प्रदेश में नियम विरूद्व चल रहे नर्सिंग कॉलेजों पर हाईकोर्ट सख्त कहा मेडिकल यूनिवर्सिटी कानून से बड़ी है क्या
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की युगलपीठ ने प्रदेशभर में नियम विरूद्व चल रहे नर्सिंग कॉलेजों की जांच के मामले में सुनवाई|
ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की युगलपीठ ने गुरूवार को प्रदेशभर में नियम विरूद्व चल रहे नर्सिंग कॉलेजों की जांच के मामले में सुनवाई की। युगलपीठ ने मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर की पैरवी कर रहीं अधिवक्ता से कहा कि एमपी की मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी कानून से बड़ी है क्या? यह सब इस यूनिवर्सिटी का किया धरा है और अब भी अपनी हरकत से बाज नहीं आ रहे हैं। यह समझ नहीं आ रहा कि इसे खोलने, की जरूरत क्या थी? मेडिकल कॉलेज ठीक नहीं चल रहे थे क्या? अच्छे खासे मेडिकल कॉलेज प्रदेश में चल रहे थे, अच्छा काम था उनका यह मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी खोलकर सब गड़बड़ कर दिया है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित आर्या और न्यायमूर्ति दीपक कुमार अग्रवाल की युगलपीठ ने की। गुरूवार को सुनवाई के दौरान सीबीआई ने निरीक्षण के बाद चार कैटेगिरी में 140 नर्सिंग कॉलेजों की रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में 50 प्रतिशत कॉलेज नियम विरूद्व संचालित होते पाए गए।
सीबीआई के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि इसके अलावा 169 कॉलेजों का निरीक्षण और किया जाना है, वहीं 55 कॉलेज ऐसे हैं जो सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर में प्रोटेक्टेड हैं। हाईकोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि शेष कॉलेजों का निरीक्षण पूरा करने के लिए कितना समय चाहिए। इस पर सीबीआई ने चार महीने का समय मांगा। जिस पर हाईकोर्ट ने सीबीआई को शेष बचे कॉलेजों निरीक्षण कम से कम समय में करने के निर्देश दिए। एमपी नर्सिंग काउंसिल की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने हाईकोर्ट से कहा कि उन्हें सीबीआई द्वारा निरीक्षण किए गए कॉलेजों की सूची उपलब्ध करवाई जाए, जिससे वह उसे वैरिफाई कर सकें। इस पर हाईकोर्ट ने सीबीआई के अधिवक्ता द्वारा सूची उपलब्ध करवाए जाने के निर्देश दिए। अब मामले की अगली सुनवाई तीन अगस्त को होगी।
सीबीआई रिपोर्ट में आया-
कैटेगरी - | जांच किये कॉलेज - | उचित स्थिति के कॉलेज |
सरकारी नर्सिंग कॉलेज | 8 | 04 |
10 वर्ष और उससे पुराने | 40 | 27 |
5 वर्ष और उससे पुराने | 30 | 30 |
5 वर्ष से कम समय से चल रहे
| 62 | 27 |