वेबडेस्क। इस वर्ष गणेश चतुर्थी प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है। इस पर्व में सभी देवताओं में प्रथम पूज्य भगवान श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए जगह जगह स्थापना कर पूजा अर्चना की जाती है।श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय मेके ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी ने बताया कि इस वर्ष भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि का आरंभ 30 अगस्त 2022 को दोपहर 3 बजकर 34 मिनट पर होगा । वहीं चतुर्थी तिथि अगले दिन 31 अगस्त को दोपहर 3 बजकर 23 मिनट पर समाप्त हो जाएगी । इसीलिए इस वर्ष गणेश उत्सव की शुरुआत बुधवार के दिन से हो रही है और बुधवार का दिन गणपति जी को समर्पित है । साथ ही गणेश चतुर्थी पर रवि योग का संयोग भी बन रहा है इन दो विशेष योग की वजह से गणेश चतुर्थी का महत्व और बढ़ गया है । मान्यता है कि रवि योग में गणपति बप्पा की पूजा करने से सभी कष्टों का नाश हो जाता है । डॉ तिवारी के अनुसार गणपति जी भक्तों के सारे दुख हर लेते हैं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रवि योग में सभी अशुभ योगों के प्रभाव को समाप्त करने की शक्ति होती है । इन 10 दिनों में भगवान गणेश जी को अलग अलग वस्तुओ का भोग लगाया जाता है। इससे घर में सुख और समृद्धि आती है।
दस दिनों में इन 10 वस्तुओ का लगायें भोग -
ज्योतिषाचार्य डॉ तिवारी बताते है कि गणपति बप्पा को मोदक बहुत ही पंसद हैं। इसलिए भगवान गणेश के जन्मोत्सव के पहले दिन मोदक का भोग लगाना चाहिए। दूसरे दिन गणपति बप्पा को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। तीसरे दिन भगवान गणपति जी को मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं। भगवान गणेश को केले का भोग लगाना अच्छा माना जाता है। इसलिए चौथे दिन केले का भोग लगाना चाहिए। गणपति बप्पा को पांचवें के दिन मखाने की खीर का भोग लगायें। गणेश चतुर्थी के छठे दिन भगवान गणेश को मेवे का भोग लगाना चाहिए। गणेश चतुर्थी के सातवें दिन नारियल से बने लड्डू का भोग लगाएं। गणेश चतुर्थी पूजा के आठवें दिन दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। गणेश चतुर्थी पूजा के नौवें दिन केसर से बनाएं गए श्रीखंड का भोग लगाएं। भगवान गणेश की पूजा के दसवें दिन आप भगवान गणेश को मालपुओं का भोग लगाएं। भगवान गणेश की पूजा के अन्तिम दिन आप तरह तरह के मोदक का भोग लगाएं।