टिकट के लिए युवा कांग्रेस में घमासान, अपनी- अपनी दावेदारी मजबूत करने में जुटे नेता
स्वदेश वेब डेस्क की रिपोर्ट - संजय यादव को रोकने मितेंद्र को दी जा रही ताकत, मितेंद्र को रोकने कई युवा टिकट की लाइन में
ग्वालियर/स्वदेश वेब विशेष। विधानसभा चुनावों की घोषणा में भले ही अभी कुछ महीने का समय हो लेकिन ग्वालियर में कांग्रेस नेताओं ने अभी से चुनावी चालें चलना शुरू शुरू कर दी है। टिकट पाने की चाह रखने वाले नेता अपनी दावेदारी को दूसरे से बेहतर बनाने में जुट गए हैं । यहाँ युवाओं में इस बार ज्यादा ताकत दिखाने की होड़ मची है जिनमें दो नाम सबसे ऊपर हैं। ये हैं ग्वालियर दक्षिण विधानसभा में सक्रिय संजय यादव और ग्वालियर पूर्व विधानसभा में सक्रिय मितेंद्र दर्शन सिंह। दोनों ही युवा नेता धरना प्रदर्शन के बहाने कांग्रेस नेतृत्व को अपनी ताकत दिखाकर दावेदारी दिखा रहे हैं।
कांग्रेस इस बार प्रदेश में सरकार बनाने का दावा कई बार कर चुकी है, पार्टी का हर बड़ा और छोटा नेता इसी बात से आश्वस्त हो गया कि पार्टी हाईकमान ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का चेहरा आगे कर दिया है और बस इसी से उन्होंने जीत हासिल कर ली है। लेकिन तस्वीर वैसी नहीं है जैसी कांग्रेसियों को अभी से दिखाई दे रही है। कांग्रेस दावा कर रही है कि जब से ज्योतिरादित्य सिंधिया और कमलनाथ ने प्रदेश में कांग्रेस की बागडोर हाथ में ली है तब से कांग्रेस एकजुट हो चुकी है और इसी की दम पर वो प्रदेश में सरकार बनाएगी। लेकिन ग्वालियर की जो तस्वीर इस समय सामने आ रही है उसमें नेता एक दूसरे की काट ढूंढने में लगे हैं।
जब से प्रदेश में चुनावों के लिए कांग्रेस का मुख्य चेहरा बने सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 30 प्रतिशत युवा चेहरों को टिकट देने की घोषणा की है तब से युवा कांग्रेस के अलावा मुख्य कांग्रेस सहित महिला कांग्रेस, सेवादल आदि में सक्रिय युवा चेहरे अपनी उम्मीदवारी मजबूत करने में जुट गए हैं। विशेष बात ये है कि सभी उम्मीदवार स्वयं को दूसरे से अच्छा बता रहे हैं और दावेदारी प्रस्तुत करते समय दूसरे युवा नेता की कमियां भी बताने से नहीं चूक रहे।
ग्वालियर की बात की जाये तो यहाँ इस समय दो युवा चेहरे टॉप पर दिखाई दे रहे हैं वो हैं संजय सिंह यादव और मितेंद्र दर्शन सिंह। भितरवार से कांग्रेस विधायक लाखन सिंह के भतीजे संजय यादव पिछले लम्बे समय से ग्वालियर में सक्रिय हैं। वे लोकसभा अध्यक्ष सहित कई अन्य जिम्मेदारियां निभा चुके हैं और लगातार धरना प्रदर्शन और आंदोलन कर वरिष्ठ नेताओं को अपनी ताकत का प्रमाण दे चुके हैं।
वर्तमान में संजय यादव युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव हैं। कांग्रेस सूत्रों की बात पर भरोसा करें तो संजय सिंह ने ये पद सिंधिया को बायपास कर हासिल किया है जिसके चलते सिंधिया उनसे नाराज हैं। और इसीलिए संजय की काट के लिए मितेंद्र दर्शन सिंह को ताकतवर बनाया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कहने पर ही मितेंद्र को ग्वालियर युवा कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है जबकि यहाँ कोई अध्यक्ष नहीं है यानि युवा कांग्रेस की जिले की कमान मितेंद्र के हाथों में ही है। सूत्र बताते हैं कि सिंधिया तो मितेंद्र को प्रदेश की कमान दिलवाना चाहते थे लेकिन उनकी कांग्रेस में ज्यादा लम्बी उम्र नहीं होने और किसी दूसरे पद पर नहीं रहने के कारण पार्टी के नियम बीच में आ गए इसलिए सिंधिया मितेंद्र को प्रदेश की जगह जिले की कमान दिलाने से ही संतुष्ट हो गए। मितेंद्र के राजनैतिक ग्राफ पर नजर डालें तो पिछले कुछ महीनों से वो संजय के मुकाबले अधिक सक्रिय हैं और तेजी से उभरे हैं, इसके पीछे हो सकता है कोई रणनीति काम कर रही हो लेकिन मितेंद्र वरिष्ठ नेतृत्व के सामने अपनी छवि को बेहतर बना रहे हैं। बीती 24 अगस्त को मितेंद्र के कमिश्नर कार्यालय घेराव आंदोलन के बाद युवा कांग्रेस अध्यक्षों में उनको टॉप 5 में जगह मिलने से उनके हौसले निश्चित ही बुलंद हुए हैं।
