आम आदमी पार्टी की स्थापना को 11 साल हुए पूरे
आम आदमी पार्टी की स्थापना को 26 नवंबर, 2012 को हुई थी, रविवार को उसे पूरे 11 साल हो गए। अन्ना हजारे के आंदोलन से जन्मी यह पार्टी आज दिल्ली और पंजाब में अपनी सरकार चला रही है। स्थापना दिवस पर आआपा के संस्थापक सदस्य और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 'एक्स' ( ट्वीटर) पर पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को बधाई देते हुए लिखा- ‘आज ही के दिन साल 2012 में देश के आम आदमी ने उठकर अपनी खुद की पार्टी ‘आम आदमी पार्टी’ की स्थापना की थी। तब से लेकर आज तक इन 11 साल में बहुत उतार-चढ़ाव आए, बहुत मुश्किलें भी आई लेकिन हम सबके जज़्बे और जुनून में कोई कमी नहीं आई है।
नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी की स्थापना को 26 नवंबर, 2012 को हुई थी, रविवार को उसे पूरे 11 साल हो गए। अन्ना हजारे के आंदोलन से जन्मी यह पार्टी आज दिल्ली और पंजाब में अपनी सरकार चला रही है। स्थापना दिवस पर आआपा के संस्थापक सदस्य और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने 'एक्स' ( ट्वीटर) पर पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को बधाई देते हुए लिखा- ‘आज ही के दिन साल 2012 में देश के आम आदमी ने उठकर अपनी खुद की पार्टी ‘आम आदमी पार्टी’ की स्थापना की थी। तब से लेकर आज तक इन 11 साल में बहुत उतार-चढ़ाव आए, बहुत मुश्किलें भी आई लेकिन हम सबके जज़्बे और जुनून में कोई कमी नहीं आई है। एक छोटी सी पार्टी को आज जनता ने अपने प्यार और आशीर्वाद से एक राष्ट्रीय पार्टी में बदल दिया है, जनता का आशीर्वाद हमारे साथ है, हम सब अपने मज़बूत इरादों के साथ आगे बढ़ते रहेंगे और जनता के लिए काम करते रहेंगे। सभी कार्यकर्ताओं को पार्टी के स्थापना दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
ऐसी बनी थी पार्टी
समाजसेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व में दिल्ली के रामलीला मैदान में सशक्त लोकपाल, चुनाव सुधार प्रक्रिया और किसानों की मांग को लेकर किए गए आंदोलन में अरविंद केजरीवाल मुख्य रूप से शामिल रहे थे। अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में आकर इन्हीं मांगों पर काम करने के उद्देश्य से आम आदमी पार्टी का गठन किया था। 2012 में पार्टी के गठन के बाद 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें आम आदमी पार्टी ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की और कांग्रेस के समर्थन में सरकार बनाई। इसके बाद 2015 तक 'आआपा' ने अपना जनाधार इतना मजबूत कर लिया कि विधानसभा में 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज कर के सरकार बनाई। वहीं वर्ष 2020 में पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 62 सीटें जीतकर सत्ता हासिल की। इतना ही नहीं, पार्टी ने गुजरात विधानसभा और पंजाब विधानसभा चुनाव में मजबूत दावेदारी पेश की। हालांकि गुजरात में तो 'आप' का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा, लेकिन पंजाब में मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को हराकर आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने सरकार बनाकर पार्टी को नया विस्तार दिया।
इन योजना की शुरुआत
दिल्ली में जब अरविंद केजरीवाल चुनाव से पहले अपने वादे में फ्री बिजली, पानी समेत कई योजनाओं की शुरुआत की, तो कई करीबियों ने उनपर कुछ मुद्दों को लेकर आपत्ति जताई। केजरीवाल के मुद्दों से भटक जाने और अकेले फैसले लेने के आरोप लगने लगे। इसके बाद आंदोलन के साथी और पार्टी के संस्थापक सदस्य में रहे प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, प्रोफेसर आनंद कुमार, अजीत झा जैसे नेता पार्टी से अलग हो गए।
इसके कुछ समय बाद डॉ. कुमार विश्वास भी मनमुटाव के चलते पार्टी से अलग हो गए, जिन्हे कभी सीएम केजरीवाल हर मंच पर छोटा भाई बताया करते थे। इसके बाद उन्होंने भले ही खुलकर नहीं, लेकिन इसपर सांकेतिक रूप से कई मंचों पर चर्चा की। हालांकि मनीष सिसोदिया उनके साथ हमेशा रहे, जिन्होंने उप-मुख्यमंत्री की भी कुर्सी संभाली। फिलहाल वह दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में जेल में है।