निगम के घोटालों को लेकर जनप्रतिनिधि भी नाराज

Update: 2020-07-04 01:00 GMT

ग्वालियर,न.सं.। नगर निगम में पिछले कुछ वर्षों में हुए बड़े घोटालों और भ्रष्टाचार से जनप्रतिनिधि भी नाखुश है। उनकी मांग है कि ऐसे घोटालों की पारदर्शिता के साथ जांच कराई जाएं। ताकि ग्वालियर का विकास आगे बढ़ सके। दरअसल पिछले कुछ दिनों में निगमायुक्त संदीप माकिन के ऊपर शौचालय और वाहन घोटाले की आंच आई है। जिससे जनप्रतिनिधियों को जनता के बीच नीचा देखना पड़ रहा है। क्योंकि जिन शौचालयों को बेहद आवश्यक सेवाएं मानते हुए इनके निर्माण की फाइल आगे बढ़ाई गई थी, किंतु निगमायुक्त संदीप माकिन ये भूल गए कि महापौर के न रहने पर वे दो करोड़ रुपए से अधिक की फाइल पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं। ठीक इसी तरह निगम में किराए पर लगे वाहनों के मामले में भी दो करोड़ से अधिक का भुगतान होने पर अधिकारी शंका के दायरे में हैं। इसकी फाइल दो साल से गायब होने पर घोटाले की शंकाएं और भी बढ़ गई है। स्वदेश ने निगम के इन घोटालों को लेकर जनप्रतिनिधियों से चर्चा की है।

थाने में मांगे दस्तावेज, अधिकारी नहीं दे रहे जानकारी-

निगम प्रशासक एमबी ओझा वाहन मशीनरी के व्यय की मूल नस्ती गायब होने के मामले को लेकर सख्त हंै। बीते रोज उनके निर्देश पर नोडल अधिकारी केशव चौहान को एफआईआर के लिए पत्र भी जारी किया है, लेकिन जरूरी दस्तावेज उपलब्ध न होने के कारण पुलिस में एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई थी। नोडल अधिकारी जब दस्तावेज लेने पहुंचे तो अधिकारी उन्हें दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हंै। जिसके चलते थाने में एफआईआर दर्ज नहीं हो पा रही है।

इनका कहना है

शौचालयों और वाहनों के मामले में करोड़ों रुपए की अनियमितता की जांच होना चाहिए। हम जनता के बीच रहते हैं इस तरह के सवाल जब जनता पूछती है तो हम यहीं कहते हैं कि जांच तो होना ही चाहिए।

-विवेक शेजवलकर

सांसद

नगर निगम को नरक निगम बनाने वाले अधिकारियों के खिलाफ समय-समय पर अनियमितताओं के आरोप लगते रहे हंै। शौचालय और वाहन मामले में उच्च स्तरीय जांच होना चाहिए। क्योंकि जब शौचालय बनकर तैयार ही नहीं हुए तो इतनी जल्दबाजी में टेंडर पास कर भुगतान कैसे कर दिया गया।

मुन्नालाल गोयल

पूर्व विधायक

भ्रष्टाचार में डूबे हैं अधिकारी, नहीं करते सुनवाई

निगमायुक्त ने कचरा कर लगा दिया है। नामाकंन की राशि भी बढ़ा दी है, इससे जनता परेशान है। पहले सुविधाएं बढ़ाना चाहिए था। लेकिन निगमायुक्त तो जनता से पैसे निकालना चाहते हैं। बारादरी चौराहे पर पिछले एक साल से सीवर चोक पड़ी है, शिकायत भी की। लेकिन कोई फायदा नही है। नगर निगम के अधिकारी किसी भी तरफ ध्यान नहीं दे रहे हंै। हम जनप्रतिनिधियों को जनता के गुस्से का सामना करना पड़ता है। नगर निगम में जो भ्रष्टाचार हो रहे हैं उनकी जांच होनी चाहिए।

बृजेश गुप्ता

पूर्व पार्षद

मौलिक नीधि की फाइलें स्वीकृत नहीं

नगर निगम में अधिकारियों द्वारा कई भ्रष्टाचार किए जाते हैं। लेकिन इन पर कोई ध्यान नहीं देता है। अधिकारी अगर भ्रष्टाचार करते हैं तो उसकी जांच भी होनी चाहिए। पार्षद कार्यकाल में दो कार्यों के लिए टेंडर हुए थे। मेरी मौलिक नीधि से मेला दुल्लपुर व सामुदायिक भवन में टाइल्स लगनी थी। लेकिन आज तक फाइल स्वीकृत नहीं हुई है। प्रगति विहार में अमृत योजना के तहत सीवर लाइन का काम चल रहा था। लेकिन इसे जानबूझकर बंद करवा दिया गया है। हमनें तो अब फोन लगाने ही बंद कर दिए हैं, क्योंकि निगमायुक्त फोन तक नहीं उठाते। किसी अधिकारी को कोई समस्या बताते हैं तो वह भी अब अनसुना करने लगे है।

चतुर्भुज धनौलिया

पूर्व पार्षद

नगर निगम में हमारी नहीं होती सुनवाई

पिछले तीन माह से पानी के लिए मैंने कई बार निगमायुक्त को फोन किया, लेकिन पानी की समस्या का निराकरण आज तक नहीं हो सका। जब भी फोन लगाते हैं तो बोलते हैं कि वाट्सअप पर डिटेल भेज दो। हमने डिटेल भेज दी है लेकिन कोई फायदा नहीं है। निगम के अधिकारियेां में आपसी तालमेल तक नहीं है। इनकी वजह से आमजनता पिस रही है। वार्ड में बोर स्वीकृत हो चुके हैं लेकिन अभी तक बोरिंग नहीं हो पाई है। वार्ड भूरे बाबा की बस्ती, भैंसा चौकी, लाला का बाजार में पानी की सबसे ज्यादा समस्या है।

धर्मेन्द्र कुशवाह

पूर्व पार्षद

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