आने वाला समय प्राकृतिक खेती या शून्य बजट कृषि का होगा : संजीव बालियान
के. के. उपाध्याय
उत्तरप्रदेश चुनावों में पश्चिमी यूपी ने इन दिनों सरगर्मी बाड़ा दी है। पहले चरण की चुनाव की शुरुआत भी पश्चिमी यूपी से होनी है। ऐसे में हर दल - हर नेता किसानों-जाटों को साधने में जुटा हुआ है। योंकि पश्चिमी यूपी किसानों और जाटों का प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है। प्रस्तुत है इन दिनों पश्चिमी उप्र में भाजपा की बढ़ी हलचल को लेकर मुज्जफरनगर सांसद और केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान से के.के. उपाध्याय की खास बातचीत।
सवाल- आप कृषि कानून लेकर आएं थे उसका किसानों ने लगभग एक साल तक विरोध किया। बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कृषि कानूनों को वापस ले लिया। क्या ये कदम आगामी चुनावों को देखते हुए उठाया गया था?
जवाब- देखिए हिंदुस्तान परसेप्शन पर चलने वाला देश है। जहां तक मुझे लगता है जो कृषि कानून हम लेकर आएं जो उसके विरोध में थे किसी ने वो क़ानून नहीं पढ़ा। यहाँ एक अफवाह चली यह क़ानून किसान के हित मे नही है। और इसके विरुद्ध आंदोलन हुआ। मैंने हर बार कहा देश के सबसे बड़े किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत अपने हर भाषण में कहते थे की जोते वाणा कही भी अपनी जोत बेच सकता है। वो अपनी फसल को देश में कहीं भी बेच सकता है ऐसे कानून की मांग बहुत पहले से हो रही थी। महेंद्र सिंह टिकैत इसके पक्षधर थे। ये वर्षों की मांग थी जिसे आदरणीय मोदी जी पूर्ण की। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पश्चिमी उारप्रदेश में होते आई है। हो सकता है हम कृषि कानून लाने से पहले किसानों को समझा नही पाएं और भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। इसे देखते हुए प्रधानमंत्री ने वापस ले लिया। लेकिन कृषि कानून को कोई ऐसा नहीं कह सकता कि किसान के हित मे नहीं थे। प्रधानमंत्री किसानों का सबसे ज़्यादा सम्मान किया है। ये फैसला भी उनके सम्मान में ही था। कृषि कानून किसानों के हित के लिए लाए गए थे। इसका कोई चुनाव से जुड़ाव-लगाव नहीं है। राजनीति में तो हर चीज को चुनाव से जोड़कर देखे जाते है लेकिन ये कानून किसानों के हित के लिए था।
सवाल-तो क्या लगता है कि जो किसानों का आंदोलन था वो राजनीति से प्रेरित था या सच में किसान सरकार की मंशा को समझने में नाकाम रहे?
जवाब-इसमें पहले राजनीति नहीं थी लेकिन बाद में राजनीति की बंदूकें हमारी तरफ तान दी। किसानों का इस्तेमाल आंदोलन के द्वारा किया गया। और, पूरे देश में किया गया। किसान के कंधे पर रखकर बंदूक चलाई गई। विपक्ष के भाषण को सुनेंगे तो किसान आंदोलन से शुरू होते थे और वही पर खत्म होते थे। ये आंदोलन विपक्ष का हथियार बन गया था। किसानों की कोई गलती नहीं थी। हम अपनी गलती कहेंगे। हम अपना पक्ष किसानों के मध्य रखने में विफल रहे।
सवाल-जब कृषि बिल के मुद्दे पर किसान संगठनों का सरकार से टकराव हुआ था और विपक्ष ये बोल रहा था कि पश्चिमी उत्तरप्रदेश में भाजपा कमज़ोर हो रही है। अब राष्ट्रीय लोकदल और सपा साथ में है ऐसे में या भाजपा पश्चिमी उारप्रदेश में 2017 वाली ऐतिहासिक जीत को दोहरा पाएगी?
