नई दिल्ली/स्वदेश वेब डेस्क। आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए पहली बार कश्मीर में तैनात नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएएसजी) की स्पेशल एक्शन ग्रुप अब अपने हथियारों के जखीरे में पाकेट ड्रोन्स को शामिल करने जा रही है। इस ड्रोन की सबसे खास बात ये है कि इसके जरिये किसी भी बिल्डिंग में छुपे आतंकियों को बड़ी आसानी से ढूंढा जा सकेगा। इस तरीके के ऑपरेशन में अक्सर जान जाने का जोखिम बेहद ज्यादा होता है, लेकिन मिनी ड्रोन्स से होने वाले ऑपेरशन से अब ऐसे खतरे कम होंगे। एनएसजी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, अमेरिका की स्पेशल फोर्सस पॉकेट हेलीकॉप्टर ड्रोन्स का इस्तेमाल करती है। दुनिया के कई देशों की स्पेशल फोर्स ऐसे मिनी ड्रोन्स का इस्तेमाल कर रही है। हम लगातार अलग-अलग साइज के ड्रोन्स को एनएसजी में शामिल कर रहे हैं जो ऑपरेशन की जरूरत के मुताबिक काम में लाये जाएंगे। पॉकेट ड्रोन्स खास बात ये है कि इसका वजन काफी कम होता है। दुनिया के कुछ देशों के स्पेशल फोर्स के पास 18 ग्राम तक के भी मिनी ड्रोन्स मौजूद हैं। काफी हल्के होने के कारण कमांडों इसे अपनी जेब में भी रख सकते हैं और इसलिए इसे पॉकेट ड्रोन भी कहा जाता है।
एनएसजी जहां पॉकेट ड्रोन्स को काउंटर टेरर ऑपरेशन में इस्तेमाल करने की तैयारी कर रही है, वहीं किसी भी घर में छुपे बैठ आतंकियों को मार गिराने के लिए ऐसे ड्रोन्स का इस्तेमाल करने की तैयारी में है जो आर्मड ड्रोन होंगे। किसी खिड़की या घर की छत के जरिये छुपे आतंकियों पर ड्रोन के जरिये बम गिराया जा सकेगा और किसी भी कमांडों के लिए रूम इन्टवेंशन ऑपरेशन यानि घर में घुसकर आतंकियों को मार गिराना जरूरी नहीं होगा। ऐसे ऑपरेशन में सबसे ज्यादा जान जाने का जोखिम होता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय में मंगलवार को हुई एक अहम बैठक में सुरक्षा एजेंसियों ने ये चिंता जताई की आतंकी संगठन भी आतंकी हमले के लिए ड्रोन्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे में एनएएसजी को काउंटर ड्रोन की क्षमता से लैस कराने का फैसला किया गया है। इस बैठक में गृह सचिव के अलावा एनएएसजी के डीजी सुदीप लखटकिया भी मौजूद थे।
पिछले दिनों वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो पर ड्रोन के जरिये हमला किया गया था। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी पर भी आतंकी हमले का खतरा हर समय मौजूद रहता है। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों को ऐसे किसी भी ड्रोन्स को हवा में ही मार गिराने के लिए तैयारी कर रही है, जिससे आतंकियों के मंसूबे नाकाम किये जा सके। एनएसजी के एक अधिकारी के मुताबिक, हम दुनिया के कुछ देशों के पास मौजूद ऐसी टेक्नोलॉजी को अपने ड्रिल में शामिल कर रहे हैं, जिससे दूर से ही ऐसे ड्रोन्स की पहचान की जा सकेगी, जिसका इस्तेमाल आतंकी कर सकते हैं। ये कुछ ही सेकेंड में ड्रोन्स को हवा में ही मार गिराने में सक्षम हैं। केंद्र सरकार की ड्रोन पॉलिसी के मुताबिक हवाईअड्डों, अंतरराष्ट्रीय सीमा, तटरेखा, राज्य सचिवालय परिसर आदि के पास उडऩे की इजाजत नहीं होगी।