क्या पूजा साम्प्रदायिक और इबादत सेकुलर?

विदेशी अखबारों के झरोखे से

Update: 2024-02-04 20:17 GMT

डॉ. सुब्रतो गुहा

पूजा साम्प्रदायिक-इबादत सेकुलर:

भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के वाराणसी शहर स्थित ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में हिंदुओं को पूजा करने की अनुमति वाराणसी जिला न्यायालय ने प्रदान की है। न्यायालय की इस अनुमति से भारतीय समाज में धार्मिक तनाव बढ़ने के साथ ही अन्य मुस्लिम धर्मस्थलों पर हिंदुओं के दावे की संभावनाएं भी बन गई है। उन्नीस सौ तिरानवे तक ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में नियमित पूजा होती रही थी। उधर मस्जिद समिति का दावा है कि विगत पांच सौ वर्षों से ज्ञानवापी मस्जिद में विगत बत्तीस वर्षों से प्रबंधक का कार्य कर रहे सईद मोहम्मद यासीन ने मीडिया को बताया-'न्यायालय का निर्णय मुस्लिम विरोधी और निराशाजनक है। हिंदुओं का उन्नीस सौ तिरानवे तक ज्ञानवापी परिसर में पूजा का दावा झूठ है एवं औरंगजेब के समय से ही यहां केवल नमाज पढ़ी जाती रही है। ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मिलने का दावा भी झूठा है। न्यायालय और जांच एजेंसियां हिंदुओं के पक्ष में तथा मुस्लिमों के विरुद्ध कार्य कर रही है। भारत में मुसलमानों को न्याय मिलने की कोई आशा नहीं है।

- द गार्जियन, लंदन ब्रिटेन

(टिप्पणी-भारत सरकार के आरकाइंज में मुगल बादशाह औरंगजेब का दिनांक अठारह अप्रैल सोलह सौ उनहत्तर (1669) का वह शाही फरमान आज भी उपलब्ध है, जिसमें काशी विश्वनाथ मंदिर तोड़कर एक मस्जिद के निर्माण का आदेश था। दिनांक दो सितम्बर सोलह सौ उनहत्तर को औरंगजेब के सिपहसालार द्वारा औरंगजेब को लिखा पत्र भी उपलब्ध है जिसमें उल्लेख है कि शहंशाह के आदेशानुसार काशी विश्वनाथ मंदिर तोड़ने का कार्य पूर्ण हुआ है। वाराणसी जिला न्यायालय एवं तत्पश्चात इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार विगत छह माह के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद एवं परिसर की वैज्ञानिक जांच से दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं की आकृतियों के साथ ही दर्जनों प्राचीन मूर्तियां मिली हैं। मूर्ति पूजा विरोधी इस्लाम धर्म की मस्जिद में देवी-देवताओं की मूर्तियां कैसे आई, कब आई, क्यों आई? इन प्रश्नों के उत्तर में ही ज्ञानवापी मंदिर या मस्जिद-इसका राज निहित है।)

कहीं दीपक जले-कहीं दिल जले

दिनांक 22 जनवरी को भारत के अयोध्या शहर में भव्य श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए एक बहुत बड़ी जीत है तथा उनकी भारतीय जनता पार्टी के द्वारा अपने मतदाताओं से दशकों पूर्व किए गए एक प्रमुख वादे को पूरा करने का भी सूचक है। इससे मोदी और उनकी पार्टी का हिंदू राष्ट्रवादी जनाधार बढ़ेगा तथा सुदृढ़ होगा और आगामी वर्षों में ईसाईयों के लिए जो महत्व वेटिकन सिटी का है, वहीं महत्व विश्व के हिंदुओं के लिए अयोध्या का राम मंदिर अर्जित करेगा। परन्तु इससे अतीत के हिंदू-मुस्लिम हिंसक संघर्षों की यादें भी ताजा होंगी और तनाव बढ़ेगा। साथ ही अब भारत अपने सेकुलर बुनियाद को त्याग कर हिंदू राष्ट्र की पहचान की ओर बढ़ चला है।

