आश्रम वेबसीरीज को लेकर इन दिनों हल्ला मचा हुआ है। इसमें कथित रुप से गुरमीत राम रहीम के जीवन के काले सच को उजागर किया गया है एवं इसी का हवाला देकर प्रकाश झा अपनी पीठ ठोंक रहे हैं मगर उन पर कई तरफ से उंगली भी उठ रही है। दृष्टि में पक्षपात का मामला उठा रहा है। इस वेबसीरीज को एक अलग नैरेटिव गढऩे का प्रयास भी माना जा रहा है।
आइए मामले पर खुलकर चर्चा करते हैं। आखिर आश्रम वेबसीरीज में ऐसा क्या है जिसकी तारीफ और विरोध हो रहा है। असल में इस वेबसीरीज में बॉबी देयोल एक ऐसे कथित पाखंडी महाराज के रुप में नजर आए हैं जिनका अपना एक अलग तरह का साम्राज्य है। वो एक ऐसे बाबा हैं जो धर्म की आड़ में पाखंड का जीवन जीता है। यह पाखंड श्रद्धालु महिलाओं के उत्पीडऩ से लेकर जीवन के कई क्षेत्रों में दिखता है। प्रकाश झा की इस वेबसीरीज को लोग गुरमीत राम रहीम के असल जीवन का काला चि_ा बता रहे हैं। इसके लिए कई सिनेकर्मियों ने जहां प्रकाश झा की तारीफ की है वहीं इसी वेबसीरीज के कारण प्रकाश झा पर सवाल भी उठाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म पर लोग कह रहे हैं कि जिस तरह प्रकाश झा ने अपना अलग सिनेमा आश्रम नाम से वेबसीरीज बनाकर रचा है उसमें गुरमीत के बहाने हिन्दू प्रतीकों पर चोट की गई है। एक गुरमीत के बहाने समूचे हिन्दू साधु संतों के खिलाफ एक विरोधी मानस तैयार करने का प्रयास किया है।
अगर गुरमीत राम रहीम पर ही प्रहार करना था तो इस वेबसीरीज का नाम आश्रम क्यों रखा गया। आखिर आश्रम नाम रखकर हिन्दुओं की आस्थाओं पर क्यों चोट की गई है। इसी तरह वेबसीरीज को बनाने में जितनी स्वतंत्रता रखी गई हैै क्या इसी तरह की वेबसीरीज अन्य धर्मों में व्याप्त पाखंड के खिलाफ नहीं बनाई जा सकती क्या। अगर ऐसा किया जा सकता है और ऐसा किया जाने का बड़ा आधार है फिर गुरमीत राम रहीम की तरह किसी इस्लामिक बाबा के पाखंड के खिलाफ अब तक क्यों कोई वेबसीरीज सामने नहीं आयी। क्या गुरमीत की तरह की एक वेबसीरीज नई दिल्ली की तबलीगी जमात से कोरोना का प्रसार देश भर में करने वाले मौलाना साद के खिलाफ नहीं बनाई जा सकती। अगर बन सकती है तो ऐसा ऐलान अब तक क्यों नहीें किया गया। क्यों प्रकाश झा जैसे स्वतंत्रताधर्मी सिने निर्देशक इतना साहस नहीं कर सके। क्या वे यहां वेबसीरीज बनाने लायक मसाला नहीं पाते अत वेबसीरीज बनाने का साहस नहीं कर पा रहे हैं। इस तरह के और बहुत से सवाल हैं जो इन दिनों आश्रम वेबसीरीज के बाद से देश भर से सामने आ रहे हैं। देखते हैं कि इनका जवाब प्रकाश झा या उन जैसे स्वतंत्रता के पैरोकार निर्देशक देते हैं अथवा केवल मौनी बाबा ही बने रहते हैं।