स्वास्थ्य विमर्श : आपकी जागरूकता ही है आपकी स्वस्थ्य आंखों का जल
मधुकर चतुर्वेदी की वरिष्ठ नेत्ररोग विशेषज्ञ 'डॉ. शेफाली मजूमदार' से वार्ता (रविवारीय साक्षात्कार)
कहा जा सकता है कि आंख हर व्यक्ति के शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होती है और अगर वही स्वस्थ्य नहीं है तो व्यक्ति का जीवन किसी काम का नहीं। आज के दौर में एक ओर जहां हमारी व्यस्ततम दिनचर्या तो दूसरी ओर इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गए हैं। मोबाइल फोन, कंप्यूटर व टीवी आदि के बिना काम नहीं चलता, यानी ये हमारी लाइफ को सुविधाजनक तो बना रहे हैं, साथ ही हमारी दृष्टि को बाधित भी कर रहे हैं। अंधेपन और दृष्टिबाधित रोगियों की बढ़ती संख्या के बीच अच्छी बात यह है कि नेत्र स्वास्थ्य को लेकर लोगों में जागरूकता भी बढ़ी है।
आधुनिक समय में हमारे नेत्र रोगमुक्त रहें, इसके लिए देश की जानी — मानी वरिष्ठ नेत्ररोग विशेषज्ञ 'डॉ. शेफाली मजूमदार' ने 'स्वदेश' से वार्ता की। नेत्र रोगों का अत्याधुनिक तकनीक से पता लगाने के साथ ही उनके उपचार में डॉ. शेलाफी मजूमदार का व्यापक अनुभव है। आंख के मोतियाबिंद और ग्लूकोमा रोगों के उपचार के साथ ही वर्तमान में आगरा के एसएन मेडिकल काॅलेज में सह आचार्या, नेत्र बैंक प्रभारी और कॉर्निया सर्विस की प्रमुख हैं। आप 2015 से अब तक 250 से अधिक आधुनिक तकनीक से पुतली प्रत्यारोपण कर चुकी हैं। साथ ही कई राज्य और राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलनों में वक्ता के रूप में भाग लेने के अलावा राष्ट्रीय स्तर के नेत्र विज्ञान सम्मेलनों में शोध पत्र भी प्रस्तुत किए हैं। प्रस्तुत हैं 'डॉ. शेफाली मजूमदार' और 'मधुकर चतुर्वेदी' के मध्य वार्ता के अंश........
प्र. वर्तमान में नेत्र रोगियों की संख्या बढ़ रही है, क्या कारण हैं ?
उ. बच्चों से शुरू करें। चश्में बहुत लग रहे हैं। स्कूलों में हेल्थ कैंप लग रहे हैं। चश्मे का नंबर बढ़ा है या नहीं, बच्चा बड़ा होकर बताता था। ब्लैक बोर्ड दिखायी दे रहा है, या नहीं, यह बच्चे अब बताने लगे हैं। नेत्ररोग में वृद्धि के लिए प्रदूषण, अनियमित जीवनचर्या यह तो एक कारण है ही। जागरूकता के कारण जांच का दायरा बढ़ा है। आपको ऐसा लगने लगा है कि नंबर ज्यादा आ रहे हैं। अंतर केवल इतना है कि पहले पता नहीं था, अब पता है।
प्र. आधुनिक लाइफ स्टाइल ने हमारे नेत्रों को किस तरह से प्रभावित किया है ?
उ. यह बात सही है कि हमारी आज की लाइफ स्टाइल से हमारे नेत्रों पर प्रभाव पड़ रहा है। डायबिटीज है, ओबेसिटी है, फास्टफूूड और अधिक चिकनाईयुक्त भोजन से नेत्रों में समस्या बढ़ी है। बाद में हाईपरटेंशन होगा, नेत्रों के परदे पर प्रभाव पड़ेगा। पहले हम 20 मरीज मोतियाबिंद के भर्ती करते थे, तो एक-आध में ऐसा लगता था कि उसे डायबिटीज है। अब तो 20 में से 8 मरीज डायबिटीज के निकलते हैं। यह सब जंक फूड खाने और शरीर में पोषक तत्वों की कमीं के कारण से हैं।
प्र. नेत्र रोग अनुवांशिक भी होता है क्या ?
उ. हां, बहुत मामलों में नेत्ररोग अनुवांशिक भी होता है लेकिन, इसका प्रतिशत बहुत कम है। इसे आप ऐसे समझ सकते हैं, पहले नेत्र रोग विशेषज्ञ होते थे, अब काॅर्निया स्पेशलिस्ट अलग हैं, ग्लोकोमा अलग हैं, रेटिना स्पेशलिस्ट अलग हैं। ऐसे ही अनुवांशिक हर फील्ड में अलग हैं। कार्निया, मोतियाबिंद में भी हैं। काॅनजैनाइटल कैटरेक्ट में बच्चा जन्म से ही नेत्ररोगी बनकर आता है। ऐसे भी कह सकते हैं कि अनुवांशिक कम हैं, अक्वायर्ड ज्यादा हैं।
प्र. नेत्र रोगों के निवारण हेतु घरेलू उपचार कितने कारगर हैं ?
उ. घी, शहद डालने से नेत्र रोगों में कुछ लाभ होता होता, हमें विश्वास नहीं। घरेलू उपचारों से माइक्रो ऑर्गेज्म ज्यादा ग्रो करते हैं। आजकल बहुत अच्छी आईड्राप हैं, विशेषज्ञ हैं। इसलिए इससे बचना चाहिए।
प्र. नेत्रों को संक्रमण जल्दी होता है, इससे कैसे बच सकते हैं ?
