ग्वालियर के मिंट पत्थर से बनी "सप्तर्षि की मूर्तिंया" दशहरा पर सीतामढ़ी (सीता रसोई) में होंगी स्थापित

  • बैजाताल स्थित आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर के कलाकारों को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सप्तर्षि की मूर्तिया बनाने का ऑर्डर दिया गया है।
  • सिटी रिपोर्टर - चेतना राठौर

Update: 2023-07-04 12:31 GMT

ग्वालियर/सिटी रिपोर्टर। बैजाताल स्थित आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर के कलाकारों को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा सप्तर्षि की मूर्तिया बनाने का ऑर्डर दिया गया है। जिस पर काम शुरू हो चुका है। ग्वालियर के कलाकार दीपक विश्वकर्मा बताते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है कि भगवान राम ने वनवास के समय जहां-जहां रूककर समय बिताया वहां भगवान राम की प्रतिमा स्थापित की जाएं। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत ही सप्तर्षि की मूर्तियां भी लगाई जाएंगी। इससे पहले भी सरकार द्वारा सेंटर के कलाकार को राम वनगमन पथ के लिए 15 मीटर ऊँची  भगवान की प्रतिमा बनाने का आर्डर दिया गया था। जो छत्तीसगढ़ के रामवन गमन पथ पर लगाई गई हैं।

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अब आर्ट एंड क्राफ्ट सेंटर में सप्तर्षि की मूर्तियां लगभग 6 महीने से बनाई जा रही हैं। जिन्हें ग्वालियर के मिंट पत्थर पर तराशा जा रहा है। मूर्तियों को शहर के 10 कलाकार तैयार कर रहे हैं। पूरे प्रोजेक्ट में लगभग 25 लाख की लागत आएगी। ये सभी मूर्तियां दशहरा पर कोरिया जिले के भरतपुर तहसील के जनकपुर में सीतामढ़ी में लगाई जाएगी।

सीतामढ़ी (सीता रसोई) में स्थापित होंगी सप्तर्षि प्रतिमाएं -


छत्तीसगढ़ के जिला कोरिया के सीतामढ़ी स्थित सीता रसोई में महानदी के तट पर सप्तर्षि की मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। फिलहाल दो मूर्तियां लगाई जा चुकी हैं। पांच मूर्तियां बनाने का काम चल रहा है। जल्द ही काम पूरा करके सीता की रसोई की शोभा बढ़ाएंगी। इन प्रतिमाओं को दशहरा पर स्थापित कर पूजन किया जाएगा।

एक मूर्ति 1 टन वजनी और 6 फीट ऊँची -

सात ऋषि कश्यप, अत्रि, वशिष्ठ, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और भारद्वाज की मूर्तियां योग मुद्र, ध्यान मुद्र, माला जपते मुद्रा, खड़ी मुद्रा में ध्यान करते हुए होंगी। हर मूर्ति 1-1 टन के वजन की और 6 फीट उॅची होंगी। हर काल में अलग-अलग सप्तर्षि हुए हैं। जो मौजूदा काल के हैं उनका पद्मपुराण, विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण समेत कई धर्म ग्रंथों में सप्तर्षियों का उल्लेख है।

बरगद के पेड़ की छाव में दिखेंगे भगवान गौतम बुद्ध-


भगवान गौतम बुद्व को बरगद के पेड़ के नीचे चार मुद्रा में देख सकेंगे। सेंटर में कलाकार दीपक विश्वकर्मा द्वारा बनाई जा रही बरगद पेड़ के नीचे ध्यान मुद्रा में गौतम बुद्व की आकृति देख सकेंगे। एक साल से लगातार काम करने के बाद इसे आकार दिया जा रहा है।

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