बड़ी बात ये है कि संजय और मितेंद्र दोनों की युवा कांग्रेस कोटे से टिकट मांग रहे हैं जबकि टिकट किसी एक को मिलेगा। संजय सिंह अपने आंदोलन, धरना प्रदर्शन को मजबूत आधार बताते हुए ग्वालियर दक्षिण विधानसभा से टिकट मांग रहे हैं लेकिन उनके चाचा तीन बार के विधायक लाखन सिंह भी भितरवार से टिकट मांग रहे है ऐसे में पार्टी के सामने ये संकट खड़ा हो सकता है कि एक जिले से एक घर में दो लोगों को टिकट कैसे दिया जाये? उधर ग्वालियर दक्षिण विधानसभा से पूर्व युवा कांग्रेस अध्यक्ष आशीष प्रताप सिंह और एनएसयूआई की पूर्व जिला अध्यक्ष रश्मि पंवार शर्मा भी टिकट मांग रहे हैं। दोनों ही बहुत लम्बे समय से कांग्रेस से जुड़े हैं और सक्रिय हैं। इन दोनों का दावा संजय यादव से कहीं अधिक मजबूत माना जा रहा है।
अब बात करते हैं मितेंद्र दर्शन सिंह की। मितेंद्र ग्वालियर पूर्व विधानसभा से टिकट चाहते हैं, हालाँकि अभी वे राजनीति के शैशव काल में ही है लेकिन सिंधिया समर्थक होने के नाते उनकी ये योग्यता टिकट के लिए पर्याप्त मानी जा रही । उल्लेखनीय है कि कांग्रेस में उनकी एंट्री उनके पिता पूर्व जिला अध्यक्ष डॉ दर्शन सिंह की असामयिक मौत के बाद सिंधिया के कहने पर ही हुई है, इसलिए कुछ पुराने युवा नेता नहीं चाहते कि मितेंद्र को टिकट दिया जाये। इसलिए कई युवा नेता भी अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत कर रहे हैं। ग्वालियर पूर्व विधानसभा से टिकट चाहने वाले नेताओं में युवा कांग्रेस के दूसरे कार्यकारी जिला अध्यक्ष हेवरन सिंह कंसाना, एनएसयूआई और युवा कांग्रेस में डेढ़ दशक तक सक्रिय रहे और वर्तमान में शहर जिला कांग्रेस के प्रवक्ता दिनेश शर्मा, युवा कांग्रेस के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष वीरेंद्र यादव लल्ला, युवा नेता रूपेश यादव के नाम शामिल हैं। ये सभी नेता अनुभव और वरिष्ठता में मितेंद्र से कही ज्यादा हैं और सिंधिया सहित वरिष्ठ नेतृत्व में इनकी अच्छी छवि है इसलिए इन सभी की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। ग्वालियर दक्षिण और ग्वालियर पूर्व के अलावा ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा से भी युवा नेता दावेदारी जता रहे हैं। इनमें ग्रामीण युवा कांग्रेस जिला अध्यक्ष हरेंद्र सिंह यादव, राकेश गुर्जर सहित कई युवा नेताओं के नाम शामिल हैं।
30 प्रतिशत युवाओं को टिकट देने की घोषणा के बाद से कांग्रेस में टिकट के दावेदार युवा चेहरों की बाढ़ आ गई है लेकिन सामंजस्य बैठाने के लिए वरिष्ठ नेतृत्व को कांग्रेस, युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, सेवादल के कोटे सहित सभी जातीय समीकरणों को भी ध्यान में रख कर टिकट का वितरण करना होगा। अब देखना ये होगा कि सिंधिया समर्थक मितेंद्र दर्शन सिंह टिकट पाने में सफल हो पाते हैं या सिंधिया को बायपास कर युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव बने संजय यादव। अथवा कोई और युवा नेता यह तो समय ही बताएगा ।