लव जिहाद की आग

अजय पाटिल

Update: 2020-11-29 10:21 GMT

सच है जहां लव है वहां जिहाद का क्या काम? लव तथा जिहाद एक साथ कैसे चल सकते हैं? हाथ में हाथ डाले। ऐसा होना नहीं चाहिए। क्योंकि लव तो सिर्फ चिरस्थायी होता है। समय के साथ यह बढ़ता ही जाता है। यह हमारी धारणा है। यह हिंदू समाज की धारणा है। शायद सभी की धारणा यही होनी चाहिए। पर क्या वास्तविकता में ऐसा हो रहा है। प्यार एक ऐसी अनुभूति है यह एक ऐसी मन: स्थिति है, एक ऐसी भावना है जिसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। ना ही सम्प्रदायों की सीमाओं में। पर कुछ सम्प्रदाय विस्तार वादी लोगों ने लव के साथ जिहाद जैसा शब्द जुड़वा दिया। जिसकी आग में सैकड़ों हिन्दू युवतियां झुलस रही हैं।

दो विभिन्न सम्प्रदायों के युवक युवती यदि प्रेम विवाह का रास्ता चुनते हैं तो इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। शर्त यह है कि ऐसे विवाह की बुनियाद विशुद्ध प्रेम पर टिकी हो। पूरी पारदर्शिता के साथ। पर जब ऐसे प्रेम विवाह में प्रेम सिर्फ दिखावा निकले। शिकारी का बिछाया एक जाल साबित हो। विवाह का अंत शारीरिक व मानसिक प्रताडऩा से हो तो इसे प्रेम विवाह की उपमा तो कतई नहीं दी जा सकती। उसे तो लव जिहाद ही कहा जाना चाहिए। फिर दोहराता हूं प्रेम तो चिरस्थायी होता है।

हिंदुओं में शादी एक धार्मिक संस्कार है। हिन्दू विवाह एक ऐसी संस्था है जो एक विशेष तरह की पारिवारिक भावना पर टिकी रहती है। लव एट फस्र्ट साइट की अवधारणा का कोई बहुत बड़ा महत्व नहीं रखती हैं। मैं इसका विरोधी नहीं हूं पर यह भी हम अपने परिवार में देखते हैं कि हमारे माता-पिता दादा-दादी इनकी शादी लव मैरिज नहीं थी। फिर भी उनका अटूट रिश्ता, एक एक पल एक दूसरे को सहारा देना। असीम प्रेम करना यह दर्शाता है कि पारंपरिक भारतीय विवाह का आज भी कोई तोड़ नहीं है। ऐसे विवाहों में प्रेम निरंतर बढ़ता ही जाता है। इसके साथ पूरी पारदर्शिता व परस्पर विश्वास की बुनियाद पर टिके प्रेम विवाह भी बेहद सफल रहे हैं।

मुस्लिम धर्म में विवाह एक संविदा है एक कॉन्ट्रेक्ट है। बस यही अवधारणा मुस्लिम समाज में सभी समस्याओं की जड़ है। जब विवाह को एक संविदा या कॉन्टे्रक्ट ही मान लिया जाए तो इसमें परस्पर प्रेम की जगह ही कहां बचती है। बस यहीं जन्म होता है एक बेहद घटिया सोच लव जिहाद का। यह मुस्लिम विस्तार वाद का अवयव मात्र है।

अभी हालिया घटित एक घटना मुस्लिम विस्तारवादी अवधारणा को पुष्ट करती है। आर्मेनिया का जो क्षेत्र मुस्लिम अजरबैजान के कब्जे में चला गया है, वहाँ के ईसाई अपने घर जलाकर भाग रहे हैं। उन्हें सामूहिक हत्या व ईसाई महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार की धमकी दी गई।

लेकिन वे कुछ और भी कर रहे हैं। वे अपने पुरखों की कब्रें भी साथ ले जा रहे है। उन्हें पता कि कब्रों में दफन मुर्दों के साथ भी दरिन्दगी की जाएगी।

