किसान उत्पादक कंपनी से मिलेगा गांवों में श्रमिकों को रोजगार
वेबिनार में बोले कृषि वैज्ञानिक
ग्वालियर, न.सं.। आज आवश्यकता है कि हम गांवों में कृषि से संबंधित रोजगार का ढांचा तैयार करें एवं किसानों को इसके लिए प्रोत्साहित करें। किसान उत्पादक कंपनी गांव में खेती के अलावा रोजगार के अवसर बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है। किसान उत्पादक कंपनी का निर्माण सभी पक्षों का ध्यान रखकर पूरी सावधानी से करना चाहिए।
यह बात सह्यद्रि फाम्र्स और किसान उत्पादक कंपनी पुणे महाराष्ट्र के चेयरमैन विलास शिंदे ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किसान उत्पादक कंपनी से स्व-रोजगार के अवसर विषय पर आयोजित वेबिनार में कही। श्री शिन्दे ने देश की इस सफलतम किसान उत्पादक कंपनी की सफलता की कहानी के बारे में प्रतिभागियों को बताया। विवि के कुलपति प्रो. एस.के. राव ने कहा कि खाद्य सुरक्षा, मृदा स्वास्थ्य आदि की दिशा में कृषि उत्पादक कंपनी भविष्य में अत्यंत उपयोगी हो सकती है। इससे कृषि जगत की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति होगी। मध्य भारत कंसोर्टियम ऑफ फार्मर प्रोड्यूसर कंपनीज भोपाल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी योगेश द्विवेदी ने विभिन्न किसान उत्पादक कंपनी आपस में कैसे एक दूसरे को लाभ पहुंचा सकती हैं इस विषय में सारगर्भित जानकारी दी।
वेबिनार में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के सहायक महाप्रबंधक संजीव रमन ने किसान उत्पादक कंपनी को प्रोत्साहित करने वाली सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी। चम्बल फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नरेंद्र सिंह तोमर ने कोविड-19 के दौरान किसानों और उपभोक्ताओं की जो मदद की उसकी सराहना सभी ने की। राष्ट्रीय कामधेनु आयोग, नई दिल्ली के सलाहकार डॉ. के.पी. सिंह भदौरिया ने किसान उत्पादक कंपनी के प्रबंधन और योजनाओं में आने वाली व्यवहारिक कठिनाइयों के बारे में चर्चा की और समाधान के उपाय सुझाए। डॉ. सुधीर सिंह भदौरिया ने जानकारी देते हुए बताया कि किसान उत्पादक कंपनी बनाने के इक्छुक लोग विश्वविद्यालय में संपर्क कर सकते हैं। विवि के पूर्व कुलपति डॉ. विजय सिंह तोमर, विशेष रूप से उपस्थित थे।
बारिश के पानी को सहेजेगा कृषि विश्वविद्यालय-
लाखों लीटर बारिश का पानी न केवल हमारी धरती माता की प्यास बुझा सकता है बल्कि वह हमारे भूमिगत जलस्तर को भी बढ़ाने में महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय में मुख्य प्रशासनिक भवन, कृषि महाविद्यालय, पुराने व नवीन कन्या छात्रावास से लेकर कृषि विज्ञान केन्द्रों में रैन वाटर हार्वेस्टिंग की प्रणाली बरसात से पूर्व विकसित की जा चुकी है। इस प्रणाली से इस मानसून सीजन में लाखों लीटर पानी से भूमिगत जलस्तर में वृद्धि होने की उम्मीद है। कार्यपालन यंत्री डॉ. एच.एस. भदौरिया ने बताया कि कृषि विवि अंतर्गत मुख्य प्रशासनिक भवन, लायबे्ररी सहित 12 स्थानों पर रुफ वाटर हार्वेस्टिंग एनबीसीसी के माध्यम से की जा रही है। इससे समूचे परिसर का वाटर लेवल बढ़ सकेगा। इसके साथ ही कृषि महाविद्यालय में पुराने कुए में वाटर हार्वेस्टिंग प्रणाली जोड़ी गई है। इसमें महाविद्यालय की छत के दायीं और बायीं दोनों ओर के अलावा एमबीए बिल्डिंग की छत का पानी जमीन में उतारा जा सकेगा। इससे आसपास के ट्यूबवैल प्रारंभ होने के साथ कुएं में भी पानी आने की उम्मीद है।