इस सप्ताह चल रहे इज़राइल-हमास युद्ध से तनाव में और बढ़ोतरी देखी गयी वहीं उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच प्रतिद्वंद्विता में नया मोड़ आया क्योंकि उत्तर कोरिया ने अपने पश्चिमी तट से दक्षिण कोरिया के येओनपयोंग द्वीप की ओर 200 से अधिक राउंड तोपखाने के गोले दागे। सुखद यह देखना रहा कि चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक क्षेत्रों में बड़ी सफलता हासिल करने के लिए भारत और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की। विभिन्न विशेषज्ञों के इस दावे के बावजूद कि आज के जटिल परस्पर निर्भरता और बहुपक्षवाद के समय में युद्ध अपरिहार्य नहीं है, न केवल रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हुआ, बल्कि इज़राइल और हमास के बीच लेवांत क्षेत्र में युद्ध का एक और रंगमंच खुल गया। हर गुजरते दिन के साथ यह और अधिक जटिल और बहुआयामी होता जा रहा है। इसने दुनिया में अन्य संघर्षों को भी उकसाया है और लॉबी राजनीति को बढ़ावा दिया है। वैश्विक राजनीतिक भूलभुलैया के बीच, मीडिया जगत से इस खबर का आना कि चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने वैश्विक राजनीति में भारत की शक्ति और भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों की प्रशंसा की है, भारतीयों के लिए उत्साह का विषय बना। ग्लोबल टाइम्स ने नरेंद्र मोदी को वैश्विक स्तर पर 'भारत नरेटिवÓ के निर्माण हेतु बधाई दी है।
इस हफ्ते ग्लोबल टाइम्स ने भारत के गतिशील प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की उपलब्धियों की सराहना की। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स में सेंटर फॉर साउथ एशियन स्टडीज के निदेशक झांग जियाडोंग द्वारा लिखे गए एक लेख में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि कैसे भारत ने आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में बड़ी सफलता हासिल की है और सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बन गया है। दुनिया और भारत की घरेलू और विदेशी स्थिति चार साल पहले की तुलना में कैसे काफी बदल गई है। उन्होंने अपने लेख में लिखा, एक ओर, भारत ने आर्थिक विकास और सामाजिक शासन में बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था ने तेज़ गति पकड़ ली है और सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की राह पर है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया, जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सत्ता संभाली है, उन्होंने अमेरिका, जापान, रूस और अन्य देशों और क्षेत्रीय संगठनों के साथ भारत के संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक बहु-संरेखण रणनीति की वकालत की है। भारत ने हमेशा खुद को एक विश्व शक्ति माना है। हालाँकि, भारत को बहु-संतुलन से बहु-संरेखण में स्थानांतरित हुए केवल 10 साल से भी कम समय हुआ है, और अब यह बहुधु्रवीय दुनिया में एक ध्रुव बनने की रणनीति की ओर तेजी से बदल रहा है। अंतरराष्ट्रीय संबंधों के इतिहास में ऐसे बदलावों की गति कम ही देखने को मिलती है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि भारत ने वैश्विक भलाई और सहयोग की कूटनीति को बढ़ावा देकर वैश्विक राजनीति के क्षेत्र में जबरदस्त सफलता हासिल की है। आशा है कि चीन भी भारत से प्रतिस्पर्धा के बजाय अन्य देशों के साथ सहयोग करना सीखेगा।
इजराइल ने इस हफ्ते घोषणा की कि गाजा में युद्ध जल्द खत्म होने वाला नहीं है लेकिन हम सभी जानते हैं कि प्रतिस्पर्धा यथार्थवादी वैश्विक राजनीति की प्राणवायु है जहां हर देश अपने स्वार्थों को सुरक्षित करने के लिए अधिक शक्ति हासिल करने की कोशिश करता है। यह कोशिश उन्हें कई बार हिंसक संघर्ष की ओर धकेल देती है।और इसीलिए यथार्थवादी मानते हैं कि युद्ध अपरिहार्य हैं। इजराइल-हमास युद्ध की वर्तमान स्थिति वैश्विक राजनीति का यथार्थवादी चेहरा ही दर्शाती है। इजराइल ने इस हफ्ते घोषणा की है कि गाजा में युद्ध जल्द खत्म होने वाला नहीं है और यह पूरे 2024 तक जारी रहेगा। इजराइल क्षेत्र में हमास के नियंत्रण को खत्म करने के लिए गाजा में लड़ रहा है। इस सप्ताह लेबनान की राजधानी बेरूत में हमास के शीर्ष नेता सालेह अल-अरौरी की हत्या के बाद गाजा में स्थिति और खराब हो गई है। हत्या के लिए इज़राइल को दोषी ठहराया गया है, और उसने अब तक इसमें शामिल होने की न तो पुष्टि की है और न ही इनकार किया है। अब इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट गाजा के भविष्य के शासन को कवर करने वाले प्रस्ताव लेकर आए हैं, जिसमें क्षेत्र में पूर्ण इजरायली नियंत्रण का दावा किया गया है। इससे निश्चित रूप से क्षेत्र में पहले से मौजूद तनाव और बढ़ेगा।
उत्तर कोरिया द्वारा 200 राउंड से अधिक तोपखाने गोले दागे जाने से पूर्वी एशियाई क्षेत्र में तनाव बढ़ गया है । इस सप्ताह पूर्वी एशियाई क्षेत्र में भी तनाव बढ़ गया जहां उत्तर कोरिया ने अपने पश्चिमी तट से दक्षिण के येओनपयोंग द्वीप की ओर 200 से अधिक राउंड तोपखाने के गोले दागे। दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया के इस कदम की निंदा की और द्वीप पर रहने वाले अपने नागरिकों को वहां से हटने की चेतावनी जारी कर दी। उत्तर कोरिया पिछले साल ही 12 से अधिक मिसाइल परीक्षण कर चुका है, जिससे न केवल दक्षिण कोरिया, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा को भी गंभीर खतरा पैदा हो गया है। दक्षिण कोरिया का पक्ष लेने के लिए अमेरिका का हस्तक्षेप और उत्तर कोरिया का पक्ष लेने वाला चीन क्षेत्र में तनाव बढ़ाते हैं। उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच प्रतिद्वंद्विता कोई नई बात नहीं है (शीत युद्ध के समय के कोरियाई युद्ध को याद करें!), और यह सुनिश्चित करने के लिए एक समाधान निकाला जाना चाहिए कि पूर्वी एशियाई क्षेत्र में कोई हिंसक संघर्ष शुरू न हो। दुनिया पहले से ही रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास युद्ध के गंभीर दुष्परिणाम झेल रही है।
विभिन्न बहुपक्षीय मंचों और सहयोग के लिए राष्ट्रों को शामिल करने के प्रयासों के बावजूद, राष्ट्र अधिक शक्ति हासिल करने के लिए लड़ते रहते हैं। कभी-कभी वे अकेले लड़ते हैं, कभी-कभी वे दल में लड़ते हैं, कभी-कभी वे स्थिति और उनकी प्राथमिकताओं के आधार पर सब कुछ करते हैं। बस यह याद रखने की ज़रूरत है कि वैश्विक राजनीति का यह चक्रव्यूह बहुत जटिल है, और किसी को भी नहीं बख्शता। सहयोग पर तथा विकास पर ध्यान देना चाहिए, वास्तविक शक्ति अर्जन यही तो है।
(लेखिका जेएनयू में प्राध्यापक हैं)