ग्वालियर-चंबल अंचल फ़ूड प्रोसेसिंग के लिहाज से अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र : कृषि मंत्री

Update: 2021-03-05 13:44 GMT

 ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल अंचल प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिहाज से अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र है। इनका दोहन करके इस क्षेत्र के छोटे व मझौले किसानों की आर्थिक स्थिति को सशक्त किया जा सकता है। सरकार की फूड प्रोसेसिंग योजनाओं का लाभ उठाकर उद्यमी इस क्षेत्र में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां (फूड प्रोसेसिंग यूनिट) लगाने के लिये आगे आएं। सरकार फूड प्रोसेसिंग प्रोजेक्ट को जल्द मंजूरी दे रही है। ये बात केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, कृषि एवं पंचायतीराज व ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कही। 

वह आज शहर में खाद्य प्रसंस्करण शिखर सम्मेलन को वर्चुअल रूप से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण से जुडक़र किसान भी समृद्ध होंगे। साथ ही उद्यमियों को भी बड़ा फायदा होगा। मध्यप्रदेश में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण के अवसर और समावेशी विकास के लिये निर्माण साझेदारी विषय पर आयोजित इस शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता प्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री भारत सिंह कुशवाह ने की।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर पैकेज के तहत भारत सरकार फूड प्रोसेसिंग की 10 हजार छोटी इकाइयों की स्थापना में मदद देने का निर्णय लिया है। साथ ही कृषि अधोसंरचना पर भी सरकार एक लाख करोड़ रुपये खर्च करेगी। उन्होंने कहा कि ग्वालियर-चंबल अंचल सांस्कृतिक, पुरातात्विक, व्यापारिक क्षेत्र के साथ ही कृषि के क्षेत्र में भी समृद्ध है। यहां गेहूं और धान का उत्पादन तो अच्छा होता ही है दलहन व तिलहन और विशेषकर सरसों के उत्पादन, प्रसंस्करण की भी अपार संभावनाएं हैं। मुरैना, भिण्ड और ग्वालियर में तिलहन प्रसंस्करण के कई उद्योग सुचारू रूप से चल रहे हैं, लेकिन अब इसे और आगे बढ़ाने की जरूरत है।

मुरैना शहद की दृष्टि से आगे - 

उन्होंने कहा कि मुरैना जिला शहद की दृष्टि से भी अग्रणी है। नेफेड ने शहद का एक एफपीओ बनाया है, इसके माध्यम से गुणवत्ता युक्त शहद उत्पादन में वृद्धि, बेहतर पैकेजिंग-मार्केटिंग हो पाएगी। हमारे यहां का शहद देश के साथ दुनिया में भी बिके इसका प्रयास किया जा रहा है।

खाद्य प्रसंस्करण सम्मेलन में ग्वालियर एवं चंबल संभाग पर फोकस रहा। क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी सम्मेलन में साझा की गई। साथ ही उद्यमियों को बिजली और पानी की उपलब्धता, पर्याप्त भंडारण और निवेशकों के लिए परिवहन के बुनियादी ढांचे आदि के बारे में बताया गया। केन्द्रीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, राज्य शासन, एसोचैम और इन्वेस्ट इंडिया की संयुक्त भागीदारी से हुए इस सम्मेलन में विभिन्न फूड प्रोसेसिंग इकाइयों मसलन डाबर, पतंजलि, सांची, आनंद डेयरी व कोकोकोला सहित अन्य कंपनियों एवं फ्लिपकार्ड जैसी खुदरा व्यापार कंपनियों ने हिस्सा लिया और अपनी-अपनी खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के उत्पादों की जानकारी और भविष्य की योजनाओं के बारे में बताया।

दस हजार नए एफपीओ पर सरकार 6 हजार 865 करोड़ खर्च करेगी

केन्द्रीय मंत्री तोमर ने सम्मेलन में जानकारी दी कि किसानों की समृद्धि के लिये भारत सरकार 10 हजार नए एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन) बनायेगी। इन एफपीओ पर सरकार द्वारा 6 हजार 865 करोड़ रुपये खर्च किए जायेंगे। एफपीओ यदि खेती के लिए 2 करोड़ रुपए तक का ऋण लेते हैं तो उन्हें ब्याज में 3 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। उन्होंने कहा कि देश में 86 प्रतिशत छोटे किसान हैं। इन किसानों को उन्नत कृषि तकनीक से जोडऩे और कृषि जोखिम कम करने के लिये सरकार भरपूर मदद कर रही है। इसी कड़ी में सरकार ने 10 करोड़ किसानों के खातों में एक लाख 18 हजार करोड़ रुपये की धनराशि जमा कराई है। इस प्रकार से सरकार हर छोटे किसान को अतिरिक्त आमदनी के रूप में 6 हजार रुपये दे रही है। सरकार ने किसानों की उपज को सुरक्षित रखने और वाजिब दाम दिलाने के लिये गाँव-गाँव तक कोल्ड चैन बनाने का फैसला भी किया है।

इम्युनिटी बूस्टर फसलों में अपार संभावनायें

तोमर ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना काल में ज्वार, बाजरा, कोदो और रागी जैसे अनाज ने इम्युनिटी बूस्टर का काम किया है। पूरी दुनिया इसे स्वीकार कर रही है। इसलिये किसान एवं उद्यमी इन फसलों का प्रसंस्करण कर बड़ा फायदा उठा सकते हैं। सरकार इसमें हर संभव मदद करेगी।

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