यूपीएससी की परीक्षा में असफल हुए छात्र ने बताया असफलता का कारण, कहा- भूलकर भी ना करें ये 6 गलतियां

Update: 2022-12-01 09:39 GMT

वेबडेस्क। यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस या आईपीएस बनना हर युवा का सपना होता है।  इसके लिए कई छात्र सालों-साल कड़ी मेहनत करते है। जिसमें से कई सफल होते है, वहीँ के भाग्य में सिर्फ निराशा आती है।  ऐसे ही एक युवा रजत समबयाल ने जब 10 साल तक आईएएस की तैयारी करने के बाद भी सफल नहीं हुए तो उन्होंने अपनी असफलता का विश्लेषण किया। जिसके बाद उन्हें 6 गलतियां समझ में आई। जिनके कारण उनका चयन इस परीक्षा में कड़ी मेहनत के बाद भी नहीं हो पाया।  जिसे उन्होंने यूपीएससी की तैयारी कर रहें अन्य आवेदकों के साथ शेयर की।  

अटेंप्ट खराब ना होने दें - 

उन्होंने बताया की पहली गलती छात्र ये करते ही बिना तैयारी ही परीक्षा देकर अपना एक अटेंप्ट खराब कर लेते है। राजय ने कहा 'मैं कॉलेज पासआउट ही हुआ था, मैं यूपीएससी का फॉर्म भर दिया। तीन माह की तैयारी के बाद प्रीलिम्स दिया, पास भी हो गया। लेकिन मेन्स की तैयारी के लिए 3 माह का समय बहुत कम था। मेन्स मेरा कुछ नंबरों से क्लियर नहीं हो पाया। इसलिए यह वाला अटेम्प्ट मेरा खराब चला गया। किस भी अभ्यर्थी को किसी स्टेज में कोई समस्या है तो उसे पहले सुधारें, फिर आगे बढ़ें।'

अतिआत्मविश्वास हानिकारक - 

रजत न अपनी दूसरी गलती का जिक्र करते हुए कहा की प्रीलिम्स हो, मैन एग्जाम हो या साक्षात्कार किसी भी चरण को हल्के में नहीं लेना चाहिए। मेरा पहले अटेम्प्ट में एक बार में प्रीलिम्स निकल गया था। दूसरी बार जब 2016 में प्रीलिम्स दिया तो इसमें फेल हो गया। कभी भी ओवर कॉन्फिडेंस में न आएं।

गलत ढंग से तैयारी - 

रजत ने अपनी तीसरी गलती के बारे बात करते हुए कहा की गलत ढंग से तैयारी करना। उन्होंने कहा की साल '2017 में मैंने यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षाओं के पिछले प्रश्न पत्र की उपेक्षा की और ज्यादा से ज्यादा मॉक टेस्ट दिए । लेकिन हद से ज्यादा मॉक टेस्ट देना मेरी गलती थी। मॉक टेस्ट अलग तरह का होता है। मॉक टेस्ट नॉलेज बेस्ड होता है। जबकि यूपीएससी में लॉजिक बेस्ड पेपर ज्यादा रहता है।

तनाव को हावी ना होने दें - 

उन्होंने कहा की बार-बार असफल होने से मन में अवसाद और तनाव की अधिकता बढ़ती है। जो परिणाम सुधारने की जगह बिगाड़ देती है। परीक्षा के दौरान मुझ पर तनाव हावी हो गया था। मानसिक समस्याएं परेशान करने लगी थीं। परीक्षा के लिए जाते वक्त डर लगता था।  इससे मुझे पेपर में प्रश्न हल करने में ज्यादा समय लगने लगा था। फोकस कम हो गया था। लेकिन बाद के अटेम्प्ट में मैंने अपनी गलती को समझा और पॉजिटिविटी के साथ एग्जाम दिए।

ठीक ढंग से विश्लेषण - 

उन्होंने कहा की आप जो भी परीक्षा देते है।  उसके बाद उसका अच्छे से विश्लेषण करना चाहिए। रजत ने अपना अनुभव बताते हुए कहा की 5वें अटेम्प्ट में मैंने पहले के प्रश्न पत्रों का विश्लेषण किया। मेरा प्रीलिम्स क्लियर हो गया। लेकिन मेन्स के आंसर को अच्छे मेंटर से चेक नहीं करवाए। निबंध को किसी से पढ़वाया नहीं। ये मेरी गलती थी।

साक्षात्कार की तैयारी- 

रजत ने बताया की साक्षत्कार को कभी भो ओवर एनालिसिस नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा की आखिरी अटेम्प्ट में मेरे प्रीलिम्स और मेन्स दोनों क्लियर हो गए। लेकिन इंटरव्यू में ओवर एनालिसिस कर दिया। यही मेरी गलती थी। जिसके कारण चयन नहीं हुआ। 

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