सतीश के शामिल होने के पहले ही कांग्रेस में घमासान

बालेन्दु, देवेन्द्र, आनंद, मितेन्द्र ने विरोध में बनाई रणनीति, कटुता के कारण पास नहीं हो सका प्रस्ताव

Update: 2020-09-07 01:00 GMT

ग्वालियर, विशेष प्रतिनिधि वरिष्ठ भाजपा नेता एवं ग्वालियर से पूर्व से विधानसभा का चुनाव लड़ चुके डॉ. सतीश सिंह सिकरवार के एक बार फिर कांग्रेस में शामिल होने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। जिसमें कहा जा रहा है कि वे आठ सितम्बर को 10.30 बजे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के समक्ष भोपाल में कांग्रेस की सदस्यता लेेंगे। इसके लिए लगभग दो सौ गाडिय़ों का काफिला उनके साथ रहेगा। डॉ. सिकरवार के कांग्रेस में शामिल होने की भनक लगते ही ग्वालियर पूर्व से टिकट चाह रहे कुछ नेताओं के पेट में इतनी मरोड़ उठी कि उन्होंने तत्काल एक बैठक कांग्रेस कार्यालय पर बुलवाकर किसी भी बाहरी प्रत्याशी को टिकट दिए जाने के खिलाफ प्रस्ताव पास कराने की कोशिश की। किंतु आपसी गुटबाजी के कारण यह प्रस्ताव पास नहीं हो सका।

उल्लेखनीय है कि वैसे तो डॉ. सतीश सिकरवार का समूचा परिवार भाजपा में है। उनके पिता गजराज सिंह सिकरवार और छोटे भाई डॉ. सत्यपाल सिंह सिकरवार(नीटू) सुमावली से विधायक रह चुके हैं। जबकि वह स्वयं तीन बार और उनकी पत्नी डॉ. शोभा सिकरवार भी पार्षद रह चुकी हैं। यद्यपि उनके चाचा वृंदावन सिंह सिकरवार कांग्रेस में हैं, जो कि पिछले लोकसभा चुनाव में मुरैना से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। डॉ. सिकरवार वर्ष 2018 में भाजपा से ग्वालियर पूर्व से चुनाव लड़े थे। जिसमें उन्हें कांग्रेस के मुन्नालाल गोयल ने लगभग 20 हजार मतों से पराजित किया था। इस अप्रत्याशित हार के बाद से ही डॉ. सिकरवार के मन में कहीं न कहीं विधायक बनने का सपना चकनाचूर हो गया। राजनीतिक परिस्थितियों के बदलने पर राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के अचानक 22 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में आ जाने पर अब इन विधानसभा क्षेत्रों में उप-चुनाव होना है। जिसमें ग्वालियर पूर्व से भाजपा से मुन्नालाल गोयल चुनाव लड़ेंगेे। बस यही बात डॉ. सिकरवार के लिए एक बार फिर विधायक बनने का सपना सच साबित करने वाली लग रही है। यही कारण है कि वे पिछले लंबे समय से भाजपा से पूरी तरह कटे हुए हैं। यहां तक कि 22 अगस्त को ग्वालियर पूर्व के महासदस्यता अभियान व बैठकों में भी वे दिखाई नहीं दिए। इसके बाद चार सितम्बर को जब उनका जन्मदिन मना तब शहर में लगे होर्डिंग-पोस्टरों पर कहीं भी भाजपा का नाम व नेताओं के फोटो नहीं थे। इसके पीछे यह माना जा रहा है कि वे ग्वालियर पूर्व से स्वयं अथवा जौरा से छोटे भाई डॉ. सत्यपाल सिंह सिकरवार का टिकट चाहते हैं। इसके लिए उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से भोपाल और ग्वालियर में हो चुकी है। संभवत: पूरी तरह से आश्वासन नहीं मिलने से डगमगाए डॉ. सिकरवार ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से भी मुलाकात की। बताया जाता है कि कमलनाथ से उनकी दो से तीन बार मुलाकातें हो चुकी हैं। जिसमें प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत मध्यस्थ रहे। अब जब उप-चुनाव पूरी तरह सिर पर हैं और कमलनाथ के सर्वे में ग्वालियर पूर्व से कांग्रेस का कोई प्रत्याशी इतना दमदार नहीं दिखाई दे रहा जो मुन्नालाल गोयल का मुकाबला कर सके। इसे देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, वरिष्ठ नेता डॉ. गोविन्द सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह आदि से सलाह-मशविरे के बाद प्रदेश कांग्रेस द्वारा डॉ. सतीश सिकरवार के लिए कांग्रेस में प्रवेश के रास्ते खोल दिए गए हैं। इसमें उनके बचपन के मित्र सिंधिया के खास रहे कांग्रेस के प्रदेश सचिव अलबेल सिंह घुरैया की मुख्य भूमिका मानी जा रही है। जिन्होंने बचपन की दोस्ती निभाते हुए डॉ. सिकरवार के लिए कांग्रेस में आने की राह आसान कराई। बताते हैं कि डॉ. सिकरवार के कांग्रेस में जाने की भनक पर पिछले दिनों ग्वालियर प्रवास पर आए राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें महल में बुलाकर बातचीत की। इसी तरह 38-रेसकोर्स रोड पर मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर एवं मुन्नालाल गोयल ने उन्हें मनाने की कोशिश की और श्री सिंधिया से फोन पर बात कराई।

