ग्वालियर में महापौर पर आरोप लगाए तो भड़का सत्ता पक्ष, विपक्ष के पार्षद ने अपने ही नेता प्रतिपक्ष को घेरा
बैठक छोडक़र निकले नेताप्रतिपक्ष, पार्षदों ने कहा अमृत योजना में सबसे बड़़े घोटाले हुए
ग्वालियर। मंगलवार को परिषद की बैठक में स्मार्ट सिटी के कार्यो व अमृत योजना को लेकर जमकर हंंगामा हुआ। बैठक में जहां विपक्ष के पार्षद ने महापौर पर स्मार्ट सिटी की बैठक में शामिल न होने की बात कहीं तो पूरा सत्ता पक्ष भड़क़ गया व उन्होंने स्मार्अ सिटी के सदस्य के दबाव में काम करने तक बात कह डाली। मामला जब तक ठंडा होता तब तक विपक्ष के ही पार्षद ने अपने ही नेेता प्रतिपक्ष को अमृत योजतना के मामले में घेर कर उन पर आरोप लगा डाले। जिससे नेता प्र्रतिपक्ष हरिपाल ऐसे में भडक़े कि उन्होंने यहां तक कह दिया कि मैं वहीं पुराना हरिपाल हूं मुझे हल्के में मत लेेना। साथ ही वह पार्षद से अभ्रद भाषा को प्रयोग कर बैठक से बाहर निकल गए।
मंगलवार को जलबिहार स्थित निगम परिषद बैठक शुरू होने से पहले ही सदस्यों की संख्या कम होने पर बैठक को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया। बाद में बैठक के शुरु होते ही सभापति ने सभी सदस्यों को हिदायत दी कि बैठक में सभी लोग शब्दों का प्रयोग ठीक से करें। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सभी अधिकारी बैठक में रहेंगे तो विकास कार्यो पर भी प्र्रभाव पड़ेगा। जिन अधिकारियों की बैठक में जरुरत होगी तो वह आयुुक्त देखेंगे। जिस पर नेता प्र्रतिपक्ष हरिपाल ने कहा कि वह इस बात से सहमत नहीं है। उनका कहना था कि अधिकारियों को बैठक में रहना चाहिए। बाद में सभापति ने उन्हें बैठने के लिए कहा, जिससे नेता प्रतिपक्ष नाराज हो गए।
पार्षद अनिल सांखला ने बिंदु क्रमांक तीन पर चर्चा करते हुए कहा कि स्मार्ट सिटी द्वारा जो काम किए जता रहे है वह ठीक है, लेेकिन जहां पर सड़क़े बनाई जा रही है वहां के चेम्बर अंदर दबा दिए गए है। लाइटें बंद पड़ी है, रात में जलने वाली लाइटै दिन में जल रही है। पार्षद नागेन्द्र राणा ने कहा कि दो महीने पहले ही कायाकल्प के तहत सड़क़ बनाई गई थी, लेकिन उसके चेम्बर दबा दिए गए। अब उसी सड़क़ को दुबारा खोदा जा रहा है।
उन्होंने स्मार्ट सिटी और नगर निगम में आपस में समन्वय नहीं है। लाइटों के लिए तीन-तीन कंपनियों को बदला गया है। लेकिन हालत वैसी की वैसी है। दिन में जल रही लाइटें सिर्फ पार्षदों को दिख रही है। लाइटों के लिए निगमायुक्त को परेशान करना पड़ता है। स्मार्ट सिटी के नाम पर हम पार्षद कब तक बेइज्जत होंगे।
ग्वालियर नहीं बदल रहा है
पार्षद मनोज राजपूत ने कहा ग्वालियर कहीं से भी नहीं बदल रहा है। हर मार्ग पर गड्डे ही गड्डे है। विधायक प्रतिनिधि कृष्णराव दीक्षितत ने कहा कि जो सड़क़े पहले से ठीक थी उन्हीं सडक़ों को दुबारा बनाया जा रहा है। पार्षद अवधेश कौरव ने कहा कि स्ट्रीट लाइट सुधार व्यवस्था ठप्प हो चुकी है और थीम रोड खोदकर बनाने में पैसे की बर्बादी की गई है, आज भी वहां पानी भरता है और उसे निगम की मशीनों से निकलवाना पड़ता है।स्मार्ट सिटी के कार्यों की चर्चा के उपरांत सभापति श्री तोमर ने नगर निगम आयुक्त को निर्देशित किया कि स्मार्ट सिटी के कार्यों की समीक्षा की जाकर समन्वयक प्रस्ताव प्रस्तुत करें।
पार्षदों ने कहा लाइन चौक हो रही है, सडक़ो पर बह रह सीवर