अगर आप को आश्चर्य है कि ये 2020 में हो रहा है तो जान लीजिये कि वास्तव में ये चौदह सौ वर्ष से यही हो रहा है।पाकिस्तान में अहमदियों के क़ब्रिस्तान के चारों ओर दीवार खड़ी कर बंदूकधारी तैनात रहते हैं और पाकिस्तान के सभी कब्रिस्तानों में जब किसी युवा लड़की के शव को दफऩाया जाता है तो परिवार कई सप्ताह तक पहरा देता है ताकि शव को निकाल कर उसके साथ कोई दुष्कर्म न करे।

हिन्दू, यहूदी व पारसियों को छोड़ कर मुस्लिम मजहब जबरदस्त विस्तारवादी सोच रखता है। आज से नहीं शताब्दियों से। आज के युग में जब हम शक्तिशाली भारत को देखते हैं तब किसी सम्प्रदाय पर प्रत्यक्ष आक्रमण कर अपने संप्रदाय का संख्या बल बढ़ाना संभव नहीं है इसकी काट के रूप में लव जिहाद सामने आया। लचर कानूनों का फायदा उठा कर हिन्दू लड़कियों का जबरदस्ती धर्म परवर्तन करवा कर उनसे शादी करना, उन्हें प्रताडऩा देना व छोड़ देना।

कम पढ़ीं लिखी, समाज के निम्न स्तर की लड़कियों को अपने हाथ कलावा बांध कर, हिन्दू नाम रखकर मुस्लिम युवाओं द्वारा बहलाना फुसलाना व शादी के लिए मजबूर करना देश में समय समय पर देखा गया है। पर आज बेहद चिंतित करने वाली बात यह है कि लव जिहाद की यह भीषण आग हिन्दू समाज के उच्चतम वर्ग तक पहुंच चुकी है।

यूपीएसी की वर्ष 2015 की परीक्षा में टॉपर टीना डाबी व दूसरी नंबर पर रहे अतहर आमिर ख़ान का प्रेम विवाह पुन: चर्चा में है। अंतिम चयन के बाद टीना डाबी व अतहर आमिर की मुलाकात दिल्ली के कार्मिक व प्रशिक्षण विभाग कार्यालय में 2016 में हुई। वहीं दोनों के बीच कथित प्रेम हुआ। 20 मार्च 2018 को दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली। महज़ ढाई वर्षों के बाद दिनों ने जयपुर के फैमिली कोर्ट में तलाक की अर्जी दी है।

प्रेम का जीवन महज ढाई वर्ष। इसे प्रेम विवाह तो कतई नहीं कहा जा सकता। सच है विश्व में प्रेम से बड़ा कोई मजहब नहीं। किसी भी मजहब के युवा व युवती को कोई कानून प्रेम विवाह से नहीं रोक सकता। रोका नहीं जाना चाहिए। कोई भी सरकार सच्चे प्रेम विवाह को रोकने के लिए कोई कानून बना भी नहीं सकती। पर किसी हिन्दू लड़की को मुसलमान बनाने के लिये शादी का स्वांग रचना या ऐसी कोई शादी भय, लालच, दुष्कर्म, बहकावे, छल के आधार पर हो उसे लव जिहाद की संज्ञा दी जानी चलिए। इसे रोकने के लिए सख्त कानून बनने ही चाहिए। पिछले करीब 10 वर्षो में केवल केरल और कर्नाटक में लगभग 4000 ईसाई लड़कियों को जबरन मुसलमान बनाया गया ऐसा आरोप वहां के पादरी लगाते हैं।

मध्यप्रदेश का शासकीय आंकड़ा बताता है कि सिर्फ भोपाल में ही प्रति सप्ताह 4 आवेदन धर्म परिवर्तन के आते हैं। वहीं चोरी-छिपे बेटियों को बहला-फुसलाकर भगाने के अनगिनत मामले सामने आते रहते हैं। सिर्फ मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की यह भयावह स्थिति है तो देश भर में हालात की कल्पना आसानी से की जा सकती है।

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा लव जिहाद के खिलाफ लाया गया अध्यादेश स्वागत योग्य है। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त देश में अन्य प्रदेशों की सरकारें भी इस तरह के कानून को लाने की स्थिति में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। ऐसा कानून हिंदू तथा मुस्लिम दोनों ही धर्मों के लिए अति उपयोगी है। इससे हिंदू युवतियां छले जाने से बचेंगी। वहीं लव जिहाद के नाम पर बदनाम हो रहा मुस्लिम सम्प्रदाय इस कलंक से कुछ राहत महसूस करेगा।

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