दावेदारों की रणनीति हुई फेल

इधर डॉ. सिकरवार के कांग्रेस में शामिल होने की सूचना पर ग्वालियर पूर्व से दावेदारी कर रहे पूर्व मंत्री बालेन्दु शुक्ल ने शहर अध्यक्ष डॉ. देवेन्द्र शर्मा, मितेन्द्र सिंह आदि को अपनी कोठी पर बुलाया और कहा कि तुरंत एक बैठक करो जिसमें यह प्रस्ताव पास किया जाए कि बाहरी प्रत्याशी को सहन नहीं किया जाएगा। इस पर डॉ. शर्मा ने तत्काल कांग्रेस कार्यालय में ग्वालियर पूर्व के ब्लॉक और मंडल अध्यक्षों के नाम पर बैठक आयोजित कर डाली। जिसमें मितेन्द्र समर्थक दलबीर दोहरे ने यह बात रखी कि बाहरी प्रत्याशी का विरोध किया जाएगा। विकाऊ नहीं टिकाऊ प्रत्याशी चाहिए। किंतु यहां कार्यकारी अध्यक्ष अमर सिंह माहौर, महाराज सिंह पटेल एवं इंब्राहिम खां पठान ने उक्त दावेदारों की मंशा को बिफल करते हुए यह कहा दिया कि हम कांग्रेस से बंधे हुए हैं। यदि प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ कोई निर्णय लेते हैं तो हम उसका विरोध नहीं कर सके। पटेल ने तो यहां तक कहा कि जब दलबदलू को कांग्रेस कार्यालय में बुलाकर स्वागत किया जा सकता है तो फिर अब इस तरह का विरोध क्यों उठ रहा है। वहीं आनंद शर्मा भी अंदरखाने से डॉ. सिकरवार का विरोध कर रहे हैं।

अभी नहीं आगे कुछ भी हो सकता है: डॉ. सिकरवार

कांग्रेस में शामिल होने के सवाल पर डॉ. सतीश सिंह सिकरवार बोले कि मैं यहीं हूं कहीं नहीं जा रहा। फिर वह यह भी बोले कि अभी ऐसा कुछ नहीं है, कुछ हो भी सकता है। वैसे इस तरह की पहले भी कई तारीखें निकल गईं। उन्होंने स्वीकारा कि पिछले दिनों श्री सिंधिया ने उन्हें महल बुलाकर बातचीत की थी।

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