रूस ने भी माना - एक बड़ी ताकत के रूप में उभर रहा है भारत
रूस के विदेश मंत्री ने कहा - भारत पूरी दुनिया को उम्मीद बंधाता है
नईदिल्ली/वेब डेस्क। पिछले सात वर्षो में मोदी सरकार ने दुनिया के दो सुपरपॉवर देशों अमेरिका व रूस के साथ अपने रिश्तों में एक संतुलन बनाते हुए दोनों को ही अपनी बढ़ती ही ताकत का अहसास कराने में सफलता पाई है। इनता ही नहीं दोस्ती के इस रिश्ते को और अधिक मजबूत करने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे नये मुकाम तक ले जाने की भरपूर कोशिश भी की है। इसी का परिणाम है कि बीते दिनों अमेरिका ने भारत को अपना अहम सहयोगी बताया था। अब रूस ने भी इसी प्रकार की टिप्पणी करते हुए भारत की विदेशी नीति व विश्व अर्थव्यवस्था में बढ़ती भारत की सहभागिता की प्रशंसा की है।
हाल ही में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि दुनिया बहुध्रुवीय व्यवस्था की ओर बढ़ रही है। इसमें भारत भी एक अहम ध्रुव है। उन्होंने कहा कि दुनियां में आर्थिक ग्रोथ के मामले में भारत तेजी से आगे बढ़ता देश है। रूसी विदेश मंत्री का यह बयान इस लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनका यह बयान 14 और 15 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की काउंटर टेररिज्म पर न्यूयार्क में आयोजित समिट से पूर्व आया है और भारत दिसंबर महीने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की अध्यक्षता भी कर रहा है। अमेरिका के बाद रूस ने जिस तरह से भारत के महत्व को स्वीकार है, इसे भारत की कूटनीतिक व सामरिक रणनीति की एक बड़ी उपलब्धि कहना गलत नहीं होगा। इतना ही नहीं रूसी विदेश मंत्री ने यहां तक कहा कि भारत के पास तमाम कूटनीतिक समस्याओं के समाधान का लंबा अनुभव है। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र में भी उसकी भूमिका महत्वपूर्ण रहती है। भारत एक ऐसा देश है जो पूरी दुनियां को उम्मींद बंधाता है।
यह भी कम बड़ी उपलब्धि नहीं है कि भारत की अध्यक्षता में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद दो प्रमुख परिचर्चा आयोजित कर रहा है। कार्यक्रमों का संचालन करने के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर न्यूयॉर्क की यात्रा पर हैं। इस परिचर्चा में 'आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए वैश्विक दृष्टिकोण-चुनौतियां और आगे का रास्ता' विषय पर व्यापक चर्चा होगी। ये दोनों विषय भारत के लिए सर्वोच्च प्राथमिकताओं में हैं। रूस लगातार भारत से अपनी मित्रता को मजबूती देने के प्रयासों में है। रूस ने एक बार फिर से संयुक्त राष्ट्र परिषद में भारत को स्थायी सदस्य बनाए जाने की वकालत की है। फिलहाल भारत सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य है। दो साल की यह अस्थायी सदस्यता 31 दिसंबर को समाप्त हो रही है।
वैसे भी भारत और रूस अपने मैत्रीपूर्ण संबंधों के विकास कार्यक्रमों में समान रूप से रूचि ले रहे हैं। व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग के अलावा सैन्य तकनीकी सहयोग में भी दोनों देश एक दूसरे का सहयोग कर रहे हैं। वैसे भी रूस अभी पश्चिम का प्रतिबंध झेल रहा है। उसे भारत के सहयोग की जरूरत है। प्रतिबंध के बाद रूस को भारत से खाद्य पदार्थों का निर्यात बढ़ा है। अच्छी बात यह है कि भविष्य में भारत के कई उद्योगों के लिए रूस एक बड़ा बाजार बनने जा रहा है। उम्मींद है कि नरेंद्र मोदी सरकार की विदेशी नीति आने वाले दिनों में भारत-रूस संबंधों को एक नई दिशा देगी।