MP News: यूका के कचरे को पीथमपुर में जलाने के विरोध पर CM बोले- मामले का राजनीतिकरण नहीं, लोगों को कोई नुकसान नहीं होगा
Union Carbide Toxic Waste : मध्यप्रदेश। भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड का कचरा भोपाल से चला गया है। इस कचरे को पीथमपुर में वैज्ञानिक तरीके से नष्ट किया जाएगा। कचरा जलाए जाने से पहले ही पीथमपुर के लोग विरोध कर रहे हैं। इस मामले पर भाजपा के स्थानीय नेता भी सरकार को पुनर्विचार के लिए कह रहे हैं। इस बीच सीएम डॉ. मोहन यादव ने 2 जनवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री ने कहा कि, मामले का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए। कचरे का निपटारा वैज्ञानिक तरीके से हो रहा है और इससे लोगों को कोई नुकसान नहीं होगा।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा -
भोपाल गैस त्रासदी में जिस तरह से सब कुछ हुआ उसे मैं दोहराना नहीं चाहता। मैं उस रात विद्यार्थी परिषद् की टीम के साथ एमएलए गेस्ट हॉउस में ही था। दूसरे और तीसरे दिन का जो दृश्य था वह बेहद दर्दनाक था। इसके बाद शासन की निष्ठुरता, उन्हें इस विभीषिका से कोई फर्क नहीं पड़ा।
हमारी सरकार ने पूरी संवेदनशीलता के साथ आगे बढ़ने का निर्णय लिया है। अदालत के आदेश पर 358 टन यूनियन कार्बाइड का कचरा जिसमें 60 परसेंट से अधिक स्थानीय मिट्टी और 40 प्रतिशत सेवन नेफ्टोल है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसका जहरीला पन 40 साल में खत्म हो जाता है। इस तरह उन सभी आशंकाओं की स्मपति हो जाती है। भोपाल के लोग 40 साल से इस कचरे के साथ रहते आ रहे हैं। कचरे के निपटारे के लिए दुनिया में शायद ही किसी ने इतना अध्ययन किया होगा। समय - समय पर किए गए अध्ययन और प्रतिवेदन और 10 टन कचरे को जलाए जाने की रिपोर्ट भी अदालत में पेश की गई गई थी। इसके बाद दोबारा 10 टन कचरे को पीथमपुर में जलाया गया था। अगस्त 2015 में यह ट्रायल सफलतापूर्वक किया गया था। इन सबके बाद पुनः यह उभर कर आया कि, कचरे के निपटारे से पर्यावरण को कोई भारी नुकसान नहीं हुआ है।
कचरे का लोगों और फसल पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन भी किया गया। वैज्ञानिकों की उपस्थिति में यह कदम उठाया गया। मध्यप्रदेश और केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की निगरानी में कचरा पीथमपुर पहुंचा है। किसी को कोई परेशानी न हो यह धयान में रखकर काम किया जा रहा है। इस मामले का राजनीतिकरण नहीं किया जाएगा। इसके लिए कैलाश विजयवर्गीय से भी कहा गया है कि, वे स्थानीय जनप्रतिनिधियों से बात करें। इसके बाद समय पर पूरी प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी। राजनीतिक चश्मे से देखकर कोई कुछ कहे तो इसे लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता। अदालत के निर्णय के बाद यह हो रहा है। दोगली बात सही नहीं है। कांग्रेस पीथमपुर में विरोध कर रही है लेकिन भोपाल में कुछ नहीं कह रही।