मोदी की भूटान यात्रा के निहितार्थ

Update: 2019-08-18 15:01 GMT

भूटान बहुत छोटा देश है। लेकिन हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पड़ोसी देशों से संबंध बेहतर रखने के मामले में उसे भी पूरा महत्व दिया। यह भारत की सहयोगी विदेश नीति है। इसमें किसी देश को अपनी विशालता के दम पर उपेक्षित रखने का भाव नहीं होता। पाकिस्तान की बात अलग है। नरेन्द्र मोदी ने प्रारंभ में पाकिस्तान के साथ भी रिश्ते बेहतर रखने के प्रयास किये थे। लेकिन वह मुल्क अपनी आतंकी फितरत छोड़ नहीं सका। ऐसे में उससे निपटने के लिए अलग रणनीति बनानी पड़ी। अन्य पड़ोसी देशों के साथ नरेन्द्र मोदी लगातार सहयोग बढ़ाने का प्रयास करते रहते हैं।

उनके दूसरे कार्यकाल के अभी मात्र ढाई महीने ही हुए हैं। इस अल्प अवधि में वह मालद्वीप और श्रीलंका की यात्रा कर चुके हैं। इसके बाद उन्होंने भूटान जाने का निश्चय किया। इसके पहले नरेंद्र मोदी ने आतंकी पाकिस्तान को छोड़कर सभी पड़ोसी देशों को अपने शपथ समारोह में नई दिल्ली आमंत्रित किया था। इन सभी देशों के शासकों ने अपनी उपस्थिति भी दर्ज कराई थी। अभी स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ने इन पड़ोसी देशों का नाम भी लिया था। यह भी कहा था कि आतंकवाद के मुकाबले में भारत अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करेगा।

इसके बाद ही प्रधानमंत्री भूटान यात्रा पर गए थे। वर्तमान परिस्थितियों के कारण इस यात्रा का महत्व बढ़ गया था। भारत ने अभी अपने संविधान में संशोधन करके अनुच्छेद 370 को हटा दिया था। भारत संप्रभु राष्ट्र है। अपने संविधान में संशोधन करने के लिए उसे निर्बाध अधिकार है। किसी अन्य देश को इस पर बोलने का अधिकार नहीं है। लेकिन पाकिस्तान ने इसे भी मुद्दा बनाने का प्रयास किया। चीन उसकी सहायता को तैयार रहता है। हालांकि संयुक्तराष्ट्र में दोनों (पाकिस्तान और चीन) को मुंह की खानी पड़ी।

ऐसे में मोदी की भूटान यात्रा को इस संदर्भ में भी देखना होगा। चीन पिछले कुछ समय से भूटान में सहयोग के नाम पर अपनी जड़ें जमाने का प्रयास करता रहा है। ऐसे में भारत को इसे चीन के चंगुल से बचाने का प्रयास करना था। नरेंद्र मोदी ने भूटान जाकर दोहरा लक्ष्य हासिल किया है। एक तो भूटान और भारत के बीच सहयोग बढ़ा, दोनों के संबंध मजबूत हुए। दूसरा लक्ष्य यह कि भूटान में चीन के हस्तक्षेप को रोकने में सफलता मिली है। दोनों देशों के बीच हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट, नॉलेज नेटवर्क, मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, स्पेस सेटेलाइट, रूपे कार्ड सहित नौ समझौते हुए। नरेन्द्र मोदी और भूटान के प्रधानमंत्री डॉ. लोते शेरिंग के बीच उपयोगी वार्ता हुई। भारतीय समुदाय के साथ मोदी का संवाद हुआ। मोदी ने यहां के विद्यार्थियों सहित अन्य सभी लोगों को प्रभावित किया। स्वास्थ्य जीवन की प्रमुख आवश्यकता होती है। मोदी ने यहां के लोगों से केवल यह बात साझा ही नहीं की, बल्कि भारत की ओर से स्वास्थ्य व आयुष की सौगात भी दी। उन्होंने कहा कि भारत मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल तैयार करने में भूटान की सहायता करेगा। इससे यहां के लोगों को बेहतर इलाज मिलेगा। उन्हें अन्य स्थानों पर दौड़ना नहीं पड़ेगा।

मोदी ने विश्वास दिलाया कि अब भूटान तकनीक के मामले में भी पीछे नहीं रहेगा। स्पेस टेक्नोलॉजी के माध्यम से भारत अब भूटान के विकास में सहयोग देगा। दोनों देश छोटे उपग्रह तैयार करेंगे। रॉयल भूटान यूनिवर्सिटी और भारत के आईआईटी साथ मिलकर तकनीकी सहयोग को आगे बढ़ाएंगे। इसके अलावा नरेन्द्र मोदी ने वहां पांच परियोजनाओं का उद्घाटन भी किया। इसमें इसरो के ग्राउंड स्टेशन, मेंगदेछू पनबिजली परियोजना शामिल है। नरेन्द्र मोदी ने भारतीय रूपे कार्ड को भी लॉन्च किया। इससे पहले रूपे कार्ड सिंगापुर में लॉन्च किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि भूटान के साथ बातचीत सार्थक रही। इससे दोनों देशों की मित्रता और मजबूत हुई है। भारत अपने पड़ोसी भूटान के साथ संबंधों को बहुत महत्व देता है। इसका प्रमाण है कि पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी सबसे पहले भूटान यात्रा पर आए थे। इस बार भी दस हफ्ते के भीतर ही वह भूटान पहुंचे थे।

नरेन्द्र मोदी ने भूटान में छात्रों को संबोधित किया। उनके संबोधन से छात्र बहुत प्रभावित हुए। इसका कारण था कि मोदी का भाषण किसी दूसरे देश के प्रधानमंत्री जैसा नहीं था, बल्कि वह एक अभिभावक के रूप में बोल रहे थे। जो विद्यार्थियों का कल्याण चाहता है। मोदी ने उन्हें आगे बढ़ने, नेतृत्व के लिए अपने को तैयार करने की प्रेरणा दी। बताया कि भारत नए दौर से गुजर रहा है। यहां अनेक सुधार लागू किये गए हैं। भूटान के छात्र यहां शिक्षा ग्रहण करने आ सकते हैं।

यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों व सहयोग बढ़ाने पर सार्थक बातचीत हुई है। इस यात्रा से भूटान के साथ भारत की मित्रता और मजबूत होगी। इससे दोनों देशों के बीच समृद्धि और प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा। भारत की 'पड़ोसी पहले की नीति' रही है। मोदी की भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक, पूर्व नरेश जिग्मे सिग्मे वांगचुक और प्रधानमंत्री लोतेशेरिंग के साथ उपयोगी वार्ता हुई।

मोदी ने भूटान के आमजन को राहत पहुंचाने वाली सौगात भी दी। एलपीजी की आपूर्ति सात सौ टन मासिक से बढ़ाकर एक हजार टन मासिक कर दी। विदेशी मुद्रा की जरूरत भी पूरी की जाएगी। वर्तमान स्टैंड बाय स्वेप अरेंजमेंट में दस करोड़ रुपये की अलग व्यवस्था की गई। भूटान में जल विद्युत की बहुत संभावना है। मोदी ने पांच वर्ष पहले भूटान यात्रा में इस तथ्य को समझा था। इस बार मागेंडेछु जल विद्युत परियोजना का उद्घाटन भी हो गया। इससे भूटान की बिजली व्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी। जाहिर है कि नरेंद्र मोदी की यह यात्रा केवल औपचारिक ही नहीं थी, बल्कि इसमें उन्होंने भूटान के आमजन का विश्वास भी हासिल किया है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

 

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