मध्यप्रदेश में परिवहन मंत्री का इंतजार और अन्य राज्यों ने दी कर में छूट
40 प्रतिशत तक बढ़ सकता है बसों का यात्री किराया
ग्वालियर, न.सं.। मध्यप्रदेश सहित ग्वालियर में चलने वाली बसों का संचालन पिछले सवा माह से बंद है। बसों के नहीं चलने का मुख्य कारण बस ऑपरेटरों का तीन माह का कर (टैक्स) माफ नहीं होना है। मध्यप्रदेश सहित ग्वालियर के बस ऑपरेटरों को अब प्रदेश में परिवहन मंत्री के बनने का इंतजार है, इसके बाद ही बसों का संचालन होने की उम्मीद है।
उल्लेखनीय है कि मार्च माह में लगे लॉकडाउन के कारण मध्यप्रदेश सहित ग्वालियर में बसों का संचालन बंद हो गया था। एक जून से केन्द्र सरकार की गाइड-लाइन के अनुसार लॉकडाउन पांच में ढील मिलने पर दो जून से 50 प्रतिशत यात्री क्षमता के आधार पर बसों का संचालन करना था, लेकिन बस ऑपरेटरों ने बसों का संचालन नहीं किया। बस ऑपरेटरों की शासन से मांग है कि लॉकडाउन के कारण लगभग ढाई माह तक जो बसें खड़ी रहीं थीं उनका कर (टैक्स) माफ किया जाए। लेकिन सरकार ने अभी तक बस ऑपरेटरों की बात को नहीं माना है और बसों का संचालन बंद है। बसें नहीं चलने के कारण स्थिति यह हो गई है कि बसों की किश्त तक जमा नहीं हो पा रही है। बस नहीं चलने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जब तक मांग नहीं मानेंगे तब तक नहीं चलेंगी बसें
प्राइवेट बस यूनियन के अध्यक्ष जगदीश सिंह गुर्जर ने कहा कि अब हमें मध्यप्रदेश में परिवहन मंत्री के बनने का इंतजार है। इसके बाद ही हमारी समस्याओं को सुना जाएगा और बसों का संचालन होगा। यूनियन के महामंत्री हेम सिंह यादव का कहना है कि राजस्थान सरकार ने बसों पर अप्रैल, मई व जून का कर माफ कर दिया है। इसके साथ ही जुलाई, अगस्त व सितम्बर माह के कर में राहत भी प्रदान की है। श्री सिंह ने कहा कि लॉकडाउन की अवधि का हमारा कर माफ नहीं किया जाता है तब तक हम बसों का संचालन नहीं करेंगे।
बढ़ जाएगा किराया
कोरोना वायरस के कारण बसों में कम सवारी बैठाने एवं डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि के कारण भविष्य में यात्री बसों का किराया 40 प्रतिशत तक महंगा हो सकता है। मान लीजिए कि जिस स्थान का किराया 100 रुपए लगता था, वह अब 140 रुपए लगेगा।
इनका कहना है
'कुछ बस ऑपरेटरों ने बस चलाई भी थी, लेकिन लोग बसों की यात्रा करने से बच रहे हैं। इसलिए भी बसों का संचालन नहीं हो पा रहा है। रही बात कर माफ करने की यह तो शासन स्तर का मामला है। इस संबध्ंा में सरकार को ही निर्णय लेना है।
एस.पी.एस. चौहान, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी