भारतीय टीम चयन में पारदर्शिता: सरकारी पर्यवेक्षक की निगरानी में होंगे ट्रायल, वीडियोग्राफी भी की जाएगी...
Trials for selection : खेल मंत्रालय ने भारतीय टीम चयन को लेकर विवादों और अदालती मामलों से बचने के लिए चयन नीति में संशोधन किया है। इसके तहत राष्ट्रीय खेल संघों को नए दिशा-निर्देशों का पालन करने के आदेश दिए गए हैं। अब कोई भी खेल संघ भारतीय टीम का चयन अचानक ट्रायल आयोजित करके नहीं करेगा। चयन प्रक्रिया से पहले खिलाडि़यों को 15 दिन पहले सूचना दी जाएगी। ट्रायल की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। इसे मंत्रालय और साई को भेजा जाएगा। इसके अलावा ट्रायल्स मंत्रालय के पर्यवेक्षकों की निगरानी में ही होंगे।
शिकायत निवारण प्रणाली लागू करने का आदेश
नई चयन नीति के तहत, खेल संघों को अब खिलाड़ियों के लिए एक समान चयन प्रक्रिया और प्रभावी शिकायत निवारण प्रणाली लागू करनी होगी। खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने हाल ही में राष्ट्रीय खेल महासंघों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि वे चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखें और खिलाड़ियों से संबंधित कानूनी विवादों से बचें।
हाल के दिनों में कुश्ती, निशानेबाजी और कुछ शीतकालीन खेलों में चयन को लेकर विवाद उभरकर सामने आए हैं। बता दें अब हर ट्रायल से पहले खेल संघों को मंत्रालय को सूचित करना होगा।
नई नीति के तहत निजी कोचों को भी टीम का हिस्सा बनने की अनुमति
नई नीति के तहत शिकायत निवारण समिति को प्रत्येक मामले में सात दिन के अंदर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही, फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए एक अलग समिति गठित करने का आदेश भी दिया गया है। चयन समिति का कोई भी सदस्य शिकायत निवारण समिति का हिस्सा नहीं होगा, ताकि पारदर्शिता बनी रहे। इसके अलावा खिलाड़ियों के साथ लगातार जुड़े रहने वाले उनके निजी कोच या सपोर्ट स्टाफ को भी अब टीम में चयन के लिए मेरिट के आधार पर मौका मिलेगा।