नव वर्ष और हम ?

नागेश्वर सोनकेशरी

Update: 2024-01-07 19:22 GMT

नया वर्ष जिस तरह इस बार आया है, उसी तरह फिर आएगा और जाएगा ।यह पहली बार नहीं बदल रहा है और ना ही आख़िरी बार ।बीते 31 दिसंबर को ना कयामत की रात थी , और ना ही दुनिया मिटने का दिन ,फिर भी हम सभी ने बड़े जश्न के साथ, पुराने साल को विदा करके नए वर्ष का स्वागत किया है। नया वर्ष कोई चिड़िया नहीं है जो सदा चहचहाता रहेगा। परन्तु मेरे सोचने में यह भी आता है कि क्या हम पिछले साल बहुत महत्वपूर्ण जीवन जी पाए ? या नए साल में नई शुरुआत करके कुछ महत्वपूर्ण करने जा रहें हैं ? हम रोज़ अंधेरी रात बिताने के बाद एक नई सुबह के साथ जागते तो हैं परन्तु फिर वही दैनिक दिनचर्या में फँस कर, दो पल के लिए यह नहीं सोचते कि यह नया दिन हमें क्यों मिला है ? क्या यह कोई बदलाव ,सुधार या फिर कुछ भी महत्वपूर्ण या सकारात्मक करने के लिए मिला है ?


हममें से अधिकांश यही सोचते हैं कि जीवन का महत्व अधिक पैसे कमाने से लेकर, उपाधियों और उपलब्धियों तथा प्रसिद्धि पाने में ही है। याने कि जो जितना समृद्ध है वह उतना महत्वपूर्ण है। यह तो हमारा बनाया हुआ मीटर हुआ, जिससे हम बाक़ी सभी लोगों को मापते रहते हैं ।हकीकत यह है कि हमारा महत्व इस बात में नहीं है कि हम खुद को ऊपर उठाने के लिए क्या करते हैं, बल्कि इसमें है कि हम दूसरों को ऊपर उठाने में मदद के लिए क्या करते हैं ।दूसरों को ख़ुश करने के लिए कितने क्षण दे पाते हैं ।हमारे आसपास के कमजोर और वंचितों के चेहरे पर ख़ुशी लाने के लिए क्या कर पाते हैं ? क्योंकि किसी की भलाई करने पर जो आत्मिक शांति और सुख मिलता है, उसके सामने इन ऐंद्रिक सुखों की कोई तुलना नहीं है, जिसे आज हम लोग भूलते जा रहें हैं ।मैंने अपने पिछले आलेख में भी सैंटा क्लॉज़ बनने का उल्लेख किया था, वह इसलिए कि मैंने खुद एमवाय हॉस्पिटल इन्दौर में सेवा करके इस आत्मिक सुख का अनुभव किया है ।

हम सबके जीवन से एक वर्ष लगभग जा चुका है, और नया वर्ष आ चला है ।वैसे तो हमारे जीवन का हर दिन नई शुरुआत है , ना कि साल का पहला दिन ।इस नए साल में परमात्मा ने हमें फिर से एक सुअवसर दिया है कुछ करने का ।इस बात को समझने का मौक़ा है कि साँसों को लेना और छोड़ना ही जीवन नहीं है या फिर खाना-पीना और मौज-मस्ती ही जिन्दगी है ।जीवन इन सबके बीच जीते हुए ,औरों के लिए कुछ करने में है ।अपने मनुष्य होने को सार्थक करने में भी ।तो आईए इस नए वर्ष के संकल्प में इस बात को और जोड़े कि “हम किसी वंचित की मदद करके “अपने जीवन में सच्ची ख़ुशी को अवश्य महसूस करेंगे।

लेखक- नागेश्वर सोनकेशरी ने पूर्व में अद्भुत श्रीमद्भागवत ( मौत से मोक्ष की कथा ) की रचना भी की है।

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