जवाब- देखिए अभी-अभी जन विश्वास यात्रा समाप्त हुआ है। 2017 में परिवर्तन यात्रा थी पूरे पश्चिमी उत्तरप्रदेश में और अब 2022 की जन विश्वास यात्रा। मैं दोनों यात्रा में था मुझे वही माहौल महसूस हुआ जो पांच साल पहले था। हो सकता है विपक्षी दल खुश हो रहे हों लोकसभा में भी विपक्ष ने गठबंधन बनाया था। बसपा भी इनके साथ थी। कांग्रेस भी इनके साथ थी उसके भाजपा ने जीत दर्ज की। विपक्षी पार्टियां गलत फ़हमी में है कि हमें पश्चिमी उाप्रदेश में नुकसान होगा। मैं तो कहता हूँ विधायक के साथ-साथ आपको मुयमंत्री भी चुनना है। अखिलेश यादव को पसंद करेंगे या योगी आदित्यनाथ को। सपा-आरएलडी के कार्यकर्ता भी कहते है हमें अखिलेश यादव मुयमंत्री नहीं चाहिए।
सवाल- आपने कर्जमाफी के दलदल से किसानों को कैसे निकाला?
जवाब-देखिए 2017 में हमारा वादा था ,सरकार बनने के बाद किसानों का कर्ज हम माफ़ करेंगे। उारप्रदेश में 36 हज़ार करोड़ का किसानों का कर्ज माफ़ किया गया। लेकिन मैंने एक सुझाव दिया था कि कर्जमाफी के बजाय हमे किसानों को बिना याज कर्ज देना चाहिए। गुजरात, मध्यप्रदेश में ये व्यवस्था पहले से है। मुझे उम्मीद है कि आज नहीं तो कल यह व्यवस्था पूरे देश में लागू होगी। हमारी हमेशा से यह सुझाव रहा है।
सवाल- गन्ना किसान पश्चिमी उारप्रदेश की एक बड़ी समस्या है। और यह बड़ा मुद्दा भी रहा है। गन्ना किसान अपने भुगतान को लेकर परेशान रहे और चीनी मिलों की मनमानी भी परेशानी खड़ी करती रहती है। किसानों की समस्याओं को लेकर आपकी सरकार ने या क़दम उठाएं है?
जवाब- योगी जी सही कह रहे है की गन्ना किसानों का भुगतान हुआ है। लेकिन कुछ चीनी मिलों का डिफाल्ट रहा है। बीस चीनी मिल ऐसे है जो डिफॉल्ट रहे। ये भी सच है। देखिए हमने कुछ मूलभूत परिवर्तन किए है 85प्रतिशत पैसा सीधे किसानों के खाते में जाता है। शुगर मिल पहले पैसे का डायवर्जन करती थी अब वो नहीं कर सकती। किसान का गन्ना बिकते ही किसान का पैसा किसान के खाते में आ जाता है। 2014 में जब हमारी सरकार केंद्र बनी में तब हम विदेश से चीनी इपोर्ट करते थे आज हमने 60 लाख टन चीनी एक्सपोर्ट किया जो हम पहले इपोर्ट करते थे। 9रुपए प्रति किलो केंद्र सरकार ने चीनी एक्सपोर्ट के लिए दिया है। पिछली सरकार में इथेनॉल मात्र 2प्रतिशत बनता था आज हम 8 प्रतिशत बना रहे है। हमारी सरकार का लक्ष्य 2025 तक 20प्रतिशत पर पहुँचना है। जो नई नीति आई है बायोफ्यूल की, वो किसानों के लिए है, भविष्य में किसान अन्नदाता के साथ-साथ उर्जादाता भी बनेगा।
सवाल- किसानों के सामने आर्थिक चुनौतियां हमेशा रही है। आपकी सरकार ने किसानों के आर्थिक उन्नति के लिए क्या किया है?
जवाब- हमने एग्रीकल्चर इंडस्ट्री बहुत काम किया। हमारे यहाँ जनसंया अधिक है लेकिन ज़मीन कम है। जब मैं कृषि राज्यमंत्री बना। आज डेरी की ग्रोथ रेट 8 प्रतिशत है हमने हर कार्य किए किसानों के आर्थिक उन्नति के के लिए। हम सिर्फ़ खेती में डिपेंड नही रह सकते हमें आगे भी बढऩा होगा। किसानों का आय बढ़ाने का सरकार हर प्रयास कर रही है। गुजरात 52 हजार करोड़ रुपए का अमूल दूध पैदा करता है। हमें दूसरे सेटर पर होगा।
सवाल- आप पर विपक्ष का एक और आरोप लगता कि ये सरकार विरोधी है और वो लखीमपुर खीरी की घटना को बनाते ऐसे में इस बार किसानों बीच या संदेश लेकर आप या कदम उठाने वाले है?
