स्‍वदेश विशेष: ट्रेड वॉर के बीच मंदी की आशंका - ज्ञानेश पाठक

Update: 2025-04-04 08:50 GMT
ट्रेड वॉर के बीच मंदी की आशंका -  ज्ञानेश पाठक
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ज्ञानेश पाठक, नई दिल्‍ली: आखिरकार अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनॉल्ड ट्रंप ने भारत सहित ज्यादातर देशों पर टैरिफ शुल्क बढ़ा ही दिया । न्यूनतम 10 प्रतिशत, अधिकतम 49 फीसदी। इसके साथ ही धमकी भी दे दी। अमेरिका के खिलाफ कोई भी देश प्रतिक्रिया न दें। नहीं तो खैर नहीं।

अब इसका असर दुनिया पर कितना और कैसे पड़ेगा। यह आने वाला समय बताएगा। ट्रंप ने तो अपना फैसला सुना दिया। अब बारी बाकी देशों की है। बाकी देशों का अगर पलटवार ज्यादा तीखा हुआ तो टैरिफ वॉर के परिणाम ज्यादा गंभीर होंगे।

सच यह है,यह घटना उतनी सीधी नहीं है जितनी अभी दिखाई दे रही है। अगर जल्दी ही कुछ हल नहीं निकला तो अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिलेंगे। मंहगाई से लेकर बेरोजगारी और मंदी यहां तक कि महामंदी की भी बात विशेषज्ञ कर रहे हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि अमेरिका वैश्विक व्यापार नीति तय करे और पूरी दुनिया चुपचाप बैठी रहे। यह संभव नहीं है।


भारत पर प्रभाव :

अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेड भागीदार है। अपने कुल निर्यात का छठवां हिस्सा अमेरिका को भेजता है । सन् 2023 में 190 अरब डॉलर का व्यापार दोनों देशों के बीच हुआ।

भारत पर ट्रंप ने 26 फीसदी का टैरिफ लगाया है। जो यूरोपीय संघ से ज्यादा लेकिन चीन से कम है। राहत की बात दवा कंपनियों के लिए है। इन्हें फिलहाल टैरिफ से बाहर रखा गया है । अरबिंदो फार्मा जैसी जैनरिक कंपनियों के लिए फायदेमंद है । लेकिन ऑटो टैरिफ से गाड़ियों और पार्ट्स की कीमतें बढ़ जाएंगी । टैरिफ किसी न किसी रूप में हमारे निर्यात के 78.5 बिलियन डॉलर को प्रभावित करेंगे ।

भारत की कोशिशें :

भारत अमेरिका के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत करने में लगा हुआ है । भारत ने बोरबॉन व्हिस्की पर शुल्क 150 प्रतिशत से घटाकर 100 फीसदी कर दिया है । बड़ी मोटर साइकिलों पर 50 प्रतिशत से घटाकर 30 फीसदी कर दिया है । बादाम और क्रेनबेरी जैसे कई उत्पादों पर टैरिफ कर करने का प्रस्ताव भारत ने दिया है । ऊर्जा और रक्षा सौदों के लिए भी भारत तैयार है ।

भारत की ताकत :

भारत के लिए यह अवसर भी है । इसकी वजह 140 करोड़ लोगों का उपभोक्ता आधार है । भारत में बना सामान भारत में ही खप जाता है । इसलिए भारत पर इसका सीमित असर पड़ने की संभावना है ।

अमेरिका की निगाह :

भारत के खिलाफ अमेरिका की सबसे बड़ी शिकायत कृषि उत्पादों पर ज्यादा कर है । जो औसतन 113 प्रतिशत है । कई सामान पर 300 फीसद तक है । अमेरिका कृषि उत्पादों पर टैक्स छूट चाहता है पर भारत इसके लिए तैयार नहीं है ।

दुनिया पर असर :

