में इलाज कराने की सुविधा उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है।