जवाब-देखिए लखीमपुर खिरी में जो हुआ वो दुर्भाग्यपूर्ण है। उसमें भी लोग आरोपी है वो गिरफ्तार हुए हैं। ये कानूनी विषय है और ये कोर्ट में है। जो भी दोषी है उसे सजा मिलेगी ये कोई राजनैतिक मुद्दा नहीं है। सवाल- प्रदेश के किसानों के सामने सिंचाई की एक बड़ी समस्या है। सरकार ने या उपाय किए है? जवाब- देखिए 2014 के बाद ही प्रधानमंत्री सिंचाई योजना आई। आपको सुनकर अजीब लगेगा इस देश में प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के द्वारा ऐसे-ऐसे प्रोजेट पूरे किए गए है जो चालीस साल से पेंडिंग थे। आप सोचिए एक डैम चालीस सालों से बन रहा था लेकिन उसका काम पूरा नहीं हो रहा था। प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत जितने भी पेंडिंग प्रोजेक्ट थे उन्हें पूरा किया गया। सोलर पंप के क्षेत्र में भी हम लोग बहुत बड़े स्तर पर आ गए है। हमारा लक्ष्य तीन लाख सोलर पंप पूरे देश में स्थापित करने का है। सिंचाई पर किसी सरकार ने ध्यान नहीं दिया जो दिया हमारी सरकार ने दिया। सरयु डैम का उद्घाटन भी हमारी सरकार में हुआ।
सवाल- भारतीय जनता पार्टी ने तमाम वादों में ये कहा कि किसानों के आय को दुगुना करेंगे। उस वादे का क्या हुआ? क्या ये वादा पूरा हो गया या उस पर अभी काम चल रहा है?
जवाब- देखिए, ऐसा तो मैं नहीं कहूँगा की पूरा हो गया। प्रधानमंत्री की सोच है कि खेती में इन्वेस्टमेंट थोड़ा कम हो उत्पादकता बढ़े। और ऐसे प्रोडट ना हो जो हम दे ना सके यानी सस्ती खेती पर जोर रहा है ताकि किसानों को फायदा पहुँचे। ये प्रयास लगातार जारी है। प्रधानमंत्री ने अभी प्राकृतिक खेती को लेकर बहुत बड़ी प्रयास शुरू किए है। आने वाला समय नेचुरल फार्मिंग या ज़ीरो बजट फार्मिंग का होगा।
सवाल- उारप्रदेश में जब भी बात होती है तो जातिगत राजनीति की बात होती है और जब पश्चिमी उारप्रदेश की बात होती है तो जाटों की बात होती है। आप जाटलैंड से आते है। जाट भाजपा से नाराज़ है ऐसा कहा जाता है। हाल ही में अभी प्रधानमंत्री ने राजा महेंद्र सिंह यूनिवर्सिटी की स्थापना की जो जाटों के गौरव और समान थे ,वर्षों से इसकी मांग थी । आरएलडी से जो सपा का गठबंधन हुआ है। या इस गठबंधन से भाजपा को कुछ नुकसान पहुंच सकता है? जाटों की राजनीति किस दिशा में जा रही है?
जवाब- राजा महेंद्र प्रताप को लोग भूल गए थे लेकिन जब प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान में महेंद्र प्रताप जी को पहले प्रधानमंत्री कहकर संबोधित किया तो बहुत अच्छा लगा सुनकर कि हमारे समाज के भी इतने बड़े आदमी थे जिन्हें लोग आज भूल गए हंै। आज उन्हीं के नाम पर यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई। योंकि उनका शिक्षा के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान था। उसके लिए प्रधानमंत्री मुयमंत्री को हम धन्यवाद देते है। हम जाट अपनी बात को बड़ी मजबूती से कहते है। हम जाट राष्ट्रभक्त होते है जब देश के ऊपर बात आएगी तो सबसे पहले मरने-मिटने वाले हम लोग है। हम सरकार चुनने के समय क्रिटिक हो जाते है। हम वोटर के साथ-साथ सपोर्टर भी होते है। चुनाव के समय हम प्रदेश हित राष्ट्रहित में निर्णय लेते है। 2014,2017,2019 वाला ही निर्णय 2022 में भी होगा।
सवाल- संजीव जी आप बीते दिन नरेश टिकैत से मिले थे। क्या है इसके राजनैतिक मायने?
जवाब- देखिए, हमारे यहाँ खाप सिस्टम है। कोई राजनैतिक मायने नहीं है चौधरी साहब का ऑपरेशन हुआ था और मैं उन्हें देखने गया था। हाँ ये अच्छी बात हुई कि उसी समय उन्होंने घोषणा कर दी कि किसान यूनियन किसी राजनैतिक पार्टी को चुनाव में सपोर्ट नहीं करेगा।