राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने देखा महानाट्य जाणता राजा का मंचन, हुई भाव विभोर
प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार शाम काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एम्फीथिएटर मैदान में महानाट्य जाणता राजा का मंचन देखा। छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य को नाटक में जीवंत देख राज्यपाल भाव विभोर हो गई। उन्होंने कहा कि यह नाटक अद्वितीय एवं रोमांचकारी है। भारतीय मूल्यों को अपने में समेटे हुए जीवंत कर रखा है।
नाटक अद्वितीय एवं रोमांचकारी, भारतीय मूल्यों को अपने में समेटे हुए
वाराणसी। प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने शनिवार शाम काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के एम्फीथिएटर मैदान में महानाट्य जाणता राजा का मंचन देखा। छत्रपति शिवाजी महाराज के शौर्य को नाटक में जीवंत देख राज्यपाल भाव विभोर हो गई। उन्होंने कहा कि यह नाटक अद्वितीय एवं रोमांचकारी है। भारतीय मूल्यों को अपने में समेटे हुए जीवंत कर रखा है।
राज्यपाल ने महानाट्य के आयोजन के लिए सेवाभारती के प्रांत टीम की सराहना की और आरएसएस के काशी प्रांत प्रचारक रमेश का आभार जताया। नाट्य आयोजन समिति के सदस्यों ने राज्यपाल को स्मृति चिंह्न प्रदान की अभिनंदन किया । मंचन में मुख्य वक्ता बृंदावन के संत ऋतेश्वर ने कहा कि भारत भूमि भाग्यशाली हैं, जहाँ शिवाजी जैसे धर्म भीरु पैदा हुए। शिवाजी के जीवन का हर क्षण मानवीय मूल्यों को समर्पित है। उनके जीवन को तराशने वाली पिता से ज्यादा मां जीजाबाई की दृढ़ इच्छाशक्ति एवं संकल्प ने उन्हें शिवाजी से छत्रपति बना दिया।
पांचवें दिन सुल्तानपुर एवं अमेठी के संघ पदाधिकारी भाजपा कार्यकत्ताओं एवं आमजन ने महानाट्य देखा। नाट्य मंचन देखने के लिए प्रदेश के मंत्री अनिल राजभर, भाजपा प्रबुद्ध प्रकोष्ठ विपिन सिंह, प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय प्रभारी शिवशरण पाठक,महापौर अशोक तिवारी,पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह,डॉ ज्ञान प्रकाश मिश्र, समन्वयक डॉ राकेश तिवारी, हरेन्द्र राय के अलावा सुल्तानपुर सांसद मेनका गांधी, प्रान्त संघ चालक विश्वनाथ लाल निगम,सह प्रान्त कार्यवाह रास बिहारी लाल,सुल्तानपुर विभाग प्रचारक प्रकाश,सुलतानपुर सदर विधायक राम बाबू उपाध्याय, विधायकद्वय सीताराम वर्मा, विनोद कुमार सिंह, एमएलसी शैलेंद्र प्रताप सिंह, डॉ वेद प्रकाश सिंह आदि भी मौजूद रहे।
महानाट्य में वीर शिवाजी के हुंकार से दुश्मन कांप उठे
नाटक के पांचवें दिन मां जीजाबाई के मुगल शासन के खिलाफ बगावत करने के आवाह्न पर तरुण शिवाजी तुलजा भवानी की कसम खाकर तलवार उठाकर एलान करते हैं कि अब जिएंगे तो स्वतंत्र शेर की तरह। भगवान, स्वधर्म, देश एवं स्वराज को सोने के सिंहासन पर विराजमान कराना है। स्वराज की मोहर अब आसमान पर लगेगी। शिवा छापामार युद्ध कर तोरणगढ़ किले पर भगवा फहराकर स्वतंत्रता की ज्योति जलाते हुए हिंदवी स्वराज की स्थापना करते हैं। महानाट्य जाणता राजा (बुद्धिमान राजा) के मंचन के बीच कलाकारों के जीवंत अभिनय ने दर्शकों को मराठा गौरव के 400 साल पुराने युग में पहुंचा दिया।
आयोजकों का दावा है कि पूरा महानाट्य ही विशेष है और दर्शकों से इसे जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है। दर्शकों के बीच जाणता राजा महानाट्य के दो प्रसंग विशेष रूप से खासा लोकप्रिय हो रहे हैं। एक जिसमें शिवाजी बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को मारते हैं और दूसरा जिसमें मराठा राजा मुगल सेना के सर्वोच्च कमांडर और औरंगजेब के चाचा शाइस्ता खान पर पुणे में उसके शिविर पर हमला करते हैं और उसे भागने पर मजबूर कर देते हैं। मंचन के दौरान यह भी दर्शाया गया कि जाति, समुदाय, धर्म और पंथ से ऊपर उठकर एक आदर्श शासन को अपनी प्रजा के लिए कैसा होना चाहिए।