भाजपा जिला कार्यसमिति में जयप्रकाश का वादा, सिटी को देंगे सीवर लाइन और स्तरीय सड़कें
सांसद बोले ... सिटी से जिताने वाले सुरसा और अहिरोरी के हार की जिम्मेदारी क्यों नहीं लेते? रिएक्शन में टीम नितिन उतरी सोशल मीडिया पर, जय प्रकाश को बता रहे बेवफा, बोली : कद्दावर के बिना हो जाते सफा
गुलशन की फ़ज़ा धुआं-धुआं है
कहते हैं बहार का समां है...
सदर से रिकॉर्ड 5वीं मर्तबा लोकसभा पहुंचे और उत्तर प्रदेश से सदन में सबसे वरिष्ठ जयप्रकाश रावत जीत का सर्टिफिकेट लेने के बाद से बदले बदले से दिख रहे हैं। उन्होंने सभासद प्रतिनिधि प्रियम मिश्रा और पूर्व सभासद प्रदीप पाठक की एंट्री अपने घर बैन कर दी, जो साए की तरह साथ रहे बीते टर्म में। फिर, सुरसा क्षेत्र से पूर्व जिला पंचायत सदस्य पर पुलिस का शिकंजा कसवा दिया। अब पार्टी की कार्यसमिति में दिल के छाले भी फोड़ दिए।
जय प्रकाश ने भाजपा दफ्तर पर मंगलवार को बैठी कार्यसमिति में पूरा गुबार निकाल दिया। बोले, 1991 से अब तक हम नगर जीतते आ रहे हैं, इसमें किसी का कोई उपकार नहीं है और है तो सुरसा और अहिरोरी की हार की माला भी पहनें। कहा, सिटी में एक भी सभासद और रूरल में किसी ब्लॉक प्रमुख और जिला पंचायत सदस्यों ने सहयोग नहीं किया। दूसरी असेम्बली कांसीट्यूंसी में पहुंच कर डिस्टर्ब किया गया। जय प्रकाश ने सिटी के डेवलपमेंट पर भी बात की। शहर की दुर्दशा दूर करने के लिए सीवर लाइन प्रोजेक्ट लाने और मजबूत सड़कें बनवाने की बात भी कहीं।
बात गंगा नगर कॉलोनी से वैटगंज तक पहुंचने में कितनी ही देर लगनी थी। टीम नितिन बुधवार सुबह से सांसद की लानत मलामत में जुट गई सोशल प्लेटफॉर्म पर। प्रमुख संघ के जिलाध्यक्ष व अहिरोरी प्रमुख धर्मवीर सिंह पन्ने में लिखा, पार्टी जिला मुख्यालय पर अहिरोरी की हार के बारे में सांसद ने टिप्पणी की। पूछा, क्यों हारे, क्या वहाँ की भौगोलिक स्थिति नहीं जानते। ऊषा वर्मा इसी क्षेत्र की हैं। अपनी बिरादरी के अधिसंख्य बूथ हारे हैं और बिरादरी ने आपको नेता माना होता तो ये स्थिति न आती। एक एक निष्ठावान कार्यकर्ता, मंडल अध्यक्ष व बूथ अध्यक्ष, प्रधान व क्षेत्र पंचायत सदस्य घर घर जाके प्रचार किया। नरेश अग्रवाल व नितिन अग्रवाल और पार्टी के जिला अध्यक्ष अजीत सिंह बब्बन के कुशल नेतृत्व की वजह से जीत सुनिश्चित हुई है। इतने कारण होने के बाद चिंतन मंथन नहीं करते हैं और दूसरे पर आरोप लगाते हैं, यह निंदनीय हैं।
सुरसा प्रमुख प्रतिनिधि धनंजय मिश्रा ने लिखा, भाजपा कार्यालय पर बैठक में सांसद ने ब्लॉक प्रमुखों, जिला पंचायत सदस्यों, प्रधानों, सभासदों और कार्यकर्ताओं द्वारा चुनाव में मदद न करने का वक्तव्य निंदनीय है। उन्होंने है कार्यकर्ता का अपमान किया है। बाहरी होने के बाद भी कार्यकर्ताओं ने उन्हें स्वीकार किया। चाटुकारों से घिरे हुए सांसद किसी के सुख दुख में न खड़े हो, विदेश यात्रा में मशगूल रहते हैं। कार्यकर्ताओं ने ही घर घर जाकर वोट मांगे तब जाकर नरेश अग्रवाल और नितिन अग्रवाल की मेहनत से जीते। सांसद के तो लापता के बैनर और होर्डिंग्स लग गए थे, जिन्हें कार्यकर्ताओं की बदौलत ही सफाई देकर मिटाया गया। सांसद ने जनहित में कोई कार्य किया हो तो सार्वजनिक मंच से बताये। नरेश अग्रवाल के मार्गदर्शन में सभी ने मदद की, अब पलटीमार सांसद बन रहे हैं।
सभासद प्रतिनिधि प्रियम मिश्रा ने लिखा है, सांसद ने बोला है किसी सभासद ने मदद नहीं की, वह 26 सभासदों को पहले नाम और चेहरे से पहचान लें, फिर ये बोलें। नरेश अग्रवाल, नितिन और बब्बन के निर्देश पर रात दिन एक करके अपनी पोलिंग पर सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक वोट डलवाए, हर सभासद ने पूरी मेहनत से चुनाव लड़ाया तब विषम परिस्थिति में चुनाव जीते, नरेश अग्रवाल का ही रौरा है, जो शहर में कहीं विपक्षी पार्टी टिक नहीं पाई। शहर के किसी वार्ड में एक रूपये का कार्य नहीं कराया गया।
सभासदी हारे गौरव शुक्ला तो लिखते हैं, सांसद इतने बेवफा होंगे पता नहीं था। बाहुबली, जननायक,जनता से सीधा संवाद रखने वाले सांसद सदर विधानसभा के केवल सौ प्रधान, 26 सभासद,10 जिला पंचायत सदस्यों, सौ क्षेत्र पंचायत सदस्यों, 2-4 ब्लॉक प्रमुखों को बुला मीडिया के सामने इतना पूछ लेना, जीते कैसे हो, किस फार्मूले से सांसद बने हो। आप के विकास की गाथाएं जो हैं, उसे जनता भली भांति जानती है। शब्द और बयान समझदारी से चयन करें, वरना हरदोई रिटर्न देती है।
अरुण सिंह गौर कौढ़ा लिखते हैं सांसद क्या जानें नरेश अग्रवाल और नितिन अग्रवाल के कार्यकर्ताओं के जोश और जुनून को। इनका ही आदेश था कि फिर लोकसभा की शोभा बढा रहे हैं। ब्लॉक प्रमुख, जिला पंचायत सदस्य, बीडीसी सदस्य, प्रधानों की मेहनत अपमानित करने का काम किया है आप ने, एक बार इस्तीफा देकर ग्राम पंचायत सदस्य का चुनाव ही लड़कर देख लो राजनीतिक पारी की इतिश्री हो जाएगी, जो प्रोटोकॉल हमारी मेहनत से मिल रहा है।
लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भी सत्ता दल के गलियारों का मौसम ठीक नहीं दिख रहा है, 27 के करीब खिसकने के साथ तस्वीर में अभी और भी बेढंग रंग आएंगे, जुड़े रहें ’स्वदेश’ से।
धुआं उड़ाती हुई धीमी धीमी बारिश है
हवा की अंधी सवारी पर अंधी बारिश है
बी - बृजेश कबीर।हरदोई