सत्ता पर आसीन हुए तीन वर्षों के बाद ही भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ( झामुमो) के नेता और गुरुजी ( शिबू सोरेन) के पुत्र बरहट से विधायक हेमंत सोरेन को बुधवार को मुख्यमंत्री की कुर्सी खोनी पड़ी। वर्ष 2000 में अस्तित्व में आए और रजत जयंती भी पूरा न कर सकने वाले सूबे के दामन में बार-बार दाग लगता है। हेमंत तीसरे कद्दावर नेता हैं जिन्हें जेल की हवा खानी पड़ी। इससे पूर्व उनके पिता और पूर्व सीएम शिबू सोरेन और मधू कोड़ा हैं। हालांकि कभी खनन घोटाले तो कभी जमीन घोटाले में बार -बार नाम आने के साथ उनके इर्द- गिर्द रहने वाले अफसरों और सहायकों के कार्यालयों व निवासों से करोड़ों की चल- अचल संपत्ति की बरामदगी से पूरा देश हतप्रभ है।
प्रवर्तन निदेशालय, सीबीआई और आयकर विभाग के ताबड़तोड़ छापे और भ्रष्टाचार के पुख्ता सबूतके साथ सीएम हाउस की संलिप्तता के उजागर होने के बाद हेमंत के पास कोई विकल्प नहीं बचा था। बचाव के सभी उपाय काम नहीं आने पर हथियार डालना ही शेष था। गुरुजी ने ताउम्र पार्टी के सांगठनिक ढांचे को सींचने में लगाया जिसे उनके ही पुत्र ने मिट्टी में मिला दिया। पत्नी कल्पना के नाम पर विरोध हो गया और झामुमो के उपाध्यक्ष और हेल्थ मिनिस्टर 67 वर्षीय चंपई सोरेन के भाग्य का पिटारा खुल गया। कोल्हण के टाइगर को चुनावी चेहरा बनाया जा सकता है. 81 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस की मदद से 2019 में सरकार बनाने वाले हेमंत की मुश्किलें 2022 से ज़्यादा बढ़ गई थीं जब भाजपा ने उन्हें खनन घोटाले में कई दस्तावेजों के साथ निर्वाचन आयोग में शिकायतें कीं विपक्ष के तेज तेवर के कारण सोरेन ने अपने विधायक साथियों के साथ रायपुर के रीजर्ट में शरण ली। विश्वासमत हासिल करने में कामयाब सोरेन की कुर्सी तो बच गई, किन्तु भ्रष्टाचार का प्रेत अब सीएम हाउस में ही बैठ गया। निश्चिंत होकर घोटालों का रिकार्ड बनाने में जुटे हेमंत ने प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर राज्य को नई दिशा देना तो दूर उसे खोखला बनाने की तरकीब ढूँढने में ही पूरी ऊर्जा लगा दी। जनजाति समाज के लोगों को उनसे भी वही उम्मीद थी जो उनके पिता से। उसी वर्ष उत्तराखण्ड और छत्तीसगढ़ भी अस्तित्व में आया और दोनों प्रगति के पथ पर सरपट दौड़ रहे हैं। अब विधानसभा चुनाव एक साल से भी काम शेष है । ऐसे में मुख्य विपक्षी दल भाजपा को इसका लाभ मिलेगा। जगह -जगह वह धरना- प्रदर्शन आयोजित कर भ्रष्टाचार से घिरी झामुमो सरकार की छवि धूमिल करने का प्रयास शुरू कर रही है । प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने तो एक्स पर लिखा कि हेमंत लापता हो गये । सोरेन के सहयोगी दलों- कांग्रेस और राजद की असमंजस वाली स्थिति का फायदा भाजपा ने उठाना शुरू कर दिया है । केन्द्रीय जांच एजेंसियों द्वारा कई बार सम्मन और पूछताछ के लिये समय नहीं देने के कारण हेमंत को जनता की सहानुभूति नहीं मिल रही है । आईएएस पूजा बंसल और सोरेन के सहायक पंकज मिश्र अभी जेल की सीखचों में हैं । ऐसे अनेक मामले सामने आ रहे हैं जिसमें जान -बूझ कर उन्होंने अपने लोगों को लूटने की छूट दे दी थी । अदालत के हस्तक्षेप और केन्द्रीय जांच एजेंसियों की सक्रियता के कारण घोटालों की फेहरिस्त परत दर परत सामने आ रही है । जांच एजेंसियों को सहयोग करने के बजाय उन पर एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दायर करने से संघीय ढांचे पर आंच आ रही है। बंगाल की ममता और आप के केजरीवाल के रास्ते हेमंत भी चल निकले हैं। इससे अराजक स्थिति और बढ़ेगी। अगर वे असन्तुष्ट हैं तो अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)