अगर अन्य देशों ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी तब ट्रेडवॉर छिड़ना तय है । सबसे बड़ी समस्या आपूर्ति श्रंखला के लिए खड़ी होगी । ऐसे में अराजकता फैलने का डर है । ग्लोबल दुनिया की जगह द्विपक्षीय व्यापार समझौते होंगे । नतीजा , जीडीपी में सिकुड़न दिखाई देगी । जिसका नतीजे बढ़ती बेरोजगारी के रूप में सामने आएगा । अंत में मंदी का खतरा बढ़ सकता है ।

चीनी सामान की डंपिग :

चीन पर 34 प्रतिशत का टैरिफ शेष विश्व के लिए ख़तरनाक हो सकता है । अपने सामान को सस्ती दर पर अन्य देश में खपाने की वह कोशिश कर सकता है । ऐसा हुआ तो वैश्विक स्तर पर कंपनियों से कर्मचारियों की छंटनी होने लगेगी । और अगर एक बार यह क्रम चला तो महामंदी आना तय है ।

अमेरिका पर असर :

ट्रंप अमेरिका का पुनर्जन्म देख रहे हैं । पर दूसरे जन्म का स्वरूप कैसा रहेगा किसी को नहीं पता । फिलहाल अमेरिका में सामान की भारी किल्लत देखने को मिलेगी । मंहगाई बेतहाशा बढ़ेगी । आपूर्ति श्रंखला को दुरुस्त करने के लिए ट्रंप को भारी भरकम निवेश करना होगा । जिसके लिए उसे कर्जा लेना पड़ेगा । पहले से ही अमेरिका पर अपनी जीडीपी का 1.25 गुना कर्ज है । यह अलग बात है कि वह फिलहाल डॉलर छापकर कर्ज की पूर्ति कर ले । लेकिन इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है ।

मुद्रा का अवमूल्यन

टैरिफ वॉर की सूरत में देश अपनी मुद्रा जानबूझकर कमजोर कर सकते हैं । ताकि निर्यात प्रतिस्पर्धी मूल्य पर बढ़ सके । ऐसे में अमेरिका अपने को ठगा महसूस कर सकता है । चीन ने पिछले कुछ महीने पहले जानबूझकर अपनी मुद्रा को कमजोर करने की कोशिश की थी ।

शेयर बाजार पर प्रभाव

ट्रेड वॉर की आशंका के चलते दुनिया भर के बाजारों में तेज गिरावट देखी गई है । भारत का बाजार शुरू में तेज गिरावट के साथ खुला पर बाद में संभल गया । लेकिन बाकी देशों में गिरावट ज्यादा रही । जापान का सूचकांक 4 फीसदी और आस्ट्रेलिया का बाजार दो प्रतिशत तक गिर गए । अमेरिका में नैस्डेक चार प्रतिशत और डाऊजोंस साढ़े तीन फीसदी की भारी गिरावट के शिकार बने

सोना तो सोना है

जब कभी भी दुनिया में मंदी आने की आशंका होती है । सोने का रूप ज्यादा निखरकर सामने आता है । बुधवार को दिल्ली में सोना ऑल टाइम हाई 94,000 प्रति दस ग्राम पर पहुंच गया । यही नहीं इस पीली धातु पर निवेशक टैरिफ के चलते बुलिश हैं । सोना एक लाख रुपए तोला जल्दी पहुंच सकता है । ध्यान दें, यह तब है जब सोने का उत्पादन चरम पर है ।

वैश्विक अर्थव्यवस्था में रुपए में चवन्नी अमेरिका के पास है । अठारह पैसे चीन के पास हैं । इसलिए अमेरिका दादागिरी दिखाने की स्थिति में है । लेकिन अमेरिका में ऋण की स्थिति गंभीर है । मंहगाई चरम पर है । ब्याज दर में कटौती धूमिल हो गई है । अगर ट्रेड वॉर ज्यादा गंभीर हुआ तो अमेरिका में मंहगाई चरम पर होगी । अंत में सबसे ज्यादा मार अमेरिका पर ही पड़ेगी । 

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