सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में बिना ऑपरेशन के होगा पत्थरी का उपचार
डेढ़ करोड़ की लिथोट्रिप्सी मशीन पर किया मरीजों का ट्रायल
ग्वालियर, न.सं.। सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल में भले ही चिकित्सक आने से कतरा रहे हैं। लेकिन उपलब्ध चिकित्सक व संसाधनों का लाभ मरीजों को मिल रहा है। इसी के तहत अब मरीजों को बिना चीर फाड के किडऩी की पत्थरी के उपचार का भी लाभ मिलेगा। क्योंकि अस्पताल में लिथोट्रिप्सी मशीन स्थापित की जा चुकी है, जिसका ट्रायल भी किया जा चुका है।
सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल में डेढ़ करोड़ की लागत से लिथोट्रिप्सी मशीन स्थापित की गई है। इस मशीन की खास बात रहेगी कि इसके जरिए किडऩी की पथरी को किरणों से तोडक़र बाहर निकाला जा सकेगा, इसमें ऑपरेशन की जरूरत नहीं पड़़ेगी। उक्त मशीन को इस्टॉल करने के बाद ट्रायल के रूप में अभी तक 11 मरीजों का सफल उपचार भी किया जा चुका है।
सुपर स्पेशलिटी के यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुरजीत धाकरे ने बताया कि लिथोट्रिप्सी मशीन के आने से जहां इलाज के लिए अस्पताल में आने वाले मरीजों को फायदा होगा, वहीं चिकित्सकों के कामकाज में तेजी जाएगी। इस मशीन के आने से किडऩी की पथरी का ऑपरेशन करवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, बल्कि पथरी को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोडने के लिए अल्ट्रासोनिक ध्वनि तरंगों का उपयोग करते हए इसका चुना बन जाएगा, इसके बाद पेशाब के बाद पथरी को बाहर निकाला जा सकेगा। इससे मरीजों को कोई परेशानी नहीं आएगी। 15 से 20 एमएम की पथरी को भी इस मशीन की तोडकर निकाला जा सकेगा।
अंचल में नहीं यह सुविधा उपलब्ध
जर्मनी से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में आई अत्याधुनिक लिथोट्रिप्सी मशीन डोर्नियर कम्पनी की है। उक्त मशीन अंचल के किसी भी निजी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुरजीत धाकरे ने बताया कि जो अत्याधुनिक व बड़ी मशीन सुपर स्पेशलिटी को मिली है, वह अंचल के किसी भी अस्पताल में उपलब्ध नहीं है। निजी अस्पतालों में जो मशीन उपलब्ध हैं, वह छोटी हैं।
निजी अस्पताल से लगेगा आधा शुल्क
सुपर स्पेशयलिटी में उक्त मशीन से उपचार के लिए मरीजों को शुल्क चुकाना पड़ेगा। सुपर स्पेशयलिटी के अधीक्षक डॉ. जी.एस. गुप्ता का कहना है कि जल्द ही शुल्क निर्धारित कर लिए जाएंगे। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में उक्त मशीन से ऑपरेशन कराने पर 25 से 30 हजार तक चुकाने पड़ते हैं। लेकिन सुपर में आधे दर में ही मरीजों को यह सुविधा उपलब्ध होगी और आयुष्मान में नि:शुल्क रहेगी।
पीसीपीएनडीटी का पंजीयन मिलते ही होगी शुरू
लिथोट्रिप्सी मशीन में अल्ट्रासाउण्ड व एक्सरे भी लगे हुए हैं, जिनकी मदत से पत्थरी को देख कर तोड़ा जाता है। इसलिए अस्पताल प्रबंधन द्वारा एक्सरे का तो पीसीपीएनडीटी में पंजीयन करा लिया गया है, लेकिन अल्ट्राउण्ड का होना बाकी है। डॉ. धाकरे का कहना है कि जल्द ही अल्ट्रासाउण्ड का भी पंजीयन हो जाएगा।
शुल्क निर्धारित होने और पीसीपीएनडीटी में पंजीयन होने के बाद मशीन को शुरू कर दिया जाएगा। जिसके बाद मरीजों को बिना चीर फाड के पत्थरी का उपचार उपलब्ध होने लगेगा।
डॉ. जी.एस. गुप्ता
अधीक्षक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल