वेबडेस्क। स्वर कोकिला भारत रत्न लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर नही चाहते थे कि उनकी बेटी फिल्मों के लिए गाना गाये। तकरीबन एक हजार से अधिक हिंदी फिल्मों में अपनी आवाज दी। लता जी का जन्म 28 सितम्बर, 1929 को मध्यप्रदेश में इंदौर के एक मध्यम वर्गीय मराठी परिवार में हुआ था। लता मंगेशकर ने वर्ष 1942 में 'किटी हसाल' के लिए अपना पहला गाना गाया। लता जी के पिता दीनानाथ मंगेशकर को लता का फिल्मों में पार्श्व गायिका के तौर गाना पसंद नहीं था। इसीलिए उनके पिता ने उस फिल्म से लता के गाए गीत को हटवा दिया था।
इसी वर्ष उन्हें 'मंगलगौर' में अभिनय करने का मौका मिला। लता जी का पहला हिन्दी गाना 'पा लूं कर जोरी' है जिसे उन्होंने 1946 में रिलीज वसंत जोगलेकर की फिल्म 'आप की सेवा में' लिए गाया था। वर्ष 1974 से 1991 तक विश्व में सर्वाधिक गीतों की रिकार्डिंग करवाने वाली लता दीदी का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड्स में दर्ज है।
इतना ही नहीं लता दीदी एसडी बर्मन, शंकर जयकिशन, हेमन्त कुमार, सी. रामचंद्र, मदनमोहन, और सलिल चौधरी जैसे नामीगिरामी संगीतकारों की चहेती गायिका रही हैं। लताजी के जन्मदिवस पर एक बार फिल्मकार यश चोपड़ा ने कहा था, "लताजी ने हमें संगीत के माध्यम से काफी कुछ दिया है, जैसे प्रेम और अनुराग। मुझे उम्मीद है कि वह हमेशा जीवित रहेंगी और हमें उनका आशीर्वाद प्राप्त होता रहेगा। मैं उनके काफी करीब रहा हूं और बेहद खुश हूं। मुझे गर्व है कि वह भी मुझसे लगाव रखती हैं।"
'जब कभी भी जी चाहे' (दाग), 'कभी कभी मेरे दिल में'(कभी कभी), 'नीला आसमां सो गया' (सिलसिला), 'मेरी बिंदिया तेरी निंदिया' (लम्हे), 'ढोलना' (दिल तो पागल है) और 'तेरे लिए' (वीर जारा) जैसे लताजी के मशहूर गीत हैं जो उन्होंने यश चोपड़ा के लिए गाए। लता दीदी चाहे फिल्म जगत को कई साल पहले अलविदा कह चुकी , फिर भी संजय लीला भंसाली और मधुर भंडारकर जैसे बहुत-से फिल्मकारों की वह पहली पसंद ही रही।
क्यों नही किया विवाह?
5 भाई-बहनों में सबसे बड़ी लता मंगेशकर ने कभी शादी नहीं की। एक इंटरव्यू में उन्होंने इसकी वजह बताते हुए खुलासा किया था कि आखिर वो ऐसा क्यों नहीं कर पाईं। लता जी ने बताया था कि जब वो 13 साल की थीं, तभी उनके पिता का स्वर्गवास हो गया था। ऐसे में घर के सभी सदस्यों की जिम्मेदारियां उन पर थी। कई बार शादी का ख्याल आता तो वे उस पर अमल नहीं कर सकती थीं। बहुत कम उम्र में ही वे काम करने लगी थीं। भाई-बहनों और घर की जिम्मेदारियों को देखते-देखते ही वक्त चला गया और वे ताउम्र शादी नहीं कर पाईं।