हर साल 2 अक्टूबर को हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी को याद करते हैं। ये दिन हमें राष्ट्र के प्रति समर्पित और आत्मार्पित होने की सीख देता है। इस वर्ष गांधी जयंती इस लिहाज से अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि भारतीय संसद ने इस बार 'नारी शक्ति वंदन विधेयकÓ पारित कर नारी सशक्तिकरण की दिशा में मिसाल कायम की है। गांधी जी के जीवन में मातृशक्ति का विशेष योगदान रहा है और उन्होंने विधायिका में महिला भागीदारी बढ़ाने की आवाज कई बार बुलंद की थी।
दरअसल महात्मा गांधी अपनी पीढ़ी के उन चुनिंदा शख्सियत में से एक थे, जिन्होंने भारतीय समाज में महिलाओं की केंद्रीय भूमिका को उस वक्त पहचाना। जब कांग्रेस के अंदर महिला भागीदारी और सवालों को लेकर कोई स्पष्ट रूपरेखा नहीं थी। 1931 में आयोजित दूसरे गोलमेज सम्मेलन में महात्मा गांधीजी ने विधायिका में महिला आरक्षण के पक्ष में कहा था कि, 'मैं उस विधायिका का बहिष्कार करूंगा, जिसमें महिला सदस्यों की उचित हिस्सेदारी नहीं होगी।Ó गाँधीजी के इस विचार से हम समझ सकते हैं कि सामाजिक जीवन में महिलाओं की हिस्सेदारी को लेकर औपनिवेशिक काल में गांधी जी कितने मुखर थे।
गांधीजी अक्सर कहते थे कि, महिला-पुरुष की संयुक्त साझेदारी के बिना महिला सशक्तीकरण संभव नहीं है। उनके अनुसार, यह साझेदारी आर्थिक, राजनीतिक और शैक्षिक स्तर पर महिलाओं को मजबूत बनाये बिना संभव नहीं है और यह आज का सुखद आश्चर्य है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन सभी पहलुओं पर मातृशक्ति को मजबूत बनाने में अनवरत प्रयास कर रहे हैं। अपने पहले कार्यकाल में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मातृशक्ति को जगद्धात्री के रूप में समाज में स्थापित करने की शुरुआत की। 'लैंगिक न्यायÓ की जो परिकल्पना गांधी जी ने आजादी के पूर्व की थी। उसे मूर्तरूप देने का काम आजादी के अमृतकाल में किया गया। ऐसे में नि:संदेह जब भारत देश अपनी आजादी का शताब्दी वर्ष मना रहा होगा तो मातृशक्ति के उस महोत्सव में पूरी भागीदारी होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एजुकेशन, इम्पलायमेंट एवं एम्पावरमेंट को आधार बनाकर विकास की मुख्यधारा में महिलाओं को लाने का कार्य किया है। आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से कमतर नहीं नजर आती हैं। चंद्रयान की सफलता में भी नारी शक्ति का अहम योगदान रहा। तभी तो रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता का श्रेय भारत की नारी शक्ति को दिया और राष्ट्र को एक नई पहचान प्रदान करने के लिए उनके समर्पण और बलिदान की सराहना की। इतना ही नहीं उन्होंने 'नारी शक्ति वंदनÓ विधेयक को इसरो की महिला वैज्ञानिकों के साथ-साथ संपूर्ण महिला वैज्ञानिक समुदाय के लिए कृतज्ञ राष्ट्र का उपहार बताया। जो यह दर्शाता है कि वर्तमान समय में नारी शक्ति के स्वाभिमान को कितना महत्व दिया जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनधन योजना के माध्यम से मातृशक्ति को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का बीड़ा उठाया। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत महिलाओं को घर की चाबी सौंपकर महिलाओं को आर्थिक अधिकार दिलाया। तीन तलाक से निजात दिलाकर मुस्लिम महिलाओं के जीवन में नई उमंग और सामाजिक समरसता का बीजारोपण किया। स्वच्छता अभियान के माध्यम से यह संदेश दिया कि घर और समाज को स्वच्छ रखने की जिम्मेवारी सिर्फ महिलाओं की नहीं, अपितु पुरुषों का भी इसमें योगदान होना चाहिए। बेटी-पढ़ाओ, बेटी बचाओ योजना ने लड़कियों को पढ़ने-पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया। 9.6 करोड़ महिलाओं को उज्ज्वला योजना के अंतर्गत लाकर महिलाओं के जीवन पर छाए संकट के बादल को न सिर्फ दूर किया गया, बल्कि उनके जीवन में नया उजाला लाने का प्रयास हुआ। ताकि महिलाएं भी बेहतर और सुरक्षित जीवनयापन कर सकें। ऐसे में कहीं न कहीं महात्मा गांधी जी ने महिलाओं के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक अधिकारों की जो लड़ाई आजादी के पूर्व शुरू की थी। वह वर्तमान में छायादार वृक्ष बनकर फलीभूत हो रही है ।
(लेखिका स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)