ग्वालियर : मल्टी स्पेशलिटी के नाम पर RJN Apollo में मरीजों के साथ लूट

Update: 2020-12-19 18:00 GMT

ग्वालियर/वेब डेस्क। शहर के नामचीन अस्पतालों में शामिल अपोलो अस्पताल में मरीजों को लूटने के साथ ही उपचार में जमकर लापरवाही बरती जा रही है। अपोलो में बेहतर सुविधाओं के नाम पर किस तरह मरीजों को लूटा जाता है इससे स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी भली भाती जानते हैं।

अपोलो अस्पताल का प्रचार-प्रसार शहर ही नहीं बल्की अन्य पड़ोसी जिलों में भी जमकर किया जाता है। जिसमें अपोलो में मल्टी स्पेशलिटी सुविधाएं होने की बात कही जाती है। जबकि हकीकत तो यह है कि अपोलों में मल्टी स्पेशलिटी जैसी कोई सुविधाएं ही नहीं है। मल्टी स्पेशलिटी का मतलब एक ही छत के नीचे सारी सुविधाएं होना होता है। लेकिन अपोलो में एमआरआई सहित अन्य कुछ जांचों के लिए मरीजों को अस्पताल के बाहर भेजा जाता है। ऐसे में स्पष्ट है कि मल्टी स्पेशलिटी के नाम पर मरीजों से कैसे लूट होती है। उधर कोरोना संक्रमित दतिया के व्यापारी की उपचार में बरती गई लापरवाही के बाद भी स्वास्थ्य विभाग अभी तक कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है। जबकि संक्रमित के परिजनों से प्लाज्मा मंगाने से लेकर चढ़ाने तक में अपोलो के चिकित्सकों की ही स्पष्ट लापरवाही सामने आई है।

बाहर के चिकित्सकों के नाम पर होती है ब्रांडिंग

अपोलो में मरीजों के साथ लूट यहीं नहीं थमती। अपोलो अस्पताल में कई ऐसे चिकित्सकों का प्रचार किया जाता है, जो सप्ताह में एक या दो दिन के लिए ही बाहर से आते हैं और दो से तीन घंटे की ओपीडी में मरीजों को देखकर चले जाते हैं। इतना ही नहीं बाहर के चिकित्सकों के नाम पर अपोलो में जमकर ब्रांडिंग की जाती है।

दवाएं भी खुद के मेडिकल स्टोर से

अपोलो अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजन अगर बाहर से दवा लाते हैं तो उनकी दवाएं वापस कर दी जाती हंै। मरीजों को दी जाने वाली दवाएं परिजनों को अपोलो के मेडिकल से ही लेनी पड़ती है। इतना ही नहीं परिजन जब दवा स्टॉफ को देता है तो उसे यह तक पता नहीं होता कि उसके मरीज को कौन-कौन सी दवाएं दी जा रही हैं।

इनका कहना है

अस्पताल में एमआरआई की सुविधा नहीं है और हर किसी मरीज को एमआरआई की जरूरत नहीं पड़ती। जिन मरीजों की करानी होती है तो अस्पताल के बाहर कुछ ही दूरी पर एमआरआई हो जाती है। साथ ही कोरोना के कारण अब चिकित्सक बाहर से नहीं आ रहे हैं। हमारे अस्पताल में अधिकांश चिकित्सक फुल टाइम हैं।

-डॉ. पुरेन्द्र भसीन, संचालक, अपोलो अस्पताल

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