2027 की बिसात: हरदोई में भाजपा के क्षत्रिय 'क्षत्रप' के उत्तर में कांग्रेस का 'विप्र' प्रहार, सस्पेंड जिला कांग्रेस कमेटी जिलाध्यक्ष का विक्रम पाण्डेय को 'चार्ज'....
हरदोई: हरदोई जनपद में गुरुवार को तीन बड़े घटनाक्रम घटे। भारतीय जनता पार्टी ’एडहॉक’ जिलाध्यक्ष से पूर्णकालिक प्रोन्नत हुए अजीत सिंह बब्बन का प्रथम आगमन था।;

हरदोई। हरदोई जनपद में गुरुवार को तीन बड़े घटनाक्रम घटे। भारतीय जनता पार्टी ’एडहॉक’ जिलाध्यक्ष से पूर्णकालिक प्रोन्नत हुए अजीत सिंह बब्बन का प्रथम आगमन था। ठीक बाद कांग्रेस के पूर्व कार्यवाहक जिलाध्यक्ष विक्रम पाण्डेय के कांग्रेस जिलाध्यक्ष नियुक्त होने का समाचार हो गया। इसके बीच पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आदमकद प्रतिमा का प्रभारी मंत्री असीम अरुण, मंत्री नितिन अग्रवाल, मंत्री रजनी तिवारी, विधायक माधवेंद्र प्रताप सिंह, एमएलसी अशोक अग्रवाल, जिला पंचायत अध्यक्ष प्रेमावती आदि कालातीत मुखर्जी चौक पर लोकार्पण कर रहे थे।
बात कांग्रेस जिलाध्यक्ष विक्रम पाण्डेय की, तो पार्टी की छात्र विंग एनएसयूआई से शुरू कर कांग्रेस प्रदेश मंत्री तक का सफर तय किया है। पार्टी ने लगभग दो दशक (19 वर्ष) बाद ब्राह्मण चेहरे को तवज्जो दी है। विक्रम 2001 में एनएसयूआई के जिला महामंत्री, 2003 में एनएसयूआई के प्रदेश महामंत्री, सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ, सत्याग्रही प्रकोष्ठ, 2009 में एनएसयूआई राष्ट्रीय प्रभारी रहे। साल 2011 से 13 उनके पारिवारिक वजहों में निकले। 2014 में कांग्रेस प्रदेश मंत्री हुए। 2017 में झारखंड और 18 में मध्य प्रदेश में एआईसीसी कॉर्डिनेटर रहे। 2019/21 तत्कालीन जिलाध्यक्ष आशीष सिंह से तनातनी में गए। आशीष ने विक्रम को एकदम दरकिनार रखा। 2022 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन जिलाध्यक्ष आशीष सिंह सोमवंशी सदर से पार्टी प्रत्याशी थे। तब नेतृत्व ने विक्रम को ’एडहॉक’ जिम्मेदारी दी थी। सम्प्रति पार्टी के सोशल रीच विभाग के प्रदेश अध्यक्ष थे।
ब्रजेश पाठक लाए थे एनएसयूआई, 2001 में डिप्टी का पहला कार्यक्रम कराया
विक्रम पाण्डेय के सहयोगी अजीत विशाल बताते हैं, नवनियुक्त जिलाध्यक्ष को एनएसयूआई में 2001 में बृजेश पाठक लाए थे। तब विक्रम इंडियन स्टूडेंट यूथ ब्रिगेड चलाते थे। लेकिन, आर्थिक कारणों से विस्तार नहीं कर पा रहे थे। तब बृजेश पाठक ने उन्हें भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन से जोड़ा और उनका हरदोई में पहला कार्यक्रम करवाया था। अजीत बताते हैं, उस कार्यक्रम के साक्षी छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष अम्बुज शुक्ला और पारुल दीक्षित, अबके सपा जिला उपाध्यक्ष अमित बाजपेई और वरिष्ठ पत्रकार अनूप श्रीवास्तव रहे थे।
हरदोई में 'वेंटीलेटर' पर पड़ी कांग्रेस को 'खड़े' होने लायक 'ऑक्सीजन' देना तगड़ी चुनौती
एक तो 90 के दशक से सत्ता से बाहर कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं का टोटा है। तिस पर गुट इतने की पता ही नहीं चलता, संगठन कहां हैं। कांग्रेस में समकालीन संभावनाशील दो युवा नेता हैं, आशीष सिंह सोमवंशी और विक्रम पाण्डेय। लेकिन, एक ही संगठन में रहते दोनों ही विपरीत ध्रुव पर खड़े रहे। अब साथ आएंगे, ऐसी संभावना दूर दूर तक नहीं दिखती। सबसे बड़ी चुनौती तो संगठन वो का बचा खुचा आधारभूत ढांचा संभल जाए, यही बड़ा काम होगा। पुराने कांग्रेसियों की कमी नहीं है। गांव गांव अभी भी मिलते हैं, लेकिन पार्टी की दशा और नेताओं की दिशा पर आंसू बहा कर रह जाते हैं। ऐसे में, पुराने और नयों को जोड़ कर ही नए जिलाध्यक्ष पहले चरण में अपनी नियुक्ति कसौटी पर साबित कर पाएंगे। असंतुष्टों को साधना फिर दूसरी ही कला होगी। अव्वल तो जो बिखरा रायता मिला है विरासत में, उसे समेटना हाल फिलहाल होता दिखता नहीं है। तो एक ब्राह्मण होने का तत्व विक्रम के बहुत काम आएगा, उस मुगालते से बचना होगा उन्हें, भले ही 2006 के बाद की बात पर जोर हो, पर तबसे गंगा में पानी भी बहुत बह चुका है।
नरेश अग्रवाल भी रहे कांग्रेस जिलाध्यक्ष
देश और प्रदेश पर लम्बे समय तक राज करने वाली पार्टी के जिलाध्यक्ष पद को पंडित लालन शर्मा, पंडित ओमनारायण त्रिवेदी 'नन्हे भीठा', नरेश अग्रवाल, नन्हे भीठा के ज्येष्ठ पुत्र संजय त्रिवेदी, पूर्व सांसद धर्मगज सिंह के नाती अजय सिंह (दो टर्म), कुंवर मिथिलेश सिंह चौहान, डॉ. राजीव सिंह लोध, आशीष सिंह सोमवंशी जिला अध्यक्ष रहे। 1985 में तत्कालीन सुरसा विधानसभा सीट से तत्कालीन कांग्रेस विधायक नरेश अग्रवाल का टिकट काट कर उमा त्रिपाठी को दे दिया गया था। नरेश को साधने के लिए तब पार्टी ने महत्वपूर्ण जिलाध्यक्ष पद पर बिठाया था।