उ. नेत्रों के संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छ रहना अति आवश्यक है। स्वच्छता के परिवेश को अपनाने से इससे बचा जा सकता है। प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत अभियान ने हालांकि बहुत सहायता पहुंचायी है। बच्चों को खेलते समय अपने हाथों को आंखों से दूर रखें। स्वच्छ रहकर हम अपने नेत्रों को संक्रमण से बचा सकते हैं। साथ में पौष्टिक आहार लें, इससे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। इसमें वैक्सीनेशन का रोल भी बहुत है। पहले घर पर की गयी माताओं की डिलीवरी के कारण नवजात की आंखों में संक्रमण अधिक होते थे। आजकल अस्पतालों में डिलीवरी होने से संक्रमण की दर बहुत कम हुई है। लोगों को पता नहीं है कि अस्पतालों में वैक्सीनेशन निःशुल्क हैै। गर्भवती माताओं को टीकाकरण समय पर जरूर करवाना चाहिए तथा गर्भवती महिला की डिलीवरी अस्पताल में होनी चाहिए। आजकल मोतीझरा, खसरा दोनों के टीके अस्पतालों में उपलब्ध हैं।
प्र. क्या होता है नेत्रदान और क्यों ?
उ. नेत्रदान का मतलब है मृत्यु के बाद नेत्रों का दान। रक्तदान के समान ही नेत्रदान एक मानवीय सहायता की पहल है। कई लोगों को आज भी लगता है कि यह आंखों के ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया है, लेकिन यह एक पुतली का दान होता है। इसमें पूरी आंख को नहीं निकाला जाता है। इसमें सिर्फ ट्रांसप्लांट टीश्यू ही लिए जाते हैं। यह किसी भी डोनर की मृत्यु के बाद ही होता है। एक बार पुतली पर सफेदी आने के बाद उसे दवाइयों से पहले जैसा पारदर्शी नहीं किया जा सकता और मरीज की आंख की रोशनी पूरी तरह जा सकती है, जो पुतली प्रत्यारोपण से वापस आ जाती है। इसलिए मृत्यु के बाद अगर हम नेत्रदान करते हैं, तो यह एक महान दान है, जिससे हम किसी की दुनियां फिर से रोशन कर सकते हैं। आगरा क्षेत्र में पिछले सात वर्षो में केवल 450 की नेत्रदान हुए हैं। नेत्रदान के प्रति हमें और अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है।
प्र. दृष्टिहीनता अथवा रंगहीनता क्या एक ही समस्या है ?
उ. नहीं। दृष्टिहीनता का अर्थ है कि आपकी देखने की क्षमता कम है और रंगहीनता का अर्थ है कि आपको हरे और लाल रंग में अंतर नहीं पता लग रहा है। रंगहीनता जन्मजात भी हो सकती है, पर इसका प्रतिशत कम है। 40 की उम्र में बाद रंगहीनता हो सकती है।
प्र. मोबाइल, लैपटाॅप का प्रयोग बढ़ा है, अपनी आंखों को कैसे सुरक्षित रखें ?
उ. आजकल लंबे समय तक लोग मोबाइल, कम्यूटर, लैपटाॅप पर काम करते हैं। घंटों तक काम करने के बाद प्रत्येक 20 मिनट बाद अपनी आंखों को 20 सैकेंड के लिए बंद करें। अपनी पुतलियों को बार-बार बंद और खोलें। मोबाइल, कम्यूटर, लैपटाॅप पर दूरी बनाकर काम करें। अंधेरे में काम करने से भी बचें। स्क्रीन को नीचें की ओर झुकाकर रखे। एयरकंडीशनर का कम से कम प्रयोग करें। अगर आपकी आंखें थोड़ी भी ड्राय हैं तो एयर कंडीशन आपकी आंखों को नुकसान पहुंचाएगा।
प्र. अपने नेत्रों को स्वस्थ्य रखने के लिए हमारी दिनचर्या कैसी होनी चाहिए?
उ. सुबह के समय नंगे पैर हरी घास पर चलें व नियमित रूप से अनुलोम-विलोम, प्राणायाम करें। शीर्षासन करने से बचें। मधुमेह का ध्यान रखें, बच्चे ऐसा खेल ना खेलें, जिससे चोट लगने का खतरा हो। सोने से पहले आंखों को धाएं, जिससे पूरे दिन में एकत्रित धूल एवं गंदगी हट जाए। दूसरे व्यक्ति का तौलिया, रुमाल या उपयोग अपनी आंखों को पोछने के लिये प्रयोग न करें। आँखो को धूल, धुएँ या बहुत तेज प्रकाश से बचाएं। सूर्य-ग्रहण नग्न आँखों से न देखें। अपने वातावरण को साफ रखें। अपनी आँखों की जाँच समय-समय पर कराएं। सभी जहरीले ड्रग्स, शराब और तंबाकू, ऐसी चीजों से बचें। यदि आप चश्मे का उपयोग करते हैं, उन्हें साफ तथा खरोंचों से मुक्त रखें। कभी भी अन्य लोगों के काले चश्मे का उपयोग न करें क्योंकि इससे आंख में संक्रमण हो सकता है। जंक फूड से बचें और पौष्टिक भोजन करें।