89 दिन बाद ग्वालियर आया योगा थेरेपिस्ट प्रबल का शव

संदिध परिस्थितियों में हुई थी मौत

Update: 2024-03-19 01:45 GMT

ग्वालियर।  ग्वालियर के योगा थेरेपिस्ट प्रबल कुशवाह का शव 89 दिन बाद चीन के बीजिंग से ग्वालियर लाया गया है। चीन में भारतीय दूतावास के हस्तक्षेप के बाद यह संभव हो सका है। सोमवार शाम को योगा थेरेपिस्ट का गमगीन माहौल के बीच अंतिम संस्कार किया गया है। अपने कलेजे के टुकड़े को 89 दिन बाद कफन में लिपटा देख माता पिता के सब्र का बांध टूट गया और वह फूट फूटकर रोने लगे। 19 दिसंबर पिता ने आखिरी बार इकलौते बेटे प्रबल से बात की थी। उसके बाद से कोई संपर्क नहीं हुआ था। कुछ दिन बाद जब उसकी एक दोस्त से बात हुई तो पता लगा कि उसकी मौत हो चुकी है। योगा थेरेपिस्ट की मौत की परिस्थितियां संदिग्ध प्रतीत हो रही थीं और वहां उसे उसे सुसाइड बताया गया था।

योगा थेरेपिस्ट प्रबल कुशवाह की चीन में दिसंबर 2023 में मौत हुई थी। माधौगंज स्थित रॉक्सी पुल निवासी सुरेन्द्र कुशवाह टैक्सी चालक हैं। उनका इकलौता बेटा प्रबल कुशवाह पेशे से योगा थेरेपिस्ट था और फरवरी 2023 में प्रबल को चाइना के बीजिंग से योग सेंटर में नौकरी के लिए ऑफर मिला था। भविष्य को संवारने की खातिर टर्निंग प्रबल कुशवाह नौकरी के लिए चीन चला गया। चीन में नौकरी करने से पूरा परिवार खुशी से फूले नहीं समा रहा था। 19 दिसंबर 2023 को प्रबल की पिता से बात हुई थी। इसके बाद से उसका लगातार फोन बंद आ रहा था। परिजन को शंका हुई तो उन्होंने चीन बुलाने वाली सू.चाइना व मिस रोजी से संपर्क किया। लेकिन इन्होंने ने भी फोन नहीं उठाया। इसके बाद जब संपर्क हुआ तो उन्होंने बताया कि प्रबल ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है। इस सूचना के बाद से पूरा परिवार सदमे में था। प्रबल सिंह के परिजन भारतीय दूतावास से शव ग्वालियर लाने की मदद की गुहार लगा रहे थे। 89 दिन बाद शव परिजनों को मिल सका है।

बचपन से ही प्रतिभावान था प्रबल

प्रबल के पिता सुरेंद्र कुशवाहा ने बताया था कि उनके बेटे को बचपन

से ही योग का काफी शौक था। उसने बेंगलुरु से इसका कोर्स भी किया।

उसने चाइनीज सहित कई भाषाओंं को सीखा था, ताकि बाहर देश में जाकर योग

सिखा सके। उसे चीन के बीजिंग शहर से प्रस्ताव आया था। प्रबल इकलौता बेटा होने पर चीन भेजने पर मन में डर था लेकिन उसकी तरक्की के लिए दिल पर पत्थर रख लिया था। हम यह नहीं जानते थे कि अब कभी हमारा प्रबल लौटकर ही नहीं आएगा। प्रबल का शव वापस लाने के लिए प्रधानमंत्री से लेकर केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया स्थानीय विधायक से गुहार लगाई थी। लेकिन भारतीय दूतावास ेके मदद से चीन से शव हमें मिल सका है।

तीन महीने से घर में पसरा है मातम

प्रबल की मौत के बाद परिवार में गमगीन माहौल था। उनके माता पिता बेहद सदमे में थे। सोमवार को लगभग 89 दिन बाद योगा थेरेपिस्ट का शव ग्वालियर लाया गया। शव के घर पहुंचते ही चीख पुकार मच गई। माधौगंज के रॉक्सीपुल के पास माहौल बेहद गमगीन हो गया। माता पिता का रो रोकर बुरा हाल था। प्रबल का शव काला पड़ चुका था। जिसको परिजन भी देख कर हैरान थे और उनकी नजर शव पर नहीं टिक पा रही थी उसकी हालत काफी खराब हो चुकी थी।

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