- द न्यूयार्क टाइम्स, अमेरिका

(टिप्पणी-सन् 1528 में मुगल बादशाह बाबर के सेनापति मीर बाकी द्वारा अयोध्या में प्रभु श्रीराम के जन्म स्थान पर निर्मित भव्य मंदिर को तोड़कर बाबरी ढांचे के निर्माण के बाद से लगभग चार लाख सनातनधर्मी-निष्ठावान हिंदुओं ने अपना बलिदान दिया, तन-मन-धन न्यौछावर किया-आंखों में यही आशा लिए कि भव्य मंदिर में पुन: अपने प्रभु का दर्शन करेंगे। अब देखिए, वामपंथियों और जिहादियों द्वारा असहिष्णु घोषित हिंदू इतने असहिष्णु हैं कि जनसंख्या में अस्सी प्रतिशत होने के बावजूद बलपूर्वक अपना अधिकार स्थापित नहीं किया, बल्कि न्यायालयीन लड़ाई लड़कर दिनांक नौ नवम्बर दो हजार उन्नीस को जीत हासिल की जब सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय मंदिर के पक्ष में आया और उसी जीत का भौतिक प्रकटीकरण बाईस जनवरी को हुआ। उस अविस्मरणीय तिथि के बाद से ही निष्ठावान सनातन धर्मी घरों में दीपक जला रहे हैं- जिसे देखकर सेकुलर झंडाबरदारों के दिल जल रहे हैं, क्योंकि उनकी सेकुलर नजरों में पूजा साम्प्रदायिक है जबकि नमाज व खुदा की इबादत सेकुलर है।)

निशाने पर सनातन धर्म

''हिन्दुओं द्वारा अन्य धर्मावलंबियों के विरुद्ध नफरती घटनाओं के समाचार प्रसारित करने वाले इन्टरनेट वेबसाइट-'हिंदुत्व वाचÓ का भारत सरकार ने भारत में प्रसारण रुकवा दिया है तथा उसकी एक्स अर्थात ट्वीटर एकाउन्ट को भी अवरुद्ध करवा दिया है। हिंदुत्व वाच वेबसाइट का मुख्यालय अमेरिका में है तथा उदारवादियों द्वारा संचालित यह वेबसाईट भारत में मुस्लिमों तथा अन्य अल्पसंख्यकों के हिंदुत्ववादियों के हाथों प्रातड़ना की घटनाओं को प्रमुखता से उजागर करता रहा है। इसी प्रकार हिंदुत्ववादियों के अल्पसंख्यक विरोधी नफरती बयानों और भाषणों को उजागर करने वाली इन्टरनेट वेबसाइट-इण्डिया हेट लेब भी अब भारत में रुकवा दी गई है। उक्त दोनों वेबसाइट के संस्थापक रकीब हामिद ने हमारे संवाददाता से कहा कि भारत सरकार द्वारा उनके वेबसाईट भारत में अवरुद्ध करवाने के भारत सरकार के कदम के विरूद्ध कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। भारतीय उदारवादी बुद्धिजीवियों ने भारत सरकार के कदम को सेन्सरशिप तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आक्रमण निरूपित किया है।ÓÓ

- अल जजीरा, दोहा, कतर

(टिप्पणी-कुछ सेकुलर उदारवादी परिभाषाओं पर ध्यान दीजिए-जय श्रीराम का नारा साम्प्रदायिक उन्माद का परिचायक जबकि गुस्ताखे रसूल की एक ही सजा- 'सर तन से जुदा, सर तन से जुदाÓ नारा धर्मनिष्ठा का परिचायक, जय श्रीकृष्ण जय भोलेनाथ इत्यादि भयावह, हिंसक उद्घोष जबकि अल्लाहो अकबर महान धार्मिक उद्घोष मंदिर की घंटियों से ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है, लाउडस्पीकर पर अजान या नमाज से ध्वनि प्रदूषण नहीं, सुमधुर ध्वनि उभरती है। इसे दोहरे मापदंड की पराकाष्ठा कहें या कुछ और?)

(लेखक अंग्रेजी के सहायक प्राध्यापक हैं)

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