विष्णुपुराण में कहा गया है-तत्कर्म यन्न बंधाय सा विद्या या विमुक्तये। आया साया परं कर्म विद्यान्या शिल्प नैपुणम्।। अर्थात् कर्म वही है जो बंधनों से मुक्त करे और विद्या वही है जो मुक्ति का मार्ग दिखाए। इसके अतिरिक्त जो भी काम हैं, वे सब निपुणता देने वाले मात्र हैं।
शिक्षा के इस संकल्प को भारतीय परंपरा में वर्षों से अंगीकृत किया जाता रहा और तदनुरूप ही विश्वविद्यालयों और गुरुकुलों में शिक्षा दी जाती रही। शिक्षा के साथ, संस्कार भी दिए जाते रहे और एक संपूर्ण मनुष्य बनाने की प्रक्रिया निरंतर जारी रही। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा से ही राष्ट्रीयता और राष्ट्र गौरव की व्यवस्था के पक्ष में रहा है। संस्कार से भरी हुई शिक्षा देने की शुरुआत भी संघ के द्वारा ही की गई थी। आज देश में हजारों की संख्या में सरस्वती शिशु मंदिर हमारे युवाओं को संस्कारवान बना रहे हैं। लेकिन अब जब वक्त बदल रहा है तो ज़रूरतें भी बदल रही हैं। जब हमारा देश वैश्विक स्तर पर दमक रहा है तो शिक्षा में भी वैश्विकता की झलक दिखाई देनी जरूरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करके भारत की शिक्षा व्यवस्था में बड़ा परिवर्तन किया है। अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुषांगिक संगठन विद्या भारती ने एक बड़ी पहल की है। विद्या भारती ने सिर्फ देश में ही नहीं, पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। सम्राट विक्रमादित्य सैनिक स्कूल का भूमिपूजन हो गया है। अब ऐसे शिक्षण संस्थान की नींव मध्य प्रदेश में रख दी गई है, जो युवाओं को संस्कार युक्त शिक्षा तो देगा ही, साथ ही साथ उन्हें राष्ट्र गौरव, राष्ट्रीयता, शौर्य और पराक्रम से भी परिपूर्ण बनाएगा। मध्य प्रदेश के लिए गौरव की बात इसलिए भी है क्योंकि यह शैक्षणिक संस्थान मध्य प्रदेश की धरती पर बन रहा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को पदभार ग्रहण करे अभी 2 महीने भी नहीं हुए हैं और यह स्कूल बनना शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री की मंशा इस स्कूल को जल्द से जल्द शुरू करने की है। इससे यह पता चलता है कि डॉक्टर यादव इस स्कूल के प्रति कितने प्रतिबद्ध हैं। स्वयं पीएचडी की पढ़ाई करने वाले मोहन यादव शिक्षा व्यवस्था के प्रति कितने लगन से कार्य करते हैं यह बात तो पिछली सरकार में उनके उच्च शिक्षा मंत्री रहते हुए भी साबित हो चुकी है, जबकि उन्होंने देश के किसी राज्य में पहली बार मध्य प्रदेश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करके मध्य प्रदेश को देश का अग्रणी राज्य बना दिया था। अब जबकि वे मुख्यमंत्री बन गए हैं तो प्रदेश की धरती पर इस नए 'सम्राट विक्रमादित्य सैनिक स्कूलÓ के माध्यम से शिक्षा और शौर्य पराक्रम के नए अध्याय को लिखे जाने की शुरुआत हो रही है। सरस्वती शिशु मंदिर जैसे शिक्षण संस्थान के द्वारा शिक्षा व संस्कार की सीख देने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब शौर्य शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।
आरएसएस के अनुषांगिक संगठन विद्या भारती ने वैश्विक स्तर के संस्थान 'सम्राट विक्रमादित्य सैनिक स्कूलÓ की नींव रख दी है। मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव, महामंडलेश्वर अनंत विभूषित ईश्वरानंद ब्रह्मचारी (महर्षि उत्तम स्वामी), संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य सुरेश सोनी की उपस्थिति में 5 फरवरी 2024 को इस स्कूल का भूमि पूजन हुआ। विद्या भारती मध्यभारत प्रांत द्वारा सीहोर जिले के बुधनी के ग्राम बगवाड़ा में बनने वाला सम्राट विक्रमादित्य स्कूल सैनिक स्कूल की तर्ज पर बनाया जा रहा है। यहां आधुनिक शिक्षा की सुविधा, सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी। नर्मदा नदी एवं नेशनल हाईवे-46 के पास वन एवं पर्वत श्रृंखलाओं से घिरे इस स्थान पर भारतीय सेना के कौशल और संस्कारों के साथ शिक्षा प्रदान की जाएगी। भवन की नींव नवग्रह विधान, वास्तु पुरुष एवं अन्य सांस्कृतिक मूल्यों पर रखी गई है। परिसर में शैक्षणिक खंड, ऑडिटोरियम खंड, रेसीडेंशियल खंड, स्पोर्ट्स ग्राउंड, एथलेटिक्स ट्रैक, स्विमिंग पूल, हॉकी मैदान, घुड़सवारी, शूटिंग रेंज सहित अन्य खेलों एवं साहसिक गतिविधियों के अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रशिक्षण की सुविधा रहेगी। सम्राट विक्रमादित्य सैनिक स्कूल करीब 40 एकड़ में बन रहा है। यहां 800 छात्र और 400 छात्राओं के अध्ययन की सुविधा होगी। विद्यालय में डे बोर्डिंग की सुविधा भी रहेगी। विद्यालय का मुख्य भवन 24500 वर्ग मीटर में बन रहा है। परिसर में अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सभाग्रह बन रहा है। प्राकृतिक दृश्यों के बीच कक्षाएं विद्यार्थियों के भीतर रचनात्मक जागने के लिए कला और शिल्प की कक्षा के लिए कक्ष होंगे।
विद्या भारती और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की शिक्षा के प्रतिबद्धता का बड़ा उदाहरण इस स्कूल के नाम से ही समझ में आता है। मर्यादा पुरुषोत्तम राम और श्रीकृष्ण के पश्चात् भारतीय जनता ने जिस शासक को अपने हृदय सिंहासन पर आरुढ़ किया है वह विक्रमादित्य हैं। उनके आदर्श, न्याय, लोकाराधन की कहानियाँ भारतवर्ष में सर्वत्र प्रचलित है। अपने नाम के अनुसार 'सम्राट विक्रमादित्यÓ पराक्रम, साहस और ज्ञान की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे। यही कारण है कि अब मध्य प्रदेश में उनके नाम पर राष्ट्रीयता, अखंडता, शौर्य, पराक्रम और संस्कार की शिक्षा देने के लिए 'सम्राट विक्रमादित्य सैनिक स्कूलÓ शुरू किया जा रहा है भारत में किसी भी अन्य संस्था के द्वारा कहीं भी इस तरह की स्कूलों की शुरुआत नहीं हुई लेकिन विद्या भारती ने यह कर दिखाया हम पूरी उम्मीद है कि सम्राट विक्रमादित्य सैनिक स्कूल भारतीय शिक्षा और शक्ति के क्षेत्र में मील का बड़ा पत्थर साबित होगा।
(लेखक भोपाल में पत्रकार हैं)