New Delhi: नए मुख्यालय के उद्घाटन पर राहुल गांधी ने संघ प्रमुख का किया जिक्र, जानिए नेता विपक्ष ने क्या कहा

Update: 2025-01-15 06:02 GMT

नई दिल्ली। कांग्रेस के नए मुख्यालय 'इंदिरा भवन' का उद्घाटन हो गया है। राज्यसभा सांसद सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मिलकर इस नए भवन का उद्घाटन किया है। कांग्रेस के इस नए मुख्यालय में दिए अपने पहले भाषण में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत का जिक्र किया है। उन्होंने सरसंघचालक पर गंभीर आरोप लगाए और तीखी टिप्पणियां भी की।

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने नए मुख्यालय के उद्घाटन पर कहा, "हम अपने नए मुख्यालय का उद्घाटन बहुत ही महत्वपूर्ण समय पर कर रहे हैं। यह बहुत ही प्रतीकात्मक है कि कल (13 जनवरी को इंदौर में संघ प्रमुख ने भाषण दिया था।), एक भाषण में, आरएसएस के प्रमुख ने कहा कि, 'भारत को 1947 में सच्ची आजादी नहीं मिली, बल्कि राम मंदिर के निर्माण के समय मिली। यह इमारत कोई साधारण इमारत नहीं है। यह हमारे देश की मिट्टी से निकली है, और यह लाखों लोगों की कड़ी मेहनत और बलिदान का परिणाम है। स्वतंत्रता आंदोलन का फल हमारा संविधान था, जिसकी कल मोहन भागवत ने स्पष्ट रूप से आलोचना की थी जब उन्होंने कहा था कि संविधान हमारी स्वतंत्रता का प्रतीक नहीं है। यह पार्टी हमेशा मूल्यों के एक विशेष समूह के लिए खड़ी रही है, और हम उन मूल्यों को इस इमारत में प्रतिबिंबित देख सकते हैं।'

मोहन भागवत ने जो कहा वो देश द्रोह :

राहुल गांधी ने यह भी कहा कि, "मोहन भागवत में इतनी हिम्मत है कि वे हर 2-3 दिन में देश को यह बताते हैं कि वे स्वतंत्रता आंदोलन और संविधान के बारे में क्या सोचते हैं। उन्होंने कल जो कहा वह देशद्रोह है क्योंकि इसमें कहा गया है कि संविधान में कोई दम नहीं है। उन्हें सार्वजनिक रूप से यह कहने की हिम्मत है, किसी अन्य देश में उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता और अंग्रेजों के खिलाफ लड़ने की कोशिश की जाती। यह हर एक भारतीय का अपमान है और अब समय आ गया है कि हम इस बकवास को सुनना बंद कर दें, जो इन लोगों को लगता है कि वे बस रटते रह सकते हैं और चिल्लाते रह सकते हैं।"

मोहन भागवत ने क्या कहा था :

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि, "हमारी 5000 साल की परंपरा क्या है? जो भगवान राम, भगवान कृष्ण और भगवान शिव से शुरू हुई। वो हमारी अपनी है। हमारे अपने जागरण के लिए एक आंदोलन था। मीटिंग में, कॉलेज के छात्र पूछते थे कि आपने लोगों की आजीविका की चिंता छोड़कर मंदिर क्यों बनाए। तो मैं उन्हें बताता था कि ये 80 का दशक है। 1947, इजरायल और जापान ने हमसे शुरुआत की और वो बहुत ऊंचाइयों पर पहुंचे।"

इस कार्यक्रम से जुड़ा एक वीडियो सामने आया है इसमें सरसंघचालक मोहन भागवत द्वारा कहा गया है कि, "हमने समाजवाद की बात की और सारे नारे दिए लेकिन उससे कुछ हुआक्या ? भारत की आजीविका का रास्ता भी श्री राम मंदिर से होकर जाता है। तो ये पूरा आंदोलन भारत के आत्म जागरण के लिए था। भारत के स्व की जाग्रति के लिए था। अयोध्या में वर्षों से कलह ही जो परंपरा थी उसे ख़त्म करने के लिए वह आंदोलन था। यह सब एक दिन में नहीं होता। बीच में काफी लंबा गैप रहा है तो इसे पूर्ण होने में समय तो लगेगा।"

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने यह भी कहा था कि, "भारत की सच्ची स्वतंत्रता, जिसने कई शताब्दियों तक उत्पीड़न का सामना किया था, उस दिन (राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन) स्थापित हुई थी। भारत को स्वतंत्रता मिली थी लेकिन इसकी स्थापना नहीं हुई थी। 15 अगस्त को राजनीतिक स्वतंत्रता मिली हमने संविधान भी बनाया लेकिन उसके भाव के अनुसार हम चले नहीं। जो आवश्यक स्व है वह लिखित रूप में हमने पाया लेकिन मन को उसके लिए तैयार नहीं किया।"

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