अमृत योजना को लेकर पार्षदों ने कहा कि इस योजना में सबसे ज्यादा भ्र्रष्टाचार हुआ है। मोहित जाट ने कहा कि दूसरे चरण के काम की पूूरी जानकारी पार्षदों को दी जाए। अपर्णा पाटिल ने कहा कि लाइन डालने के बाद रेस्टोरेशन का कार्य तक नहीं किया जाता है। नागेन्द्र राणा ने कहा कि अमृत योजना की जांच मिसति बनी थी उस समिति का क्या हुआ।पार्षद मोहित जाट ने कहा कि आरके शुक्ला का तबादला हो चुका है,ऐसा कौन सा दबाव है कि उन्हें हटाया नहीं जा रहा है। पार्षद ऊषा गिरार्ज मावई ने 8 महीने से टेंडर न लगाने पर आरके शुक्ला पर कार्रवाई की मांग की।
सभापति श्री तोमर ने चर्चा के दौरान उल्लेखित वार्डों की समस्याओं के संबंध में निगमायुक्त से जानकारी ली। जिस पर निगमायुक्त हर्ष सिंह ने बताया कि संबंधित वार्डों की मॉनिटरिंग कर समस्या का निराकरण कराया जाएगा। इसके उपरांत सभापति श्री तोमर ने निगमायुक्त को निर्देश दिए कि अमृत योजना एवं 15वे वित्त फाइनेंस के अंतर्गत पूर्व में गठित कमेटी को जानकारी प्रस्तुत करना सुनिश्चित करें तथा 15 दिवस में आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराएं।
बृजेश श्रीवास ने कहा पूर्व में बनी समिति का क्या हुआ
अमृत योजना को लेकर पार्षद बृजेश श्रीवास ने कहाकि अमृत योजना की जांच के लिए पूूर्व में समिति बनी थी, उसका क्या हुआ। उसके अध्यक्ष नेता प्रतिपक्ष थे, वह क्यों इस मामले में इंटरेस्ट क्यों नहीं ले रहे क्या वह भी मिल गए है। जैसे ही पार्षद श्रीवास बैठे उसी बीच नेेता प्रतिपक्ष भडक़ गए और चिल्लाते हुए कहा कि मुझे पेनड्राइव दी गई है, लेकिन हार्ड कॉपी नहीं दी। उन्होनें सभापति के सामने कहा ये होता कौन है, मुझे पर आरोप लगाने वाला। उन्होंने कहा कि मैं वहीं हरिपाल हूं जिससे 20 साल पहले यह सदन धर्राता था। ज्यादा है तो मुझे निष्काषित कर दो।
जब महापौर ने बृजेश को दी चेतावनी
पार्षद बृजेश श्रीवास ने जब महापौर डॉ शोभा सतीश सिकरवार पर स्मार्ट सिटी की बैठक में शामिल न होने के आरोप लगाए तो पहले तो विधायक प्रतिनिधि पलटवार करते हुए कहा कि स्मार्ट सिटी की बैठक में एक वरिष्ठ नेेता के सदस्य के दबाव में काम होते है। बाद में महापौर श्रीमती सिकरवार ने बृजेश श्रीवास को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पार्षद बृजेश बार-बार टारगेट करते है, वे अपनी गरिमा का ध्यान रखे। क्योंकि महापौर एक महिला है और किसी महिला पर ऊंगली उठाई, तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा।
झलकियां
- -बैठक में नेता प्र्रतिपक्ष हरिपाल के नाराज होने के बाद विपक्ष के पार्षद कुछ देर के लिए सहम गए।
- -साथी पार्षद नेेता प्र्रतिपक्ष को मनाने के लिए उनके चेम्बर में पहुंचे व बाद में पार्षद बृजेश श्रीवास को बुलवाकर राजीनामा भी बंद कमरे में करवाया।
- -जब सभापति ने नेेताप्रतिपक्ष से कहा कि आप संतुष्ट नहीं होगे तो परिषद नहीं चलेगी क्या?
- -पार्षद गिर्राज कंसाना ने जब स्मार्ट सिटी के कार्यो की प्रशंसा की तो सभापति ने टोकते हुए कहा कि आपने एजेंडा पड़ा है या नहीं, तो पार्षद ने कहा कि जिस एजेंडे पर हस्ताक्षर किए है वह एजेंडा ही नहीं है।
निगमायुुक्त के कानों में अपनी सफाई देते रहे कार्यपालन यंत्री
अमृत योजना पर जैसे ही चर्चा शुुरु हुुई तो अधिकत्तर पार्षदों के निशाने पर कार्यपालन यंत्री रामू शुुक्ला रहे। बैठक में जब पार्षद अमृत पर चर्चा कर रहे थे तब निगमायुुक्त पार्षदों की समस्याओं को अपनी नोट बुक में लिख रहे थे, तभी कार्यपालन यंत्री रामू शुक्ला बार-बार निगमायुुक्त के कानों में कार्यो की जानकारी दे रहे थे। तो बाद में निगमायुक्त ने भी उन्हें हिदायत देते हुए सीट पर बैठने को कहा।