Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया MPJSR का प्रावधान, दृष्टिबाधित उम्मीदवारों को किया था ज्यूडिशल सर्विस से बाहर
सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली/मध्य प्रदेश। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा (भर्ती और सेवा शर्तें) नियम, 1994 के एक प्रावधान को रद्द कर दिया। इस नियम के तहत दृष्टिबाधित और कम दृष्टि वाले उम्मीदवारों को राज्य में न्यायिक सेवा से बाहर रखा गया था।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की पीठ ने मामले की सुनवाई की। उन्होंने कहा कि, "किसी भी उम्मीदवार को केवल उसकी विकलांगता के आधार पर विचार से वंचित नहीं किया जा सकता।"
फैसले में कहा गया है कि, "कोई भी अप्रत्यक्ष भेदभाव जिसके परिणामस्वरूप विकलांग व्यक्तियों को बाहर रखा जाता है, चाहे वह कटऑफ के माध्यम से हो या प्रक्रियात्मक बाधाओं के कारण, मौलिक समानता को बनाए रखने के लिए उसमें हस्तक्षेप किया जाना चाहिए।"
न्यायमूर्ति महादेवन ने ऑपरेटिव भाग को पढ़ते हुए कहा कि, अदालत ने इसे सबसे महत्वपूर्ण मामले के रूप में माना है। उन्होंने कहा, "हमने संवैधानिक ढांचे और संस्थागत विकलांगता न्यायशास्त्र पर भी बात की है।"
फैसले में कहा गया कि "अधिकार-आधारित दृष्टिकोण के लिए यह आवश्यक है कि विकलांग व्यक्तियों को न्यायिक सेवा के अवसरों की तलाश में किसी भी तरह के भेदभाव का सामना न करना पड़े।"
बीते वर्ष, न्यायालय ने एक दृष्टिबाधित उम्मीदवार की मां के पत्र पर स्वतः संज्ञान लिया था। पत्र में उस नियम को उजागर किया गया था, जो राज्य न्यायिक सेवाओं में नियुक्ति चाहने वाले ऐसे उम्मीदवारों के रास्ते में बाधा बन रहा था। इस मामले में नियम को चुनौती देने वाली कुछ अन्य याचिकाएं भी दायर की गई थीं।