Shivpuri : न खुदा ही मिला, न बिसाले सनम..! क्या दिग्विजय की चक्की में पिस गए वीरेंद्र रघुवंशी?

Update: 2023-10-17 01:15 GMT

ग्वालियर। कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी अब मझधार में फंस गए हैं। जिस राजनैतिक फायदे के लिए उन्होंने सत्ताधारी पार्टी को छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ली थी उसी कांग्रेस ने उन्हें भाजपा से बड़ा झटका दे दिया है। न कमलनाथ का सर्वे काम आया और ना जयवर्धन सिंह के साथ जम रही नई-नई दोस्ती। भाजपा में तो उनके लिए टिकट कटने के बाद भी राजनीतिक अवसर खुले हुए थे, लेकिन अब कांग्रेस में जाकर तो वह ऐसे भंवर में फंस चुके हैं जहां से राजनीति पर विराम लगने के संकेत समझ आ रहे हैं। भोपाल में आज उनके समर्थन में पीसीसी ऑफिस पर रघुवंशी समाज ने प्रदर्शन किया, लेकिन जो राजनीति के जानकार हंै वह यह बेहतर समझते हैं कि ऐसे प्रदर्शन मीडिया में जगह बनाने के अलावा कोई परिणामोन्मुखी नहीं रहते हैं।

ऐसे धोखे की सपने में उम्मीद न होगी भाजपा उनका टिकट काट रही थी यह अभी अनुमान भर था, लेकिन वीरेंद्र रघुवंशी इस अनुमान भर से उस भाजपा को छोड़ गए जिसने २०१८ में अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के भारी विरोध के बाबजूद उन्हें कोलारस से टिकट दिया। बेशक वीरेंद्र रघुवंशी की लड़ाका इमेज का भी इसमें अहम योगदान था और वे 2014 में पार्टी में आए थे।

एक फैसले ने बदला परिदृश्य

यशोधरा राजे सिंधिया यूं चुनाव लडऩे से अचानक इंकार कर देंगी इसकी कल्पना किसी को नहीं थी। अगर यह जानकारी पहले होती तो शायद रघुवंशी भाजपा नहीं छोड़ते, क्योंकि तब उन्हें शिवपुरी से टिकट की आशा बनी रहती। भाजपा छोडऩे के बाद भी रघुवंशी को कांग्रेस से टिकट का पूरा भरोसा था, क्योंकि वह कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के वादे पर भाजपा छोड़कर आए थे।

क्या दिग्विजय ने खेल किया है!

शिवपुरी में कांग्रेस के उम्मीदवार केपी सिंह होंगे इसकी किसी को कल्पना तक नहीं थी कल तक। समझा जाता है कि वीरेंद्र सिंह को दिग्विजय सिंह केपी सिंह की टक्कर में शिवपुरी की राजनीति में खड़ा करना चाहते थे इसीलिए वह वीरेंद्र विरोधियों को भोपाल से लेकर दिल्ली तक बुरी तरह फटकार कर भगा रहे थे। अब लोग यह पूछ रहे हैं कि वीरेंद्र का टिकट कैसे कट गया? चर्चा है कि केपी सिंह को टिकट आलाकमान ने दो एंगल से दिया है। पहला तो सिंधिया की उम्मीदवारी को कमतर करने के लिए, दूसरा कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह के निर्णय को इस टिकट के साथ पलट दिया। बताना होगा कि मीडिया में ऐसी खबरें स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक को लेकर सामने आई थी कि दिग्विजय सिंह ओर गोविन्द सिंह कमलनाथ से नाराज होकर बैठक छोड़कर निकल गए थे। जाहिर है केपी सिंह की शिवपुरी से उम्मीदवारी कांग्रेस में अंदरखाने की गुटबाजी में शह मात का नतीजा भी है।

काम न आए दिग्विजय-जयवर्धन

वीरेंद्र रघुवंशी ने पिछले डेढ़ महीने में जयवर्धन सिंह के साथ मिलकर गुना लोकसभा में जमकर दौरे किए। उनसे सरकार के विरुद्ध खूब भाषण कराए गए, लेकिन केपी सिंह का नाम आते ही न दिग्विजय सिंह का वीटो काम आया और न जयवर्धन सिंह के वादे टिकट कटने से रोक पाए। अभी तक कमलनाथ या दिग्विजय सिंह-जयवर्धन का कोई बयान भी वीरेंद्र के साथ हुए इस खेल पर नहीं आया है। ऐसे में लोग यह भी कह रहे हैं कि क्या भाजपा सरकार के विरुद्ध मनोवैज्ञानिक वातावरण बनाने के लिए ही कांग्रेस ने रघुवंशी का टूल की तरह उपयोग किया।

टिकट बदलने के आसार नगण्य

शिवपुरी में केपी सिंह ने कल से ही अपना चुनाव अभियान आरम्भ कर दिया है। उन्होंने टिकट घोषित होने के घण्टे भर बाद ही पिछोर से शिवपुरी की रवानगी डाल दी थी। बांकडे हनुमान मंदिर पर तीन घण्टे अन्य दावेदारों ओर प्रमुख कार्यकर्ताओं से मन्त्रणा की। वे आज भी विधानसभा में एक्टिव रहे। जाहिर है शिवपुरी में केपी सिंह जम गए हैं और अब इस बात की संभावना बहुत ही क्षीण है कि कांग्रेस किसी प्रकार का बदलाव इस सीट पर करेगी। उधर जिले की सभी सीट पर उम्मीदवार भी घोषित कर पार्टी ने रघुवंशी से एक तरह टिकट के मामले में गुडबाय कर लिया है।

पहले सिंधिया अब दिग्विजय-कमलनाथ ने निपटाया

कांग्रेस में रहते हुए वीरेंद्र रघुवंशी सिंधिया पर आरोप लगाते थे। भाजपा में भी वह सिंधिया ओर उनके मंत्रियों को लेकर यही आरोपों की राजनीति कर खुद को विक्टिम की तरह पेश करते रहे। कांग्रेस में उनके साथ जो हुआ वहां अब सिंधिया फैक्टर नहीं है। लोग कह रहे हैं दिग्विजय-कमलनाथ ने यहां भी उन्हें नियोजित तरीके से निपटा दिया।

रघुवंशी का छलका दर्द

मुझे कुचक्र में फंसाया कांग्रेस की सूची जारी होने से पहले तक विधायक वीरेन्द्र पूरे अहंकार और आत्म विश्वास के साथ कह रहे थे कि उनका टिकट शिवपुरी विधानसभा क्षेत्र सेे पक्का है। इसी उम्मीद के साथ वह क्षेत्र में जनसंपर्क में जुट गए थे।

सोशल मीडिया पर जारी किया वीडियो

ऐन वक्त पर कांग्रेस टिकिट से वंचित विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा है कि उन्हें कुचक्रों के जाल में फंंसाया गया है। वीडियो में उन्होंने कहा कि मेरा जीवन संघर्ष में गुजरा है और यह संघर्ष मैंनेे आपके विकास और प्रगति के लिए किया है। वर्तमान में मुुझे फिर कुचक्र में फंसाया गया है। उन्होंंने कहा कि मुझे उम्मीद है, कांग्रेस का शीर्ष नेतृृत्व इस ओर ध्यान देगा और मैं कुचक्रों के जाल से बाहर निकल सकूंगा।

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